इंसान के जीवन में ग्रहों का बहुत महत्व है. हर ग्रह इंसान को प्रभावित करता है. वह अलग बात है कि उनका फल शुभ हो या अशुभ. नवग्रहों में सूर्य के बाद ज्योतिष में सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रह होता है चन्द्रमा. ज्योतिष में चन्द्रमा के बिना कोई गणना नहीं की जा सकती इसलिए चंद्रमा का ज्योतिष में एक प्रमुख स्थान है.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चन्द्रमा गुरुत्वाकर्षण शक्ति और सारी पृथ्वी के जल तत्त्व को नियंत्रित करता है. मानव का मन और भावनाएं भी चन्द्रमा का ही क्षेत्र है. अगर चन्द्रमा को नियंत्रित किया जा सके तो निश्चित रूप से मानसिक दशा से अपार मजबूती पाई जा सकती है. चन्द्रमा का सम्बन्ध पेट और ह्रदय के रोग, एसिडिटी, नींद,आलस्य, मानसिक स्थिति, फूल, सुगंध, चांदी, गन्ना, माता, जलीय यात्रा और शासन प्रशासन से होता है.
क्या होता है जब चन्द्रमा अशुभ हो?
ऐसी स्थिति में व्यक्ति को सांस और शीतजन्य रोगों की समस्या हो जाती है. व्यक्ति का मन हमेशा बिना कारण परेशान रहता है. व्यक्ति को स्त्री पक्ष से या स्त्री को लेकर कष्ट बना रहता है. हारमोंस की समस्या और अवसाद का योग बनता है. नींद न आने की समस्या भी होती है. व्यक्ति बार-बार नींद में चौंक कर उठ जाता है. व्यक्ति को माता का सुख नहीं मिलता या व्यक्ति के सम्बन्ध माता से ख़राब हो जाते हैं.
क्या होता है जब चन्द्रमा शुभ हो?
जब चंद्रमा शुभ होता है तो व्यक्ति के चेहरे पर सौम्यता और करुणा होती है. व्यक्ति लोगों में काफी प्रसिद्ध होता है, खासकर महिलाओं में. इन्हें दूध और दूध से बनी चीजें खाना बहुत अच्छा लगता है. आम तौर पर गोल मटोल होते हैं. माता या स्त्रियों के सहयोग से जीवन में काफी आगे बढ़ते हैं. सुगन्धित जल से नहाने का खूब शौक होता है.
चन्द्रमा के अशुभ परिणाम कैसे दूर करें?
इसके लिए उपाय के तौर पर भगवान शिव को नियमित रूप से जल अर्पित करें. सोमवार को केवल जल और फल का सेवन करके उपवास रखें. चांदी की चेन अथवा चांदी का कड़ा धारण करें. काले रंग के वस्त्रों से और बहुत ज्यादा तीखी चीज़ों से परहेज करें. रात्रि में खुले आसमान के नीचे चन्द्रमा के मन्त्रों का जाप करें.