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Exporting Cow dung to Arab Countries: भारत के लिए सोने की खदान बना गोबर, कुवैत समेत बढ़ी अरब देशों में मांग

कुवैत समेत अरब देश गोबर के मुरीद बन चूके हैं. गाय का गोबर भारत के लिए सोने की खदान बन गया है.

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भारत में गाय का इस्तेमाल सदियों से दूध के लिए होता रहा है, लेकिन इसके गोबर में भी कई गुण होते हैं जिसकी वजह से खेती में इसका इस्तेमाल खाद बनाकर किया जाता है. देश में ऐसे कई किसान आपको मिल जाएंगे जो बड़े पैमाने पर गाय के गोबर की खाद का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, विदेशों में भी अब इसका चलन बढ़ गया है. वहां भी गाय के गोबर की भारी डिमांड है. 

खासतौर पर कुवैत समेत अरब देश गोबर के मुरीद बन चूके हैं. गाय का गोबर भारत के लिए सोने की खदान बन गया है. क्योंकि गाय के गोबर के गुणों का डंका सिर्फ हमारे देश ही नहीं विदेशों में भी बज रहा है. यही वजह है कि भारत से गाय के गोबर का निर्यात लगातार बढ़ रहा है. चीन, अमेरिका, मालदीव, सिंगापुर जैसे देश तो गुणकारी गोबर भारत से ही ले रहे हैं. कुवैत और अरब देश भी अब भारतीय गाय के गोबर को खरीदने के लिए लाइन में लगे पड़े हैं. 

अरब देशों में बढ़ रही गोबर की मांग 
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गुरु प्रसाद सिंह ने कहा कि अरब देशों में रेगिस्तान है और उस रेतीली मिट्टी में पोषक तत्वों की बहुत कमी है. जब भी हम कोई फसल उगाते हैं तो उसके माध्यम से पोषक तत्व हमारे शरीर को जाते हैं. लेकिन अगर मिट्टी में ही पोषक तत्व नहीं होंगे तो उनमें जो उत्पादन होगा उसके माध्यम से हमारे शरीर को उनकी पूर्ति नहीं हो पाएगी. साथ ही, वहां रेत में बायोमास नहीं है. अरब देशों में भेड़ पालन और बकरी पालन करते हैं, लेकिन गौ पालन करना वहां की परिस्थिति के हिसाब से आसान नहीं है. अब यह उनकी ये मजबूरी है कि वे भारत जैसे देश से गोबर इंपोर्ट करें. 

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अन्य देशों की तरह अरब देशों में भी गोबर का ज्यादातर इस्तेमाल खेती के लिए होता है. हालांकि ये खेती सब्जियों और अनाजों की नहीं बल्कि खजूरों की होती है. भारत से गाय का गोबर मंगवाकर और इसकी खाद बनाकर, यहां के बड़े-बड़े किसान खजूर के पेड़ों की जड़ों के पास डालते हैं. 

खजूर की खेती के लिए अच्छी है गोबर की खाद 
प्रोफेसर गुरु प्रसाद सिंह ने कहा कि कुवैत में हुए एक शोध में पाया गया है कि गाय के गोबर को पाउडर के रूप में इस्तेमाल किया जाए तो खजूर की फसल न सिर्फ बेहतर होगी बल्कि उसका उत्पादन भी काफी बढ़ जाता है. यह जानकारी सामने आने के बाद से ही अरब देशों में गोबर की मांग बढ़ गई है. 

देसी गाय का गोबर बंधा हुआ आता है और उसमें बहुत सारे पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, जिंक और आयरन आदि होतें हैं और ये सारी चीजें खजूर के लिए बड़ी आवश्यक हैं. खजूर हमारे शरीर के अंदर सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति करता है और गोबर की खजूर की गुणवत्ता बढ़ाती है. 

सालभर में 400 करोड़ का गोबर बेचा
रिपोर्ट्स की माने तो भारत ने साल 2024 में 400 करोड़ रुपये की कीमत का गाय का गोबर और इससे बने उत्पादों का निर्यात किया है. साल 2023 में भारत ने कुल 125 करोड़ की कीमत का फ्रेश गोबर एक्सपोर्ट किया था. इसके अलावा, गाय के गोबर से बना खाद भी भेजा गया. 2023 में भारत ने 386 करोड़ रुपये का गोबर दूसरे देशों को बेचा. भारत से गाय का गोबर खरीदने वाले टॉप 10 देशों की बात करें तो इसमें पहले नंबर पर मालदीव आता है. 

इसके बाद नंबर आता है अमेरिका का, तीसरे नंबर पर इस लिस्ट में सिंगापुर है. चौथे नंबर पर चीन है और पांचवें नंबर पर नेपाल है. गोबर खरीदने वाले देशों की लिस्ट में छठा नंबर ब्राज़ील का है और सातवां नंबर अर्जेंटीना का है. आठवें नंबर पर ऑस्ट्रेलिया है और नौवें नंबर पर कुवैत है. दसवें नंबर पर संयुक्त अरब अमीरात है. हालांकि, कुवैत समेत अरब देशों में इसकी डिमांड लगातार बढ़ रही है. यही वजह है कि अब भारत सिर्फ मसालों, चाय या टेक्नोलॉजी नहीं बल्कि गाय के गोबर और गोमूत्र को भी दुनिया के बाजारों में पहुंचाकर अच्छी खासी कमाई कर रहा है.