EPFO ने ज्यादा पेंशन के लिए फिर बढ़ाई डेडलाइन, इस तारीख तक करें अप्लाई
EPFO ने ज्यादा पेंशन के लिए फिर बढ़ाई डेडलाइन, इस तारीख तक करें अप्लाई ईपीएफओ यानी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने कर्मचारी पेंशन योजना के तहत ज्यादा पेंशन के विकल्प के लिए डेडलाइन एक बार फिर बढ़ा दी गई है. पहले इसकी डेडलाइन 3 मई को समाप्त हो रही थी, लेकिन अब इसे करीब दो महीने के लिए बढ़ा दिया गया है. बता दें कि इससे उन लोगों को खास फायदा होगा जो ज्यादा पेंशन योजना वाली स्कीम को चुनना चाह रहे थे, लेकिन कुछ कारणों से ऐसा नहीं कर पाए थे. अब ऐसे लोगों को अपना पसंदीदा विकल्प चुनने के लिए और समय मिल गया है.
गौरतलब है कि इसकी डेडलाइन दूसरी बार बढ़ाई गई है. सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में 4 नवंबर 2022 को दिए एक आदेश में 3 मार्च तक की समयसीमा तय की थी. ईपीएफओ ने उसके बाद ज्यादा पेंशन पाने के लिए विकल्प चुनने के लिए समय सीमा को 3 मई यानी आज तक के लिए बढ़ा दिया था. जिसे अब और आगे बढ़ाया गया है. डेडलाइन बढ़ने के बाद आप 26 जून, 2023 तक ज्यादा पेंशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं.
क्यों बढ़ाई गई है डेडलाइन?
पहली बार जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 4 महीने के बाद डेडलाइन तय की थी, तब ईपीएफओ को पात्र कर्मचारियों के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा बहाल करने में काफी समय लग लग गया था. ईपीएफओ ने ये सुविधा फरवरी में शुरू की थी. उस वक्त तक सुप्रीम कोर्ट की दी गई डेडलाइन का तीन महीना पहले ही बीत चुका था. इसी वजह से ईपीएफओ ने मार्च में डेडलाइन को आगे बढ़ाने का फैसला किया था. लेकिन अभी भी कई ऐसे कर्मचारी हैं, जो इसको लेकर निर्णय नहीं ले पाए हैं. ऐसे में इस कर्मचारियों को अच्छे से समझ कर फैसला लेने का और समय मिल गया है.
ऐसे करें अप्लाई:
अगर आप उच्च पेंशन का विकल्प चुनते हैं, तो आप अपनी कंपनी के एचआर विभाग से संपर्क कर सकते हैं. अगर आप स्वयं आवेदन करना चाहते हैं, तो आप इसके लिए ईपीएफओ की वेबसाइट पर आवेदन कर सकते हैं.
ईपीएफओ साइट पर, आपको दो विकल्प दिखेंगे. अगर कर्मचारी 1 सितंबर 2014 से पहले सेवानिवृत्त हुआ है और वह अधिक पेंशन चाहता है तो उसे पहले विकल्प का चयन करना होगा. वहीं अगर कोई अभी भी नौकरी कर रहा है तो उसे दूसरा विकल्प चुनना होगा.
कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) के तहत उच्च पेंशन योजना के लिए आवेदन करने के लिए कर्मचारियों को दूसरे विकल्प पर क्लिक करना होगा और इसके बाद उनके सामने "रजिस्ट्रेशन रिक्वेस्ट" फॉर्म खुलेगा. कर्मचारियों को यहां पर अपने यूएएन और आधार जैसे विवरण भरने होंगे. फॉर्म जमा करने के बाद, कंपनी को कर्मचारी की वर्तमान एम्प्लॉयमेंट स्टेटस की कन्फर्मेशन रिक्वेस्ट मिलेगी. इसके बाद जब कंपनी कंफर्म करेगी तो उच्च पेंशन के लिए कंट्रीब्यूशन शुरू हो जाएगा.
ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया में केवल 5 मिनट का समय लगता है. आपको बता दें कि ईपीएफओ उच्च पेंशन योजना के लिए आप ऑफलाइन आवेदन भी कर सकते हैं. आप अपने नजदीकी ईपीएफओ कार्यालय में जा सकते हैं या इसके लिए देश के विभिन्न हिस्सों में स्थापित कैंपस में भाग ले सकते हैं. इससे लोगों के लिए फॉर्म भरना और उच्च पेंशन के लिए आवेदन करना आसान हो जाता है.
ऐसे शुरू हुई थी स्कीम
कर्मचारी पेंशन योजना का लाभ कुछ साल पहले बहुत कम लोगों को मिलता था. इसके पहले ये लाभ केवल सरकारी कर्मचारी उठा सकते थे. हालांकि बाद में सरकार ने इस योजना का विस्तार किया और सामाजिक सुरक्षा का लाभ प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों को भी मिलने लगा. ये बदलाव साल 1995 में हुआ था इस कारण इस स्कीम को ईपीएस-95 यानी कर्मचारी पेंशन योजना-1995 के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि ईपीएस को कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम के तहत शुरू किया गया था, इसलिए इसका लाभ हर उस कर्मचारी को मिलने लगा, जो इसके दायरे में आते थे. लेकिन इसमें एक शर्त थी जिन कर्मचारियों की बेसिक सैलरी और डीए 15 हजार रुपये महीना है, सिर्फ उन्हें ही ईपीएफ का लाभ मिलेगा.
कैसे मिलेगी ज्यादा पेंशन
ईपीएस में कर्मचारी अपनी ओर से कोई योगदान नहीं देता है. कंपनी की ओर से कुल 12 फीसदी का योगदान दिया जाता है. उसमें से ही 8.33 फीसदी हिस्सा ईपीएस में जाता है. क्योंकि पेंशन योग्य सैलरी की लिमिट 15 हजार है, इस कारण ईपीएस का योगदान भी 1,250 रुपये पर सीमित हो जाता है. कंपनी के अंशदान में इससे ज्यादा जो भी रकम होती है, वो ईपीएफ में चली जाती है. अब चूंकि ईपीएस में बढ़ा योगदान भी कंपनी के हिस्से से जाना है, इसका मतलब हुआ कि अधिक पेंशन का विकल्प चुनने पर भी टेक होम सैलरी या इन हैंड सैलरी पर कोई असर नहीं होगा
क्या हैं इस स्कीम के नुकसान
ईपीएस-95 का विकल्प चुनने पर आपको एक ओर रिटायरमेंट के बाद पेंशन कुछ ज्यादा मिलेगी, लेकिन एकमुश्त मिलने वाली पीएफ की रकम कम हो जाएगी. दूसरा नुकसान ये है कि पीएफ में कर्मचारियों को चक्रवृद्धि ब्याज का फायदा मिलता है. अब चूंकि पीएफ का हिस्सा ईपीएस में जाएगा तो चक्रवृद्धि का फायदा भी कम हो जाएगा. इसको चुनने एक और बड़ा नुकसान ये है कि आप जल्दी रिटायर नहीं हो सकते हैं. इसका लाभ सिर्फ उन्हीं लोगों को मिलता है, जो या तो 58 साल की उम्र तक या कम से कम 10 साल तक काम करते हैं. ईपीएस में तुलनात्मक रूप से ब्याज कम मिलता है. इसके अलावा एक अन्य लाभ अनहोनी की स्थिति में है. अगर आपके साथ कोई अनहोनी हो जाती है तो ईपीएफ की सारी रकम आपके नॉमिनी का मिल जाती है.