पाकिस्तान का जानी दुश्मन है TTP संगठन, जानिए कैसे पनपा तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान

Tehreek-e-Taliban Pakistan: पाकिस्तान के पेशावर में एक मस्जिद में फिदायीन हमले में 83 लोगों की मौत हो गई है. इस हमले की जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने ली है. टीटीपी का मकसद पाकिस्तान में इस्लामी शासन लाना है. टीटीपी पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ता है.

पाकिस्तान के पेशावर में आत्मघाती हमला
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 31 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 11:03 AM IST

पाकिस्तान में एक बार फिर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने कहर बरपाया है. पेशावर के एक मस्जिद में आत्मघाती हमला हुआ है. हमले में अब तक 83 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 57 से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं. धमाका उस वक्त हुआ, जब दोपहर के बाद मस्जिद में नमाज जोहर चल रहा था. धमाके में फिदायीन हमलावार के चिथड़े उड़ गए. मरने वालों में ज्यादातर पुलिसवाले शामिल हैं. इस हमले की जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने ली है. पाकिस्तानी सेना के हमले में मारे गए टीटीपी कमांडर उमर खालिद खुरासनी के भाई का दावा है कि ये हमला उसकी भाई की हत्या का बदला है. ऐसा पहली बार नहीं है, जब टीटीपी ने पाकिस्तान में कोहराम मचाया है. टीटीपी पाकिस्तान को अपना जानी दुश्मन मानता है. चलिए आपको बताते हैं कि पाकिस्तान में हमला करने वाला टीटीपी कैसा इतना ताकतवर संगठन बन गया और पाकिस्तान से उसकी क्या दुश्मनी है?

क्या है तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान-
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान एक आतंकवादी संगठन है, जो पाकिस्तान सरकार के खिलाफ लड़ता है. इसे पाकिस्तानी तालिबान भई कहते हैं. यह संगठन अफगानिस्तान के तालिबान से अलग है. हालांकि दोनों की विचारधारा एक जैसी ही है. ये संगठन पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर कबायली लड़ाकों का संगठन है. टीटीपी के पास हजारों लड़ाके हैं.

कैसे बना टीटीपी-
इस संगठन के बनने की पृष्ठभूमि अमेरिका के अफगानिस्तान में कब्जे के साथ ही शुरू हो गई थी. साल 2001 में अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान की सत्ता से तालिबान को बेदखल कर दिया. इसके बाद अफगानिस्तान में शरण लिए सभी आतंकी पाकिस्तान की तरफ भागे. इस बीच साल 2007 में कई आतंकी गुट एकसाथ आए और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का गठन किया. बैतुल्लाह महसूद को इसका सरगना बनाया गया. इसका मकसद पाकिस्तान में इस्लामी शासन लाना है. 

पाकिस्तान ने कसा था शिकंजा-
साल 2008 में पाकिस्तान सरकार ने इस संगठन पर बैन लगा दिया था. 5 अगस्त 2009 को इसका सरगना बैतुल्लाह महसूद को पाकिस्तानी सेना ने मार गिराया. इसके बाद हकीमउल्लाह महसूद टीटीपी का हेड बना. लेकिन एक नवंबर 2013 को हकीमउल्लाह को भी मार गिराया गया. हकीमउल्लाह की मौत के बाद फजलुल्लाह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का सरगना बना. 22 जून 2018 को अमेरिकी सेना ने उसे भी मार गिराया. फिलहाल नूर वली महसूद टीटीपी का लीडर है. लगातार कार्रवाइयों के बदौलत टीटीपी करीब-करीब खत्म हो गया था.

अमेरिका ने अफगान छोड़ा, टीटीपी को मिला जीवनदान-
फरवरी 2020 में तालिबान और अमेरिका के बीच शांति समझौता हुआ. जिसके बाद फिर से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान एक्टिव हो गया. जुलाई 2020 में 10 संगठन टीटीपी में शामिल हुए. इसमें अलकायदा के 3 पाकिस्तानी गुट भी थे. साल 2021 में जब अमेरिका ने अफगानिस्तान छोड़ दिया तो टीटीपी और भी हमलावर हो गया. टीटीपी ने साल 2020 में ऐलान कर दिया था कि पाकिस्तान के बाहर उसका कोई क्षेत्रीय या वैश्विक एजेंडा नहीं है. 

पाकिस्तान में टीटीपी के हमले-
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने साल 2008 में इस्लामाबाद में मैरियट होटल में हमले की जिम्मेदाली ली थी. इसके बाद साल 2009 में आर्मी हेडक्वॉर्टर पर भी टीटीपी ने हमला किया था. साल 2012 में एक बार फिर टीटीपी सुर्खियों में आया. टीटीपी ने एक छोटी सी लड़की मलाला युसुफजई पर हमला किया. मलाला स्कूल जाती थी, जो टीटीपी को मंजूर नहीं था. टीटीपी का सबसे घिनौना हमला साल 2014 में किया. आतंकियों ने पेशावर में आर्मी स्कूल में गोलीबारी की थी. इस हमले में 150 लोगों की मौत हुई थी. जिसमें से 131 बच्चे थे. इसके अलावा टीटीपी पीएमएलएन और पीपीपी को भी धमकी दी थी.

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