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Success Story: जानिए कैसे गुजरात के किसान भाइयों ने दुबई में खड़ा किया वेजिटेरियन होटल भावना

भावना रेस्टोरेंट सिर्फ़ नमकीन खाने तक सीमित नहीं रहा. 1970 के दशक के अंत में यहां भारतीय मिठाइयां भी बनने लगीं.

Bhavna Restaurant (Photo: Facebook) Bhavna Restaurant (Photo: Facebook)

एक जमाना था जब दुबई की भीड़भाड़ वाली गलियों में बैठकर गरमागरम पुरी-भाजी खाना लोगों को कल्पना लगता था लेकिन आज यह हकीकत है. यह सिर्फ़ खाना नहीं, बल्कि उन लोगों के लिए घर की यादों का स्वाद है, जो भारत से दूर हैं. यही जादू है दुबई के मशहूर भवना रेस्टोरेंट का, जो पिछले 50 सालों से गुजराती शाकाहारी भोजन की पहचान बना हुआ है.

शुरुआत कैसे हुई
रेस्टोरेंट के मालिक परिमल जोशी ने गल्फ न्यूज को बताया कि यह सफर उनके पिता और चाचा ने शुरू किया था. वे गुजरात के पोरबंदर के किसान थे, जिन्होंने 1976 में थोड़ी-सी बचत के साथ दुबई का रुख किया. उन्हें लगा कि यहां असली गुजराती शाकाहारी खाना नहीं मिलता. इस कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने हिम्मत दिखाई और रेस्टोरेंट खोल दिया.

1979 में जब परिमल सिर्फ़ छह महीने के थे, पूरा परिवार दुबई आ गया. तभी से ग्राहकों का प्यार लगातार मिलता रहा. शुरुआत से ही पुरी-भाजी यहां की पहचान रही. इसके साथ समोसे, गुजराती थाली और मुलायम फुल्का चपाती भी हमेशा लोगों को आकर्षित करते रहे. पचास सालों में बहुत बदलाव आए, लेकिन खाने का स्वाद और ग्राहकों को अच्छी सेवा देने का वादा वही रहा.

त्योहार और मिठाइयां
भावना रेस्टोरेंट सिर्फ़ नमकीन खाने तक सीमित नहीं रहा. 1970 के दशक के अंत में यहां भारतीय मिठाइयां भी बनने लगीं. दीवाली और जन्माष्टमी पर मिठाइयों की मांग इतनी बढ़ जाती है कि बुकिंग 70-80 ऑर्डर तक पहुंच जाती है. जोशी बताते हैं, “त्योहारों पर हम सुबह 6 बजे से रात तक लगातार काम करते हैं.”

शुरुआत में सिर्फ़ 6-7 लोगों से चले रेस्टोरेंट ने धीरे-धीरे पूरे यूएई में नौ शाखाएं बना लीं. हालांकि, अब सिर्फ़ अल फहीदी स्ट्रीट वाला भवना रेस्टोरेंट बचा है, जो पिछले 32 साल से चल रहा है. आज भी 75 साल के परिमल के पिता हर सुबह सबसे पहले काम पर पहुंचते हैं.

पुराने दुबई की यादें
परिमल बताते हैं कि उन्होंने दुबई को बदलते देखा है. पहले पार्किंग फ्री थी, पेट्रोल सस्ता था, और चारों तरफ़ खुली जगहें थीं. ट्रेड सेंटर सबसे बड़ी इमारत थी, और उसे देखकर ही लगता था कि आप दुबई पहुंच गए हैं. वे कहते हैं कि 80 और 90 के दशक का दुबई अलग था. अब बहुत कुछ बदल गया है, लेकिन पुरानी यादें हमेशा दिल में रहती हैं.

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