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Astrology: कुंडली में सूर्य अशुभ होने के क्या है लक्षण? शुभ स्थिति में कैसे व्यक्ति को मिलता है सुख.. क्या है इसको सुधारने का उपाय?

ज्योतिष में सूर्य को व्यक्ति की आत्मा माना जाता है. मानव जीवन की समस्त चीज़ें सूर्य के इर्द गिर्द ही घूमती हैं. इसमें व्यक्ति का सम्पूर्ण स्वास्थ्य और सफलता सूर्य पर ही निर्भर करती है.

Surya Dev Surya Dev

हर व्यक्ति की ज़िंदगी में ग्रह किसी न किसी प्रकार से प्रभाव डालते हैं. जहां कुछ ग्रह सकारात्मक प्रभाव डालते हैं, तो वहीं कुछ नकारात्मक. ऐसे में सभी ग्रहों के बारे में थोड़ी जानकारी होना जरूरी हो जाता है. माना जाता है कि नवग्रहों में सूर्य सबसे महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है. 

ज्योतिष में सारी गणनाएं सूर्य और चन्द्रमा पर ही आधारित होती हैं. ज्योतिष में सूर्य को व्यक्ति की आत्मा माना जाता है. मानव जीवन की समस्त चीज़ें सूर्य के इर्द गिर्द ही घूमती हैं. इसमें व्यक्ति का सम्पूर्ण स्वास्थ्य और सफलता सूर्य पर ही निर्भर करती है. सूर्य का सम्बन्ध शासन, राज्य, यश, हड्डियों और ह्रदय से भी होता है. केवल सूर्य को नियंत्रित करके जीवन की सभी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है. 

सूर्य के अशुभ होने के लक्षण क्या हैं?
जब किसी व्यक्ति का सूर्य अशुभ होता है तो उस व्यक्ति को कुछ न कुछ स्वास्थ्य की समस्या लगी रहती है. साथ ही व्यक्ति को आंखों और हड्डियों की समस्या जरूर होती है. इसके अलावा व्यक्ति को राज्य और सरकारी मामलों में समस्या होती है. ऐसे लोग कभी भी नेतृत्व नहीं कर पाते. सूर्य की अशुभ स्तिथि में लोगों को पिता या बड़े भाई का सुख नहीं मिलता. इनके सर में दर्द या भारीपन की समस्या लगी रहती है. इनको किए हुए कार्यों का यश नहीं मिल पाता. 

क्या होता है जब सूर्य शुभ हो?
जब किसी इंसान का सूर्य शुभ होता है तो व्यक्ति का चेहरा तेजस्वी होता है. वह व्यक्ति नेतृत्वकर्ता होता है, और समस्याओं को सुलझाने में आगे रहता है. ऐसे लोगों को नाम और यश बहुत आसानी से मिलता है. ये लोग अपने क्षेत्रों में अगुवा होते हैं. इन लोगों को लकड़ी की वस्तुओं का काफी शौक होता है. लेकिन सूर्य के शुभ होने की स्थिति में ये लोग कभी-कभी बहुत अहंकारी भी हो जाते हैं. 

सूर्य के खराब परिणाम दूर करने के उपाय? 
अगर सूर्य अशुभ परिणाम दे रहा है तो सूर्योदय के पूर्व उठने का प्रयास करें. नित्य प्रातः सूर्य को जल अर्पित करें. प्रातः ही सूर्य मन्त्र का जप करें. साथ ही लकड़ी के फर्नीचर का प्रयोग करें. इसके अलावा भोजन में गुड़ और गेंहू का खूब प्रयोग करें. उपाय के लिए एक ताम्बे का छल्ला या कड़ा धारण करें.