यह दोष शनि के कारण निर्मित होता है. शनि की दृष्टि जिस भाव या जिस ग्रह पर पड़ती है उसका नाश हो जाता है. जिस ग्रह को शनि देख लेता है , उस ग्रह का शुभ प्रभाव समाप्त हो जाता है. और वह ग्रह जीवन में समस्याएं देने लगता है. सूर्य पर दृष्टि हो तो अपयश , चन्द्र पर हो तो मानसिक रोग , मंगल पर हो तो दुर्घटनाएं , बुध पर हो तो भ्रम , बृहस्पति पर हो तो गंभीर रोग और शुक्र पर हो तो चरित्र दोष पैदा होता है.
This defect is created due to Saturn. The house or planet on which Saturn's sight falls gets destroyed. The auspicious effect of any planet which is seen by Saturn ends.