वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए 50,000 रुपये की मानक कटौती का प्रावधान है.
वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए 50,000 रुपये की मानक कटौती का प्रावधान है. बजट घोषित होने में दो सप्ताह से भी कम समय बचा है. इस बार करदाताओं को वित्त मंत्री से कुछ राहत की उम्मीद है. कई लोग उम्मीद कर रहे हैं कि बेसिक छूट मौजूदा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाई जाएगी, जबकि कई अन्य चाहते हैं कि टैक्स स्लैब में बदलाव किया जाए ताकि उनकी कर देनदारी कम हो सके. अमीर से अमीर लोग भी उम्मीद कर रहे होंगे कि उनके टैक्स पर लगाए गए सरचार्ज को हटा लिया जाए.
50,000 रुपये की मानक कटौती का है प्रावधान
नियम बदलें या न बदलें, मौजूदा कर प्रावधान स्मार्ट करदाता को अपना कर कम करने के पर्याप्त अवसर देते हैं. अगर सही तरीके से प्लैन किया जाए, 10 लाख रुपये से भी अधिक की कर योग्य आय वाला व्यक्ति भी कर के दायरे से बच सकता है. मान लीजिए कि व्यक्ति की वेतन से कुल आय 10 लाख रुपये और ब्याज आय 20,000 रुपये है. सबसे पहले, वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए 50,000 रुपये की मानक कटौती का प्रावधान है. इससे कर योग्य आय घटकर 9.7 लाख रुपये रह जाएगी.
80सी के तहत बचा सकते हैं 1.5 लाख रुपये
फिर सेक्शन 80सी के तहत टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट आते हैं, जिससे टैक्सेबल इनकम 1.5 लाख रुपये तक कम हो सकती है. धारा 80CCD(1b) के तहत NPS में निवेश करके 50,000 रुपये और कम किए जा सकते हैं. इन दोनों कटौतियों को मिलाकर कर योग्य आय घटकर 7.7 लाख रुपये हो जाएगी. होम लोन की कटौती कुल कर योग्य आय से एक और बड़ा हिस्सा घटा देगी. अगर करदाता किराए पर रह रहा है, तो वह एचआरए के लिए छूट का दावा कर सकता है.
होम लोन या एचआरए से मिल सकती है 2 लाख तक की छूट
आइए मान लें कि होम लोन या एचआरए कर योग्य आय को 2 लाख रुपये कम कर देता है, जिससे कर योग्य आय 5.7 लाख रुपये हो जाती है. इसके बाद 60 साल से कम उम्र का करदाता स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के लिए 25,000 रुपये तक की कटौती का दावा कर सकता है. वह अलग से वरिष्ठ नागरिक माता-पिता के स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए गए 50,000 रुपये तक की कटौती का भी दावा कर सकता है. बता दें, यदि कर योग्य आय 5 लाख रुपये से कम है, तो करदाता धारा 87A के तहत पूर्ण कर छूट के लिए एलिजिबल हो जाता है. दूसरे शब्दों में, यदि शुद्ध कर योग्य आय 5 लाख रुपये से कम है तो कोई कर देने की जरूरत नहीं है.