Foreign Travel (Photo: Meta AI)
Foreign Travel (Photo: Meta AI) विदेश यात्रा का अर्थ ज्योतिष में समुद्र पार करने की यात्रा है. शैलेंद्र पांडेय ने बताया कि कुंडली के पंचम, नवम और द्वादश भाव विदेश यात्रा से जुड़े होते हैं. राहु, शनि और मंगल जैसे ग्रह व्यक्ति को विदेश जाने में सहायता करते हैं. राहु का प्रभाव व्यक्ति को अपने जन्म स्थान से दूर ले जाता है. शनि की साढ़ेसाती और ढैया भी विदेश यात्रा में मददगार होती है.
विदेश में बसने की रहती है संभावना
शैलेंद्र पांडेय ने बताया कि वृषभ, कन्या, मकर, मिथुन, तुला और कुंभ राशि वाले व्यक्तियों के विदेश में बसने की संभावना अधिक होती है. जिनकी जन्मतिथि 2, 11, 20 या 29 होती है, उनके विदेश में स्थाई रूप से बसने की संभावना अधिक होती है. चंद्रमा और शुक्र के कमजोर होने पर व्यक्ति अपने परिवार से दूर जाकर विदेश में बस सकता है.
विदेश यात्रा के योग बनने के कुछ प्रमुख कारण
चंद्रमा: यदि चंद्रमा कुंडली के बारहवें भाव में हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है.
राहु: यदि राहु लग्न, सप्तम, नवम या द्वादश भाव में हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है.
शनि: यदि शनि कुंडली में मजबूत स्थिति में हो तो विदेश यात्रा का योग बन सकता है.
बारहवें भाव का संबंध: यदि बारहवें भाव का स्वामी लग्न, तीसरे, नौवें या दशम भाव में हो तो भी विदेश यात्रा का योग बनता है.
विदेश यात्रा में बाधाएं और उपाय
विदेश यात्रा में बाधाओं का कारण कुंडली में जल तत्व का प्रधान होना हो सकता है. जल तत्व व्यक्ति को परिवार और भावनाओं से जोड़कर रखता है. बाधाओं को दूर करने के लिए शनिदेव के तांत्रिक मंत्र ओम प्राम प्रेम प्राम सह क्षणेश्वरय नमः का जप करने की सलाह दी गई. इसके अलावा हल्के नीले रंग के वस्त्र पहनने और नदी पार करने की यात्रा करने जैसे उपाय भी सुझाए गए हैं.