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SoulUp for mental health: दो IITians ने मिलकर शुरू किया यह अनोखा स्टार्टअप, मेंटल हेल्थ के लिए बना रहे हैं LinkedIn, जानिए कैसे

SoulUp एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो Peer to Peer Network बनाकर मानसिक सेहत पर काम कर रहा है. इससे लोग बिना झिझक के अपनी परेशानियों, डर के बारे में खुलकर बात कर सकते हैं.

SoulUp founders in Shark Tank India (Photo: Instagram) SoulUp founders in Shark Tank India (Photo: Instagram)
हाइलाइट्स
  • IITian हैं दोनों फाउंडर्स 

  • बना रहे हैं लिंक्डइन जैसा प्लेटफॉर्म

पिछले कुछ सालों में मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा बढ़ा है. अब बहुत से लोग खुलकर अपनी मेंटल हेल्थ के बारे में बात कर पा रहे हैं. और उन्हें समय पर मदद भी मिल रही है. इसका श्रेय जाता है ऐसे चेंजमेकर्स को जिन्होंने इस दिशा में काम किया. और आज हम आपको बता रहे हैं ऐसे ही दो चेंजमेकर्स के बारे में जो लोगों के लिए अपनी मेंटल हेल्थ के बारे में बात करने को आसान बना रही हैं.

यह कहानी है पुनीता मित्तल और महक माहेश्वरी की, जिन्होंने 'SoulUp' की शुरुआत की ताकि अवसाद, चिंता या किसी अन्य मानसिक परेशानी से जूझ रहे लोग एक-दूसरे की मदद से जिंदगी में आगे बढ़ें. बेंगलुरु स्थित इस स्टार्टअप का लक्ष्य "मानसिक स्वास्थ्य के लिए लिंक्डइन जैसा नेटवर्क" बनाकर आगे बढ़ाना है. जैसे लिंक्डइन पर लोग नौकरी तलशने और पाने में एक-दूसरे की मदद करते हैं वैसे मेंटल हेल्थ पर भी एक-दूसरे की मदद करें. 

IITian हैं दोनों फाउंडर्स 
बिजनेस इनसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक, को-फाउंडर्स मित्तल और माहेश्वरी करीब दो साल से एक-दूसरे को जानते हैं, लेकिन पहली बार अपने कुछ कॉमन दोस्तों के जरिए मिले थे. पुनीता मित्तल IIT दिल्ली और ISB हैदराबाद की पूर्व छात्रा हैं, और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में उन्हें 13 वर्षों से अधिक का अनुभव है - उन्होंने फिटनेस ऐप HealthifyMe को लीड किया है और इसे दुनिया का पहला वर्चुअल फिटनेस कोच बनाया. 

दूसरी ओर माहेश्वरी आईआईटी बॉम्बे की पूर्व छात्रा हैं. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मैनेजमेंट कंसल्टिंग कंपनी बैन एंड कंपनी के साथ की थी. और अब यह उनका तीसरा वेंचर है. उन्होंने सोलअप से पहले D2C स्नैक्स स्टार्टअप WeDesi और हेल्थ-टेक स्टार्टअप प्रोएक्टिव फॉर हर की स्थापना की थी. 

सोलअप का आइडिया मित्तल को ऑरोविल में वॉलंटियरिंग करने के दौरान आया. उन्होंने देखा कि लोग कैसे वहां बिना किसी हिचक के खुलकर बात करते हैं. वहां हर कोई अपने अनुभव साझा करते है और कोई एक-दूसरे को हीन भावना से नहीं देखता क्योंकि सबका कुछ न कुछ अनुभव है. इसी आइडिया के साथ उन्होंने फरवरी 2022 में सोल अप की शुरुआत की. 

इस तरह करते हैं काम
सोलअप कई क्षेत्रों में 'पीयर कन्वर्सेशन' (Peer Conversation) के लिए एक प्लेटफॉर्म देता है- जैसे रिश्ते, स्वास्थ्य / चिकित्सा मुद्दे, पैरेंटिंग, करियर, आत्म-विकास और मानसिक बीमारी. सोलअप पर सभी डिस्कसन वीडियो कॉल के माध्यम से होते हैं. बात सोल अप की सर्विसेज की करें तो, 1-ऑन-1 कनेक्ट सर्विस में यूजर्स सोलअप वेरिफाइड 'साथियों' के साथ वीडियो कॉल पर बातचीत करते हैं और ऐसे लोगों से जुड़ते हैं जो उनकी ही तरह मानसिक परेशानियों से जूझ रहे हैं.

45 मिनट लंबी बातचीत के लिए कीमत ₹199-399 है. इन साथियों को अपनी एक वेरिफाइंग प्रोसेस से गुजरना पड़ता है. जैसे अगर कोई मेंटल हेल्थ कंडीशन होने का दावा करता है तो उन्हें इसका प्रमाण देना होगा. पूरी प्रोसेस के बाद उन्हें बेंगलुरु में हैंक नन संस्थान के सहयोग से ऑनलाइन ट्रेनिंग करनी पड़ती है.

इसके अलावा, ग्रुप कंवर्सेशन भी उनकी एक सर्विस है. जिसमें 6-7 यूजर्स का ग्रुप होता है और एक एक्सपरे्ट के साथ वे अलग-अलग टॉपिक्स पर बात करते हैं. सोलअप ने हाल ही में स्टिरअप्स नामक लंबे समय तक चलने वाले ग्रुप भी शुरू किए हैं. स्टिरअप्स ग्रुप थेरेपी की तर्ज पर हैं. उनके पास कोई विशिष्ट विषय नहीं है और वे 6 महीने से एक वर्ष तक चलते हैं. 

शार्क टैंक से मिली फंडिंग
शार्क टैंक इंडिया सीजन 2 में सोलअप ने खुद को पिच किया था और फाउंडर्स ने 5% इक्विटी के बदले 50 लाख रुपए की फंडिंग मांगी थी. शार्क टैंक इंडिया में उनके आने से उनकी काफी पॉप्यूलैरिटी बढ़ी है. बिजनेस इनसाइडर के मुताबिक, सोल अप ने 1,200 से ज्यादा बातचीत (Conversation) की हैं और 300 से ज्यादा साथियों (Peers) का नेटवर्क है. सोल अप के सोशल मीडिया (इंस्टाग्राम पेज, लिंक्डइन पेज) पर 8,000 से ज्यादा लोगों की सामूहिक पहुंच है. 

सोलअप का यूजर आधार टियर-1, 2 और 3 शहरों में फैला हुआ है और इसके लगभग 10% यूजर्स विदेशों से हैं. सोलअप ने शार्क टैंक इंडिया पर आने के तुरंत बाद ट्रैफिक में 10 गुना बढ़ोतरी और रेवेन्यू में भी अच्छी बढ़ोतरी देखी. शार्क टैंक में उन्होंने नमिता थापर का ऑफर लिया. और अब लगातार लोगों की मानसिक सेहत को बेहतर करने के लि काम कर रहे हैं.