Madhubani Artist Shilpi Kumari
Madhubani Artist Shilpi Kumari फूल और पत्तियों से रंग तैयार कर मधुबनी पेंटिंग और टिकुली कला में रंग भरने वाली बिहार की एक बेटी देशभर में अपनी पहचान बना रही है. यह कहानी है मुज़फ्फरपुर के रामबाग में रहने वाली शिल्पी कुमारी की. शिल्पी को बचपन से ही रंगों और पेंटिग का शौक था. लेकिन तब उन्हें यह नहीं पता था कि वह एक दिन इसी शौक को अपनी पेशा बनाएंगी. शिल्पी ने मनोविज्ञान विषय में मास्टर्स की हुई है लेकिन कहते हैं कि कई बार पैशन इंसान को पहचान देता है. शिल्पी के साथ भी कुछ ऐसा ही है.
शिल्पी ने बताया कि दरभंगा में उनका ननिहाल है और वहीं पर बचपन में उन्होंने लोगों को मधुबनी पेंटिंग बनाते देखा. पहली ही नजर में मधुबनी पेंटिंग ने उनका मन मोह लिया. लेकिन सबसे दिलचस्प बात थी कि सिर्फ पेंटिंग नहीं बल्कि शिल्पी ने इस चित्रकला की पूरी प्रक्रिया को सीखने और समझने की मेहनत की. उन्होंने सीखा कि पहले के लोग कैसे प्राकृतिक चीजों से रंग बनाकर इस्तेमाल करते थे और वह आज भी पर्यावरण के अनुकूल इस प्रोसेस को फॉलो कर रही हैं.
रामायण काल से मिली प्रेरणा
शिल्पी कहती हैं कि उनके मन में यह जानने की जिज्ञासा हुई कि पूर्व काल में रंग किस प्रकार तैयार किया जाता था? तब उन्हें रामायण काल से प्रेरणा मिली. उस समय फूल और पत्तियों से रंग तैयार करने की जानकारी मिली. इसके बाद वह खुद इस पर शोध और अभ्यास करने लगीं. उन्होंने फूल और पत्तियों से हर्बल रंग तैयार किया. इन्हीं रंगों से अब वह टिकुली कला और मधुबनी पेंटिंग तैयार करती हैं.
शिल्पी खुद के सपने तो पूरे कर ही रही हैं, लेकिन साथ ही, वह अपने आसपास के बच्चों को भी ऑर्गनिक रंग तैयार करने, मधुबनी पेंटिंग व टिकुली कला का नि:शुल्क प्रशिक्षण दे रही हैं. 10 सालों से लोककला पर काम कर रहीं शिल्पी आजकल के बच्चों को इन स्थानीय कलाओं से जोड़ रही हैं.
स्कूलों में कराती हैं ट्रेनिंग
शिल्पी ने अपनी इंटर यानी की 12वीं की पढ़ाई के लिए इंटर कॉलेज में दाखिला लिया था. यहां पर उन्होंने कॉलेज लेवल पर होने वाले आयोजन में अपनी कला का प्रदर्शन किया. फिर एक शिक्षक ने उन्हें गोवा के Going to School नामक संस्थान से जुड़ने की सलाह दी. इस संस्थान से जुड़ने के बाद वह सरकारी विद्यालयों में जाकर बच्चों को इस कला का प्रशिक्षण देने लगीं. साथ ही पेंटिंग बनाकर और रंग तैयार कर अलग-अलग मंच पर इसका प्रदर्शन भी शुरू किया.
धीरे-धीरे उनकी कला को पहचान मिलने लगी. शिल्पी राज्य और देश स्तर पर 40 से ज्यादा अवॉर्ड जीत चुकी हैं. वर्तमान में वह 15 बच्चों को प्रशिक्षण दे रही हैं. शिल्पी कहती हैं कि बाजार में बिकने वाले सिंथेटिक रंग से पर्यावरण दूषित होता है, इसलिए वह ऑर्गनिक रंग तैयार करती हैं. उनका उद्देश्य पर्यावरण को सुरक्षित, स्वच्छ और शुद्ध बनाए रखना है.
लाखों में है कमाई
शिल्पी घर पर ही मधुबनी पेंटिंग वाली साड़ी, दुपट्टा और सूट आदि तैयार करती हैं. शिल्पी ने बताया की एक पेंटिंग तैयार करने में 100 से दो सौ रुपए तक खर्च लगता है और 1500 रुपए तक की कीमत में उनकी पेंटिग बिकती है. इसी तरह मधुबनी पेंटिंग की साड़ी, सूट और ओढ़नी आदि की भी अच्छी कीमत मिलती है. उन्हें लगातार ऑनलाइन ऑडर मिलते रहते हैं. स्कूलों में ट्रेनिंग और और अपने पेंटिंग के काम से आज शिल्पी सालाना लाखों रुपए की कमाई कर रही हैं. साथ ही, अपने मन का काम करके वह बहुत ही खुश हैं.
(मणि भूषण शर्मा की रिपोर्ट)