
बचपन से ही माता-पिता अपने बच्चे की लाइफ प्लान करने लगते हैं और एक उम्र के बाद बच्चे अपने हाथ में अपनी जिंदगी लेते हैं. लेकिन फिर भी जरूरी नहीं कि जिस तरह आपने सोचा हो जिंदगी वैसे ही चले. बहुत बार वक्त के साथ-साथ कुछ ऐसा हो जाता है जिसकी कभी आपने कल्पना भी नहीं की होती. कुछ ऐसा ही हुआ मनप्रीत परमार के साथ.
फौजी परिवार से आने वाले मनप्रीत के पिता चाहते थे कि वह आर्मी ज्वॉइन करें. लेकिन मनप्रीत को बिजनेस की बारिकियों में दिलचस्पी थी. वह बिजनेस पढ़ना चाहते थे और बिजनेस में डिग्री करने के लिए साल 2012 में वह मात्र 19 साल की उम्र में ऑस्ट्रेलिया पहुंचे. मनप्रीत ऑस्ट्रेलिया पढ़ने आए थे लेकिन आज वह यहां पर बिजनेसमैन हैं और तीन सबवे रेस्टोरेंट चला रहे हैं. सबसे दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह बिजनेस के लिए अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ देंगे.
Subway में की पार्ट-टाइम जॉब
2012 में जब मनप्रीत ऑस्ट्रेलिया आए, तो उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन वे रेस्टोरेंट बिज़नेस करेंगे. उनके परिवार में सभी लोग सरकारी नौकरी करते थे. उनके पिता भी सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल थे. बिज़नेस करना उनके लिए कुछ नया और अजीब था. उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में बताया कि उनके परिवार में किसी ने कभी कोई बिज़नेस नहीं किया. सब सरकारी नौकरी में थे. उनके पापा चाहते थे कि वह भी सेना में जाएं, लेकिन उन्हें बिज़नेस में दिलचस्पी थी.
शुरुआत में उनका सफर आसान नहीं था. जैसे बाकी विदेशी छात्र संघर्ष करते हैं, वैसे ही मनप्रीत को भी पढ़ाई के साथ-साथ पैसे कमाने के लिए मेहनत करनी पड़ी. वे मेलबर्न की सड़कों पर घूम-घूमकर हर दुकान और रेस्टोरेंट में अपना रिज़्यूमे देते थे. आखिरकार, उन्हें स्वान्स्टन स्ट्रीट के एक सबवे स्टोर में नाइट शिफ्ट की नौकरी मिल गई.
रात की शिफ्ट में काम करना और साथ ही फुल-टाइम पढ़ाई करना ज़्यादातर लोगों के लिए बहुत मुश्किल होता है. लेकिन मनप्रीत के लिए यह बिज़नेस में पहले सबक की शुरुआत थी. उन्होंने अकेले काउंटर पर लंबे घंटे बिताए, कस्टमर केयर पर ग्राहकों के साथ-साथ स्टोर में स्टॉक संभाला और काम बिना परेशानी के कैसे चलता रहे, यह सब सीखा. उनका कहना है कि यहां उन्होंने वे चीज़ें सीखीं जो किसी किताब में नहीं मिलतीं.
उनकी मेहनत बेकार नहीं गई. जब उन्हें एक दूसरे स्टोर में बेहतर ज़ब का मौका मिला, तो उन्होंने तुरंत पकड़ लिया. सिर्फ एक साल के अंदर, उनकी मेहनत और बिज़नेस को समझने की क्षमता के चलते उन्हें प्रमोशन मिल गया और वे स्टोर मैनेजर बन गए. और यहां से उनकी जिंदगी बदलने लगी.
