Turkey: तुर्की के इस 'गांधी' ने भारत विरोधी अर्दोआन को जीतने नहीं दिया, 28 मई को फिर से होगा राष्ट्रपति चुनाव, जानें कौन हैं कमाल किलिकडरोग्लु

Presidential Election in Turkey: तुर्की में राष्ट्रपति चुनाव के लिए हुए मतदान के बाद वोटो की गिनती में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है. एकेपी को 49.4 प्रतिशत वोट तो वहीं सीएचपी को 45.0 प्रतिशत मत मिले हैं. सत्ता में आने के लिए 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिलने जरूरी हैं.

Kemal Kilicdaroglu and Tayyip Erdogan (photo twitter)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 15 मई 2023,
  • अपडेटेड 5:39 PM IST
  • एकेपी पार्टी को मिले 49.4 प्रतिशत वोट
  • सीएचपी को 45.0 प्रतिशत मत मिले 

तुर्की में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ गए हैं. भारत विरोधी मौजूदा राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोआन की पार्टी को एकेपी को 49.4 प्रतिशत वोट मिले हैं. वहीं तुर्की के गांधी कहे जाने वाले कमाल किलिकडरोग्लु की पार्टी सीएचपी को 45.0 प्रतिशत मत मिले हैं. इस तरह से किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है. सत्ता में आने के लिए 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिलने चाहिए. किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने के कारण अब 28 मई को दोबारा मतदान होगा. 

तुर्की की दो अहम पार्टियों के अलावा इस चुनाव में नए उम्मीदवार सिनान ओगन की पार्टी (ATA अलायंस) ने भी 5 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल किए. जो अब एर्दोगन और कमाल को सत्ता में लाने के लिए भूमिका निभाएंगे. अलजजीरा के मुताबिक उन्हें दोनों मुख्य पार्टियां अपनी ओर लाने की पूरी कोशिश करेंगी.

छह दलों ने मिलकर कमाल को बनाया है अपना उम्मीदवार
अर्दोआन 11 साल तक तुर्की के प्रधानमंत्री और नौ साल तक राष्ट्रपति रहे हैं. उनको चुनौती देने के लिए विपक्ष के छह दलों ने मिलकर मुख्य सेक्युलर विपक्षी दल रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी (सीएचपी) के नेता कमाल किलिकदरोग्लु  को अपना प्रत्याशी बनाया है. अर्दोआन को भारत विरोधी कहा जाता है. अर्दोआन ने भूकंप के दौरान भारत के 'ऑपरेशन दोस्त' की मुहिम और मदद को तुरंत भूलकर संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का साथ दिया था. 

कमाल का टुनसेली शहर में हुआ था जन्म
कमाल किलिकडारोग्लू का जन्म 1948 में तुर्की के शहर टुनसेली में हुआ था. कमाल एक ऐसे परिवार में जन्में जो अल्पसंख्यक अलेवी विश्वास का पालन करता था. किलिकडारोग्लू ने अंकारा एकेडमी ऑफ इकोनॉमिक्स एंड कमर्शियल साइंसेज (अब गाजी विश्वविद्यालय) में अर्थशास्त्र पढ़ा और सरकार और निजी दोनों क्षेत्रों में तुर्की के आर्थिक और वित्तीय संस्थानों में शीर्ष पदों पर काबिज हुए. उन्होंने अंकारा में हैकेटपे विश्वविद्यालय में भी पढ़ाया.

राजनीतिक सफर
2002 में तुर्की की संसद में इस्तांबुल से किलिकडारोग्लू ने सीएचपी के सदस्य के रूप में प्रवेश किया. इसके बाद कमाल भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने लगे. 2007 में वह फिर संसद के लिए चुने गए. 2009 में उन्होंने इस्तांबुल के मेयर बनने के लिए चुनाव लड़ा. इसके बाद 2010 में एक वीडियो के लीक होने के बाद कमाल की पार्टी सीएचपी के अध्यक्ष डेनिज बायकल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. तब किलिकडारोग्लू को उनकी पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया. 

बापू की तरह पहनते हैं चश्मा
कमाल किलिकडारोग्लू तुर्की के गांधी कहे जाते हैं. कमाल तुर्की में लोगों के हक, सामाजिक न्याय और लोकतंत्र की लड़ाई लड़ते हैं. वह महात्मा गांधी की तरह की चश्मा भी पहनते हैं और पोलिटिको की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गांधी की तरह, किलिकडारोग्लू की राजनीतिक शैली भी विनम्र है.

 

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