scorecardresearch

Budget 2023: बजट से एक दिन पहले क्यों पेश होता है इकोनॉमिक सर्व...क्या है इसका इतिहास और क्यों है ये जरूरी?

वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को देश का बजट पेश कर दिया है. बजट से एक दिन पहले इकोनॉमिक सर्वे पेश किया जाता है. इकोनॉमिक सर्वे एक तरीके से केंद्र सरकार का आधिकारिक रिपोर्ट कार्ड भी माना जाता है जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक रोडमैप देता है.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2023 को बजट पेश करेंगी. उससे पहले संसद के बजट सत्र की शुरुआत के साथ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज लोकसभ में इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) पेश किया है.आर्थिक सर्वेक्षण दस्तावेज क्या है? यह महत्वपूर्ण क्यों है? इसे कौन तैयार करता है? आज इसके बारे में बात करेंगे.

भारत का इकोनॉमिक सर्वे दस्तावेज़ वित्त मंत्रालय द्वारा तैयार किया जाता है. विशेष रूप से, आर्थिक मामलों के विभाग का आर्थिक प्रभाग दस्तावेज़ को मुख्य आर्थिक सलाहकार की विशेषज्ञ देखरेख में लिखता है. सीईए वी अनंत नागेश्वरन ने वार्षिक दस्तावेज तैयार किया है. सीईए वी अनंत नागेश्वरन बजट की पूर्व संध्या पर दस्तावेज पेश करेंगे. दस्तावेज़ आर्थिक संकेतक आंकड़ों के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति में अंतर्दृष्टि देता है. वह अगले वर्ष के लिए सरकार के आर्थिक दृष्टिकोण को भी रेखांकित करेंगे.

क्या होता है Economic Survey?
सर्वेक्षण, जिसे केंद्र सरकार का आधिकारिक रिपोर्ट कार्ड भी माना जाता है, देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक रोडमैप देता है और आगे का रास्ता बताता है. आर्थिक सर्वेक्षण वित्तीय वर्ष के दौरान पूरे देश में वार्षिक आर्थिक विकास का सारांश प्रदान करता है.वार्षिक सर्वेक्षण बुनियादी ढांचे, कृषि और औद्योगिक उत्पादन, रोजगार, कीमतों, निर्यात, आयात, मुद्रा आपूर्ति, विदेशी मुद्रा भंडार और भारतीय अर्थव्यवस्था और बजट पर प्रभाव डालने वाले अन्य कारकों के रुझानों का विश्लेषण करता है.

सर्वेक्षण आर्थिक विकास के पूर्वानुमान भी देता है. यह जस्टिफिकेशन और विस्तृत कारण प्रदान करता है कि यह क्यों मानता है कि अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ेगी या धीमी होगी. कभी-कभी यह कुछ विशिष्ट सुधार उपायों का भी तर्क देता है.ये एक तरीके से हमारी अर्थव्‍यवस्‍था के लिए डायरेक्‍शन देने का काम करता है.

कौन तैयार करता है?
फाइनेंस मिनिस्‍ट्री के अंतर्गत एक विभाग होता है इकोनॉमिक अफेयर्स और इकोनॉमिक अफेयर्स के अंतर्गत इकोनॉमिक डिवीजन होता है. इसी इकोनॉमिक डिवीजन के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर यानी CEA की देख-रेख में इकोनॉमिक सर्वे तैयार किया जाता है.

क्या है इतिहास?
आर्थिक सर्वेक्षण केंद्रीय बजट के अग्रदूत के रूप में भी कार्य करता है क्योंकि यह मोटे तौर पर बजट दस्तावेज़ की बनावट को रेखांकित करता है. वित्तीय वर्ष 1950-51 में आर्थिक सर्वेक्षण को प्रस्तुत करने की प्रथा अस्तित्व में आई. पहले यह बजट के दस्तावेजों का हिस्सा हुआ करता था. 1960 के दशक में यह एक अलग अभ्यास बन गया. तब से, भारत का आर्थिक सर्वेक्षण केंद्रीय बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है. 

इस दस्तावेज़ का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा केंद्रीय विषय है. दस्तावेज का यह पहलू अगले वर्ष के लिए केंद्र सरकार के आर्थिक दृष्टिकोण को प्रकट करता है. उदाहरण के लिए, पिछले साल का केंद्रीय विषय 'एजाइल अप्रोच' (Agile approach)था. इस विषय ने कोरोनावायरस महामारी से प्रेरित आर्थिक झटके के बाद आर्थिक विकास को पुनर्जीवित करने की भारत की योजना पर जोर दिया. वित्त वर्ष 2022-23 के लिए, आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया था कि एजाइल अप्रोच में वास्तविक परिणामों की वास्तविक समय की निगरानी, ​​लचीली प्रतिक्रियाएं, सुरक्षा-शुद्ध बफर आदि शामिल हैं.आर्थिक सर्वेक्षण में क्षेत्र आधारित अध्याय हैं. यह आवश्यकता-आधारित अध्याय भी जोड़ता है.

ऐप पर भी होगा उपलब्ध
2022 में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में 2022-23 में भारत की जीडीपी वृद्धि 8.0-8.5 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया था, जिसे सरकार ने व्यापक वैक्सीन कवरेज, आपूर्ति-पक्ष सुधारों से लाभ और नियमों में ढील, मजबूत निर्यात वृद्धि और पूंजीगत व्यय को बढ़ाने के लिए उपलब्धता द्वारा समर्थित फिसकल स्पेस की जरूरत महसूस की गई. बजट 2023 संभवतः 2024 के आम चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पढ़ा गया आखिरी पूर्ण बजट होगा. यह बजट पिछले बजट की तरह काफी हद तक पेपरलेस फॉर्म में होगा. निर्मला सीतारमण के द्वारा बजट पेश किए जाने के बाद आप बजट दस्तावेज को केंद्रीय बजट मोबाइल ऐप पर देख सकते हैं.