Raj Subramaniam (photo twitter)
Raj Subramaniam (photo twitter) प्रवासी भारतीय सम्मान से वैश्विक परिवहन कंपनी फेडेक्स के सीईओ राज सुब्रमण्यम को सम्मानित किया गया. यूएस में इंडिया के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने इंडिया हाउस में आयोजित एक समारोह में यह पुरस्कार राज सुब्रमण्यम प्रदान किया. राज इस साल की शुरुआत में पुरस्कार लेने के लिए भारत नहीं जा सके थे. इस मौके पर एक अन्य पुरस्कार विजेता दर्शन सिंह धालीवाल भी मौजूद थे.
यह सम्मान भारतीय मूल के व्यक्तियों और भारतीय प्रवासियों को भारत की ओर से दिया जाने वाला सर्वोच्च नागरिक सम्मान है. यह पुरस्कार विदेशों में भारत के बारे में बेहतर समझ बनाने, भारत के कारणों का समर्थन करने और स्थानीय भारतीय समुदाय के कल्याण के लिए काम करने के लिए दिया जाता है.
समारोह में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी थीं मौजूद
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अमेरिका की वाणिज्य मंत्री जीना रायमोंडो के साथ बाइडन प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी और सैकड़ों भारतीय अमेरिकी इस कार्यक्रम में मौजूद थे. सुब्रमण्यम दुनिया की सबसे बड़ी परिवहन कंपनियों में से एक फेडेक्स कॉरपोरेशन के प्रेसीडेंट और सीईओ हैं.
केरल से है संबंध
सुब्रमण्यम केरल स्थित तिरुवनंतपुरम के रहने वाले हैं. वह फिलहाल टेनेसी के मेम्फिस में रहते हैं. आईआईटी-मुंबई से केमिकल इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने सायराक्यूज यूनिवर्सिटी से केमिकल इंजीनियरिंग में मास्टर की डिग्री हासिल की थी. एस्टिन के टेक्सास यूनिवर्सिटी से एमबीए भी किया है. राज सुब्रमण्यन को 2020 में फेडेक्स के बोर्ड में शामिल किया गया था. प्रेसिडेंट और चीफ ऑपरेटिंग अफसर बनने से पहले सुब्रमण्यन फेडेक्स एक्सप्रेस के प्रेसिडेंट और सीईओ थे.
कई बड़ी संस्थाओं में दे चुके हैं सेवा
राज सुब्रमण्यम फर्स्ट हराइजन कॉर्पोरेशन के बोर्ड के सदस्य भी रह चुके हैं. इसके अलावा उन्होंने कई कंपनियों मे अहम जिम्मेदारियों को संभाला है. कॉर्पोरेट दुनिया में राज के योगदान के लिए आईआईटी-मुंबई की ओर से उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है. यूनिवर्सिटी ऑफ मेम्फिस में फोगेलमैन कॉलेज ऑफ बिजनेस एंड इकोनॉमिक्स ने उन्हें हॉल ऑफ फेम में शामिल किया था. सुब्रमण्यम के नेतृत्व में, FedEx ने मई और जून 2021 में भारत को कोविड-19 से निपटने में मदद करने के लिए ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर, पीपीई और अन्य महत्वपूर्ण आपूर्ति की तीन बोइंग 777F चार्टर उड़ानें दान की थी.