scorecardresearch

Amrik Sukhdev Dhaba Success Story: कभी ट्रक ड्राइवरों के लिए शुरू हुआ यह ढाबा आज कमाता है महीने में 8 करोड़ रुपये

हरियाणा के मुरथल का मशहूर अमरीक सुखदेव ढाबा दिन हो या रात, अपने पराठों का स्वाद कस्टमर्स को परोसता रहता है. एनएच-44 पर स्थित यह ढाबा अब सिर्फ़ खाने-पीने की जगह नहीं है बल्कि इस इलाके की एक खास पहचान बन गया है.

Amrik Sukhdev Dhaba (Photo: Linkedin) Amrik Sukhdev Dhaba (Photo: Linkedin)

आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐसे ढाबे के बारे में जो आज देश-दुनिया में मशहूर है. लेकिन इस ढाबे ने अपनी एडवरटाइजमेंट पर एक पैसा खर्च नहीं किया है और मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो इसका सालाना टर्नओवर करोड़ों में है. दिल्ली-एनसीआर वालों के लिए तो यह ढाबा फेवरेट फूड स्पॉट्स में से हैं जहां वे गाड़ी निकालकर कभी भी पहुंच जाते हैं. 

जी हां, हम बात कर रहे हैं अपने पराठों के लिए मशहूर अमरीक-सुखदेव ढाबे की. हरियाणा के मुरथल का मशहूर अमरीक सुखदेव ढाबा दिन हो या रात, अपने पराठों का स्वाद कस्टमर्स को परोसता रहता है. एनएच-44 पर स्थित यह ढाबा अब सिर्फ़ खाने-पीने की जगह नहीं है बल्कि इस इलाके की एक खास पहचान बन गया है. 

कैसे हुई थी शुरुआत 
हाल ही में, रॉकी सग्गू कैपिटल नाम के एक इंस्टाग्राम क्रिएटर ने अमरीक सुखदेव के सफ़र पर एक वीडियो शेयर किया. वह रियल एस्टेट और बिजनेस से संबंधित जानकारी शेयर करते हैं. उन्होंने इस मशहूर रेस्टोरेंट के बिज़नेस मॉडल के बारे में बात की और कुछ ऐसे आंकड़े भी साझा किए जो शायद किसी को नहीं पता. 

उनके अनुसार, आज यह रेस्टोरेंट सालाना लगभग 100 करोड़ रुपये कमाता है. उन्होंने बताया कि अमरीक सुखदेव रोज़ाना 5,000 से 10,000 ग्राहकों को खाना परोसता है. इसके लिए उनके पास लगभग 500 कर्मचारियों की एक टीम है. उन्होंने बताया कि 1956 में सरदार प्रकाश सिंह ने मुरथल में एक छोटा सा ढाबा शुरू किया था. 

उस समय, ढाबा साधारण था, जहां एक टेंट लगा होता था और दाल, रोटी, सब्ज़ी और चावल जैसी डिश परोसी जाती थीं. यह खाना मुख्य रूप से हाईवे से गुजरने वाले ट्रक ड्राइवरों के लिए होता था. वे चारपाई पर बैठकर खुले में खाना खाते थे. 1990 में, उनके बेटे, अमरीक और सुखदेव ने काम संभाला और इसे बढ़ाने का फैसला किया.

सफलता के बड़े कारण
अपने वीडियो में, रॉकी ने अमरीक सुखदेव ढाबे की सफलता के तीन कारण बताए: 

  • पहला यह था कि शुरुआती ग्राहकों के साथ कैसे विश्वास बनाया. वे ट्रक ड्राइवरों और कैब ड्राइवरों को फ्री या डिस्काउंड पर खाना देते थे. इससे एक वफादार कस्टमर बेस बनाने में मदद मिली जो बाद में रेगुलर ग्राहकों में बदल गया.
  • दूसरा कारण, परिवार का स्वाद पर ध्यान देना है. आज भी मेनू में शामिल करने से पहले हर एक नए व्यंजन को ढाबे के मालिक खुद चखते हैं.  
  • तीसरा कारण है स्पीड और स्केल. ढाबे में लगभग 150 टेबल हैं और वे हर एक ग्राहक के लिए 45 मिनट का टर्नअराउंड टाइम मैनेज करते हैं. इससे वे हर दिन लगभग 9,000 ग्राहकों को सर्विस दे पाते हैं. 

अपनी सफलता के बावजूद, उन्होंने कभी एड्वरटाइजमेंट पर ध्यान नहीं दिया. इसके बजाय, लोगों ने उनके बारे में लोगों से ही जाना और इससे उनके ग्राहक बढ़ते रहे. अमरीक सुखदेव न केवल भारत में एक आइकन हैं, बल्कि ग्लोबल लेवल पर भी पॉपुलर है. इस साल जनवरी में, इसे टेस्टएटलस की 'दुनिया के 100 सबसे प्रतिष्ठित रेस्टोरेंट' की सूची में स्थान मिला.