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बच्चों पर किस उम्र में किस ग्रह का प्रभाव होता है, कैसे बुरे असर से किया जा सकता है बचाव

8 साल की अवस्था तक बच्चों पर चंद्रमा का प्रभाव रहता है. इसके बाद 12 वर्ष की आयु तक बुध का प्रभाव शुरू हो जाता है. चंद्रमा बच्चों की मासूमियत और शरारत को दर्शाता है, जबकि बुध बुद्धि और विद्या की दिशा में अग्रसर करता है. बच्चों के गलत संगति में पड़ने और गलत आदतों को अपनाने के पीछे भी ग्रहों का प्रभाव होता है.

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सभी बच्चों की आदतें अलग-अलग होती हैं. उनमें अलग-अलग तरह के संस्कार विकसित होते हैं. बात चाहे खुशियों की हो या फिर दुख की, अच्छी हो या फिर बुरी, इन सभी के कारण ग्रह ही होते हैं और यही ग्रह हमारी संतान की उन्नति और पतन का कारण भी बनते हैं. ज्योतिषशास्त्र कहता है कि हमारे जीवन में होने वाली सभी घटनाओं का कारण नवग्रह होते हैं. 

किस उम्र में किसका प्रभाव-
बच्चों के संस्कार और आदतों पर ग्रहों का प्रभाव महत्वपूर्ण होता है. आठ वर्ष की अवस्था तक बच्चों पर चंद्रमा का प्रभाव रहता है. इसके बाद 12 वर्ष की आयु तक बुध का प्रभाव शुरू हो जाता है. चंद्रमा बच्चों की मासूमियत और शरारत को दर्शाता है, जबकि बुध बुद्धि और विद्या की दिशा में अग्रसर करता है. इसके अलावा, राहु, केतु और शुक्र की दशा भी बच्चों पर गहरा असर डालती है.

गलत संगति और आदतों से बचाने के उपाय-
बच्चों के गलत संगति में पड़ने और गलत आदतों को अपनाने के पीछे भी ग्रहों का प्रभाव होता है. अगर बच्चा झूठ बोलता है, तो इसका कारण राहु और केतु की प्रतिकूल चाल हो सकती है. ऐसे में बच्चों को 'ओम नमः शिवाय' का जाप करने के लिए प्रेरित करना चाहिए. इसके अलावा, बच्चों को प्रातः तुलसी दल ग्रहण करवाना, गायत्री मंत्र का अभ्यास करवाना और चांदी का आभूषण धारण करवाना भी लाभकारी हो सकता है.

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बच्चों की सुरक्षा के लिए ज्योतिषीय उपाय-
बच्चों की सुरक्षा के लिए भी ग्रहों की स्थिति महत्वपूर्ण होती है. मंगल ग्रह बच्चों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होता है. अगर मंगल ग्रह की स्थिति खराब हो, तो बच्चों को चोट लगने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में हनुमान जी की उपासना, हनुमान चालीसा का पाठ और दुर्गा जी की पूजा करना लाभकारी हो सकता है. इसके अलावा, बच्चों को सूर्य को जल अर्पित करना, सूर्य नमस्कार करना और चंदन का टुकड़ा नीले धागे में गले में पहनाना भी सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है.

बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए उपाय-
बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए सूर्य की उपासना, बुद्ध की उपासना और भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए. माता दुर्गा की पूजा और माता सरस्वती की वंदना भी बच्चों के विकास में सहायक होती है. बच्चों को फास्ट फूड से दूर रखना, सौंदर्य प्रसाधनों का कम से कम उपयोग करना और धर्म स्थान पर ले जाना भी महत्वपूर्ण है.

बच्चों के संस्कार और सुरक्षा के लिए ज्योतिषीय उपायों का पालन करना आवश्यक है. इससे न केवल बच्चों का संपूर्ण विकास होगा, बल्कि वे सही राह पर चलेंगे और समाज में एक अच्छे नागरिक बनेंगे.