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Income tax raid: जब्त रकम का क्या होता है, जानिए छापेमारी के दौरान Income Tax Department के सामने क्या होती हैं चुनौतियां

Income tax raid: जालना में आयकर विभाग की छापेमारी में 390 करोड़ की बेनामी संपत्ति मिली है. हिंदुस्तान का ये इकलौता कैशकांड नहीं है. एक साल के अंदर ही देश के तीन बड़े राज्यों में तीन बड़े कैशकांड हुए हैं और इनसे 300 करोड़ से ज्यादा की बरामदगी हुई है. आयकर विभाग की टीम रेड में बरामद सामान को जब्त कर लेती है. कैश को बैंक में जमा करा देती है.

आयकर विभाग के छापे में बरामद पैसे का क्या होता है आयकर विभाग के छापे में बरामद पैसे का क्या होता है
हाइलाइट्स
  • रेड में जब्त रकम को बैंक में जमा किया जाता है

  • रेड के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं

रेड या छापा...ये शब्द सुनने और लिखने में छोटा है. लेकिन जब बात इन शब्दों को अमलीजामा पहनाने की आती है तो इसके लिए बड़ी माथापच्ची करनी पड़ती है. प्लानिंग से लेकर प्रेशर तक बहुत सारे फैक्टर्स एक छापे में शामिल होते हैं. इन दिनों इनकम टैक्स डिपार्टमेंट सक्रिय हैं. ऐसी रेड में आईटी विभाग के सामने क्या चुनौतियां होती हैं? 
केंद्रीय एजेंसियों से जब्त की गई रकम का क्या होता है? छापे में जो कैश मिलता है जो बेहिसाब संपत्तियां मिलती हैं, उन्हें जब्त कर लिया जाता है. छापा डालने आई टीम उसे अपने साथ ले जाती है. लेकिन इस जब्त कैश को लेकर भी लोगों के एक जहन में एक सवाल उठता है. और ये क‍ि एजेंसियों के छापे में जब्त की गई रकम का क्या होता है? चलिए आयकर विभाग की छापेमारी को लेकर एक-एक जानकारी आपको बताते हैं.

जब्त पैसे का क्या होता है-
जालना में 58 करोड़ रुपए कैश बरामद किए हैं. आयकर विभाग की टीम ने इस रकम को जब्त कर लिया है. लेकिन सवाल उठता है कि टीम इस पैसे का क्या करती है. इस सवाल के जवाब आयकर विभाग के पूर्व कमिश्नर डीसी अग्रवाल ने बताया कि पैसा जब्त होने के बाद सीधे बैंक में जाता है और कमिश्नर के पर्सनल डिपोजिट एकाउंट में जमा होता है. जब टैक्स लायबिलिटी क्रिएट होती है. जब उनका एसेसमेंट होता है. एसेसमेंट के बाद जो टैक्स डिमांड निकलती है. उसे ट्रायब्यूनल में सेटल किया जाता है. इसके बाद जो पैसा बचता है, उसे पार्टी को ब्याज समेत वापस कर दिया जाता है. हालांकि कई बार ऐसा होता है कि जांच एजेंसियां कुछ पैसा इंटरनल ऑर्डर से केस की सुनवाई पूरी होने तक अपने पास जमा रखती हैं.
    
रेड में आयकर विभाग के सामने चुनौतियां-
आयकर विभाग को किसी भी जगह रेड डालने के लिए पूरी प्लानिंग करनी पड़ती है. रेड को गोपनीय रखना होता है, ताकि किसी को भनक ना लगे. इसके लिए गोपनीय तरीके से छापा मारने की योजना बनाई जाती है. कोड वर्ड का इस्तेमाल किया जाता है. आयकर विभाग के पूर्व कमिश्नर डीसी अग्रवाल ने बताया है कि रेड के लिए पूरी तैयारी की जाती है. पुलिस की भी मदद ली जाती है. हालांकि उन्होंने ये कहा कि सुरक्षा का मुद्दा कम रहता है. क्योंकि बिजनेसमैन पैसा कमाते हैं, लेकिन लड़ाई-झगड़े में नहीं जाते हैं. लेकिन पैसा बहुत ज्यादा होता है. इसलिए सुरक्षा के इंतजाम किए जाते हैं. पुलिस की मदद ली जाती है. जहां लगता है कि स्टेट पुलिस सहयोग नहीं करेगी, वहां सीआरपीएफ की मदद से रेड को अंजाम दिया जाता है.

आयकर विभाग का छापा कैसे पड़ता है-
आयकर विभाग की कोशिश होती है कि रेड ऐसे वक्त में मारा जाए, जब व्यक्ति को अंदाजा ना हो. ताकि उसे संभलने का मौका ना मिल पाए. आयकर विभाग की टीम अपने साथ तलाशी के लिए वारंट भी लेकर आती है. जब तक आईटी टीम की रेड चलती है, तब तक कोई भी घर से बाहर नहीं जा सकता है. विभाग की टीम जरूरी दस्तावेज अपने साथ ले जाती है. टीम के साथ पुलिस वाले भी होते हैं, ताकि कोई दिक्कत ना आए. कई बार रेड के दौरान भारी पुलिस बल की व्यवस्था की जाती है.

ये सामान जब्त नहीं कर सकते अधिकारी-
आयकर विभाग का छापा किसी दुकान या शोरूम में पड़ता है तो वहां बेचने के लिए रखे सामान को अधिकारी जब्त नहीं कर सकते हैं. सिर्फ दस्तावेजों में नोट किया जा सकता है. आयकर विभाग की टीम सामान से जुड़े कागजात जब्त कर सकती है. अगर छापेमारी के दौरान कैश या गहने मिलते हैं और उसका लेखा-जोखा व्यक्ति के पास है तो अधिकारी उसे जब्त नहीं कर सकते हैं.

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