कैसे आया आइडिया
एक बार एक मैनेजर ट्रेनिंग कोर्स के दौरान, एक ट्रेनर ने मज़ाक-मज़ाक में मनप्रीत से कहा कि वह एक दिन सबवे फ्रेंचाइज़ी के मालिक बन सकते हैं. ज़्यादातर लोग इसे मजाक की बात समझते, लेकिन मनप्रीत के लिए यह लाइटनिंग मूमेंट था. इसके बाद उन्होंने चीज़ों को एक अलग नज़रिए से देखना शुरू किया. वह ध्यान देने लगे कि कौन-से स्टोर अच्छा चल रहे हैं और कौन-से नहीं.
उन्होंने मुनाफे, स्टाफ मैनेजमेंट और ग्राहकों को बनाए रखने जैसी चीज़ें सीखीं. सबसे ज़रूरी बात- उन्होंने सबवे नेटवर्क में लोगों से संपर्क बनाना शुरू कर दिया. जब मनप्रीत को यह खबर मिली कि सनी नाम के एक शख्स के पास पांच सबवे स्टोर हैं और वह शायद अपना स्टोर बेचना चाहता है तो मनप्रीत मे तुरंत दोबारा सोच फैसला लिया. उस समय उनकी उम्र सिर्फ 24 साल थी, और ज़्यादातर लोग उन्हें बहुत छोटा और अनुभवहीन मानते. लेकिन मनप्रीत ने सीधे एपिंग स्टोर में सनी से बात की और कहा कि अगर वह कभी स्टोर बेचना चाहें, तो वे खरीदना चाहेंगे.
मनप्रीत का कहना है कि कुछ मौके कभी परफेक्ट टाइमिंग का इंतजार नहीं करते. 2017 में जब उन्हें परमानेंट रेजिडेंसी मिली, तो उन्होंने एक बड़ा फैसला लिया. उन्होंने अपनी बिज़नेस की पढ़ाई छोड़ दी ताकि पूरी तरह से अपने नए बिज़नेस पर ध्यान दे सकें. मनप्रीत की लीडरशिप में एपिंग वाला सबवे स्टोर तेजी से आगे बढ़ा. वहां सेल्स में 85% की जबरदस्त बढ़ोतरी हुई.
सफलता के साथ चुनौतियां भी
सफलता के साथ-साथ चुनौतियां भी आईं. शुरू में मनप्रीत हर काम खुद करना चाहते थे. हर चीज़ पर नज़र, हर छोटी बात पर कंट्रोल. वे रोज़ रेस्टोरेंट में काम करते थे, पूरे जोश से, लेकिन हर किसी की एक लिमिट होती है. उनका कहना है कि तब उनके एक दोस्त ने उन्हें एक सलाह दी जिसने उनकी सोच बदल दी. उनके दोस्त ने कहा, ‘अगर तुम बिज़नेस में ही उलझे रहोगे, तो उस पर काम नहीं कर पाओगे.’ तब उन्हें लगा कि वह खुद ही अपनी तरक्की की रुकावट बन रहे हैं.
इसके बाद मनप्रीत ने अपनी रणनीति बदली. उन्होंने हर काम खुद करने के बजाय सिस्टम बनाना शुरू किया और ऐसे लोगों को ट्रेन किया जिन पर वे भरोसा कर सकें. उनका बिज़नेस बढ़ाने का तरीका बहुत समझदारी भरा है. वे जल्दी-जल्दी कई स्टोर खोलने की दौड़ में नहीं भागे, बल्कि उन्होंने सस्टेनेबल और मजबूत ग्रोथ पर फोकस किया.
आज मन्प्रीत तीन सबवे रेस्टोरेंट्स के मालिक हैं और भविष्य में और विस्तार की योजना बना रहे हैं. वे अपनी सोच का श्रेय अपने पिता की दी हुई एक सलाह को देते हैं. उनके पिता कहते थे, “जो काम आज करोगे, उसका परिणाम पांच साल बाद दिखेगा.” मनप्रीत भी इसी स्ट्रेटजी पर काम कर रहे हैं. और हर उस युवा के लिए प्रेरणा हैं जो जिंदगी में कुछ करना चाहता है.