
ग्रहों में सेनापति मंगल हैं. शक्ति, ऊर्जा, आत्मविश्वास के स्वामी मंगल हैं. मंगल का मुख्य तत्व अग्नि है. मंगल का मुख्य रंग लाल है. मंगल की धातु तांबा मानी गई है. जौ को मंगल का अनाज माना गया है. जमीन और जमीन से निकलने वाली चीजों पर मंगल का प्रभाव रहता है.
मेष और वृश्चिक मंगल की राशियां हैं. मंगल मकर राशि में सबसे मजबूत रहता है.कर्क राशि का मंगल सेबसे कमजोर होता है. मंगल ग्रह एक उग्र ग्रह जरूर है लेकिन ये आपको रंक से राजा भी बना सकता है. कुंडली में मंगल शुभ हो तो लक्ष्मी योग, रूचक योग जैसे योग बनाता है जो अपार सफलता के साथ साथ बेशुमार शोहरत और धन दिलाता है.
मंगल ग्रह के शुभ प्रभाव
मंगल ग्रह का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण होता है. यदि मंगल कुंडली में शुभ है तो व्यक्ति साहसी और उदार होता है. जब मंगल शुभ होता है तो व्यक्ति का आत्मविश्वास गजब का होता है. व्यक्ति को साहस के क्षेत्र में और तकनीकी क्षेत्र में बहुत सफलता मिलती है. मंगल के शुभ प्रभाव से व्यक्ति धनवान होता है और उसके पास काफी जमीन जायदाद होती है. पारिवारिक जीवन भी अच्छा रहता है और भाई-बहनों के साथ संबंध बेहतर होते हैं. शुभ मंगल वाले व्यक्ति को धन और भूमि संपत्ति की प्राप्ति हो सकती है. 28 वर्ष की आयु से सफलता मिल सकती है.
मंगल के अशुभ प्रभाव
यदि मंगल कुंडली में अशुभ है तो व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. यदि मंगल किसी कुंडली में खराब होगा तो व्यक्ति कूर और हिंसक स्वभाव का होगा. आत्मविश्वास और साहस का स्तर कमजोर होगा. संपत्ति और जमीन के मामले में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. रक्त संबंधी समस्याएं और कर्जा चढ़ा रहेगा. विवाह भाव से मंगल का संबंध हो तो वैवाहिक जीवन में मारपीट और झगड़े होंगे. चिंताएं लगातार बढ़ती जाती हैं. सेहत पर बुरा असर पड़ता है.
मंगल के अशुभ प्रभावों से बचने के उपाय
1. मंगल के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए मंगलवार का उपवास रखें और नमक का सेवन ना करें.
2. केवल जल और फल ग्रहण करें.
3. रोज सुबह और शाम हनुमान चालीसा का पाठ करें.
4. मंगल के मंत्र 'ओम अंगार काय नमः' का जप मध्य दोपहर में करें.
5. जमीन पर या जमीन के निकट सोने का प्रयास करें.
6. भाई-बहनों के साथ रिश्ते ठीक बनाए रखें.
शिव शांत करेंगे मंगल को
1. रोजाना जल में लाल पुष्प डाल कर शिव जी को चढ़ाएं.
2. लाल आसन पर बैठ कर शिवमंत्र का जप करें.
3. शिव जी को तांबे के लोटे से जल अर्पित करें.
4. जल अर्पण के बाद ऊं हौं जूं सः का जप करें.
5. थोड़ा सा जल लोटे में बचा लें.
6. बचे जल को प्रसाद के तौर पर लें.
7. बीमारी और रोग में जल्द लाभ दिखेगा.