आज ही के दिन अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे अब्राहम लिंकन, पढ़िये उनके संघर्ष की पूरी कहानी

161 साल पहले 6 नवंबर 1860 को अब्राहम लिंकन अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति बने थे. गरीब परिवार में जन्मे लिंकन ने राष्ट्रपति बनने तक लंबा संघर्ष किया. अमेरिका में गृह युद्ध और दास प्रथा को खत्म करने के लिए अब्राहम लिंकन को हमेशा याद किया जाएगा.

अब्राहम लिंकन
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 06 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 12:23 PM IST
  • दास प्रथा खत्म करने के लिए हमेशा याद किए जाएंगे लिंकन
  • गरीबों का केस बिना पैसे के लड़ते थे लिंकन
  • लोगों की परेशानी देख राजनीति में आने का फैसला किया

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की पूरी जिंदगी लोगों को प्रेरणा देने वाली है. गरीब परिवार में जन्मे लिंकन की जिंदगी का हर पन्ना संघर्ष से सफलता की कहानी बयां करता है. आज से ठीक 161 वर्ष पहले अब्राहम लिंकन अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति बने थे. तमाम दुश्वावारियों को झेलने के बाद लिंकन ने कभी हार नहीं मानी गरीबी से लेकर व्हाइट हाउस तक का सफर तय किया.

पेट पालने के लिए बचपन से ही की मजदूरी
12 फरवरी 1809 को अमेरिका के एक गरीब परिवार में जन्मे लिंकन का बचपन काफी गरीबी में गुजरा. लिंकन का परिवार इतना गरीब था कि सभी लोग एक लकड़ी के छोटे से घर में रहते थे. जिस जमीन पर घर था उसे लेकर भी विवाद हुआ और पूरे परिवार को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी. लिंकन के पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि उन्हें स्कूल भेज सकें. पेट पालने के लिए लिंकन को बचपन से ही मजदूरी करनी पड़ी.

कम उम्र में उठाया खुद की पढ़ाई का खर्च
लिंकन जब 6 साल के हुए तब उन्हें स्कूल भेजा गया. घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के चलते उन्हें खेतों में अपने पिता का हाथ बंटाना पड़ता था. न चाहते हुए भी लिंकन को अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी. लेकिन, लिंकन को पढ़ने का इतना जुनून था कि जब भी उन्हें समय मिलता वो दूसरे से किताबें लेकर पढ़ने लगते. इस बीच लिंकन की जिंदगी में बहुत दुखद घटना हुई. जब लिंकन 9 साल के थे तब उनकी मां इस दुनिया से चल बसीं. लेकिन, लिंकन ने हार नहीं मानी और छोटी उम्र में ही उन्होंने अपनी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने का फैसला किया.

पढ़ने के लिए किया हर जतन
जब सामने कोई रास्ता नहीं दिखा तब लिंकन ने अपने पिता से बढ़ई का काम सीखकर नाव बनाई और माल ढोने का काम शुरू किया. बचे हुए वक्त में लिंकन लोगों की खेतों में जाकर काम करते थे. बाद में एक दुकान में उनकी नौकरी लग गई जहां उन्हें पढ़ने का भी वक्त मिलने लगा. आगे चलकर लिंकन ने अपने दम पर लॉ की भी पढ़ाई की और बाद में उन्होंने पोस्टमास्टर भी नौकरी की.

लोगों की परेशानी देखकर राजनीति में आए लिंकन
लिंकन ने समाज में देखा कि लोगों को कई चीजों को लेकर काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसको देखते हुए लिंकन ने राजनीति में जाने का फैसला किया. ये वो वक्त था जब अमेरिका में दास प्रथा चरम पर थी और लिंकन इसे खत्म करना चाहते थे. इसी विचार के साथ लिंकन ने पहली बार चुनाव लड़ा और इसमें उन्हें करारी हार झेलनी पड़ी. चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने पोस्टमास्टर की नौकरी भी छोड़ दी थी. उस वक्त तक उन्हें वकालत के लिए लाइसेंस भी मिल चुका था लेकिन इसमें भी उन्हें नाकामी ही हाथ लगी क्योंकि वो गरीबों का केस लड़ने के लिए पैसे नहीं लेते थे.

दास प्रथा खत्म करने के लिए हमेशा याद किए जाएंगे लिंकन
1860 में लिंकन ने फिर से राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा और इसमें उन्हें बड़ी सफलता हाथ लगी. 14 अप्रैल 1865 को वॉशिंगटन डीसी में एक थिएटर में नाटक देखने के दौरान उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई. लेकिन, अमेरिका को गृह युद्ध से बाहर निकालने के लिए और दास प्रथा को खत्म करने के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाता है. लिंकन ने अपनी मेहनत और जज्बे से यह साबित कर दिया कि कोई भी लक्ष्य नामुमकिन नहीं होता.

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