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Budget 2023: इनकम टैक्स के रेट घटाने की तैयारी में सरकार ! बजट में मिल सकती है ये बड़ी गुड न्यूज

आपको बता दें, 2017-18 से इनकम टैक्स रेट्स में कोई भी बदलाव नहीं हुआ है. पिछले पांच सालों में अगर कुछ घटा-बढ़ा है तो वो है 'नई कर व्यवस्था'. 1 फरवरी 2020 को पेश 2020-21 के केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री सीतारमण ने 'नई कर व्यवस्था' की शुरुआत की थी.

Nirmala Sitharaman Nirmala Sitharaman
हाइलाइट्स
  • वर्तमान में, नई कर व्यवस्था के तहत 7 टैक्स स्लैब उपलब्ध हैं.

इस साल होने जा रहे विधानसभा चुनावों और 2024 के आम चुनाव से पहले आ रहे बजट में सरकार देश के टैक्सपेयर्स को बड़ी खुशखबरी दे सकती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक 1 फरवरी 2023 को आ रहे बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण टैक्स की दरों में कमी और टैक्स स्लैब में बदलाव का ऐलान कर सकतीं हैं. हालांकि इस पर अभी तक सरकार की तरफ से कोई भी आधिकारिक बयान नहीं आया है.      
 
आपको बता दें, 2017-18 से इनकम टैक्स रेट्स में कोई भी बदलाव नहीं हुआ है. पिछले पांच सालों में अगर कुछ घटा-बढ़ा है तो वो है 'नई कर व्यवस्था'.  1 फरवरी 2020 को पेश 2020-21 के केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री सीतारमण ने 'नई कर व्यवस्था' की शुरुआत की थी.  
 
बजट 2023 से उम्मीद 
विशेषकर मिडिल क्लास वालों के लिए 'नई कर व्यवस्था' को और ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए सरकार टैक्स स्लैब और टैक्स रेट्स में बदलाव कर सकती है. रिपोर्ट्स की माने तो नई कर व्यवस्था के तहत सरकार 30 फीसदी और 25 फीसदी टैक्स की दर कम कर सकती है. इसके अलावा इस बार इनकम टैक्स छूट की सीमा को 2.5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख किया जा सकता है. अगर ऐसा होता है तो 5 लाख तक सालाना इनकम पर कोई इनकम टैक्स नहीं देना होगा.           

मौजूदा टैक्स व्यवस्था
टैक्स फाइल करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए सरकार 2020 में नई कर व्यवस्था लेकर आई. करदाता नई कर व्यवस्था को चुन सकता है या फिर पुरानी व्यवस्था को ही जारी रख सकता है. इस समय व्यक्तिगत करदाताओं की तीन श्रेणियां हैं: व्यक्ति (60 वर्ष से कम आयु) जिसमें रेजिडेंट और नॉन रेजिडेंट इंडियंस शामिल हैं, रेजिडेंट वरिष्ठ नागरिक (60 वर्ष और उससे अधिक लेकिन 80 वर्ष से कम आयु) और रेजिडेंटअति वरिष्ठ नागरिक (80 वर्ष से अधिक) शामिल हैं. 
   
नई कर व्यवस्था- New tax regime
वर्तमान में, नई कर व्यवस्था के तहत 7 टैक्स स्लैब उपलब्ध हैं. इसके मुताबिक 2.5 लाख रुपये तक की सालाना आय वालों को टैक्स से छूट है. 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक की आय वालों को 5 प्रतिशत टैक्स देना होगा. 5 से 7.5 लाख रुपये की आय पर 10 प्रतिशत और 7.5 से 10 लाख रुपये के बीच की आय पर 15 प्रतिशत कर लगाया जाता है. 10 से 12.5 लाख रुपये तक की आय वालों को 20 प्रतिशत की दर से कर देना होता है, जबकि 12.5 रुपये से 15 लाख रुपये के बीच वालों को 25 प्रतिशत की दर से कर देना होता है. 15 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 30 फीसदी टैक्स लगता है. 

नई कर व्यवस्था में टैक्स डिडक्शन के बहुत सारे फायदे नहीं मिलते इसलिए ज्यादातर लोग पुरानी कर व्यवस्था का इस्तेमाल करते हैं. इसी को आकर्षक बनाने के लिए सरकार बजट में बड़े ऐलान कर सकती है.   
 
पुरानी कर व्यवस्था-Old tax regime
पुरानी कर व्यवस्था के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की कुल आय 2.5 लाख रुपये से अधिक नहीं है, तो कोई टैक्स नहीं देना है. यदि आय 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये के ब्रैकेट में आती है, तो 5 प्रतिशत आयकर देना होता है. हालांकि, 5 लाख रुपये तक की कमाई करने वाले आयकर (आई-टी) अधिनियम की धारा 87ए के तहत 12,500 रुपये की छूट का दावा कर सकते हैं. 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों के लिए 20 प्रतिशत की दर से टैक्स काटा जाता है. अगर किसी व्यक्ति की कुल आय 10 लाख रुपये से ज्यादा है तो 30 फीसदी टैक्स देना होता है.