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Inspirational: ट्रांसजेंडर होने के कारण नहीं मिली नौकरी तो कभी भीख मांगने को मजबूर थीं एनी... आज दूसरों को दे रही हैं रोजगार

एनी को उनके ट्रांसवुमन होने के कारण कहीं नौकरी नहीं मिली. उनकी सबसे बड़ी अयोग्यता थी कि वह ट्रांसजेंडर महिला हैं.

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कर्नाटक के मंगलुरु में रहने वाली एनी मैंगलोर की कहानी हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है जो अपने दम पर कुछ करना चाहता है. एनी को आज एक उद्यमी के तौर पर जाना जा रहा है लेकिन एक समय था जब उनके लिए भीख मांगने की नौबत आ गई थी. पर आज वह दूसरों को रोजगार दे रही हैं.  

रायचूर जिले के मास्की तालुक के हिरेदिनी कैंप में जन्मी और पली-बढ़ी, एनी को जन्म के समय पुरुष माना गया था. लेकिन बहुत कम उम्र से ही उन्हें पता था कि वे अलग हैं. वह खुद को अंदर से महिला महसूस करती थीं. उन्होंने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वह एक लड़के की तरह कपड़े पहनती थी, लेकिन अंदर से उन्हें कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि वह एक लड़का हैं. 

पढ़ाई में अच्छी थीं एनी
अपनी आइडेंटिटी की कश्मकश में फंसी एनी पढ़ाई में हमेशा से अच्छी थीं. उन्होंने अपनी बैचलर ऑफ आर्ट्स की डिग्री में 79% अंक हासिल किए और मंगलुरु में गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ टीचर एजुकेशन में फ्री बी.एड सीट हासिल की. 

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लेकिन अपने बी.एड कोर्स के दौरान उनका व्यक्तित्व सबके सामने आने लगा. उन्होंने अपना लिंग परिवर्तन शुरू किया- फिजिकल, इमोशनल और सोशल तौर पर. लेकिन इसके बाद लोगों के व्यवहार में बदलाव आने लगा. वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रही थीं. लोग उन्हें ही देखते रहते थे, उनका मजाक उड़ाते रहते थे. 

नहीं मिली नौकरी 
एनी को उनके ट्रांसवुमन होने के कारण कहीं नौकरी नहीं मिली. उनकी सबसे बड़ी अयोग्यता थी कि वह ट्रांसजेंडर महिला हैं. एक समय ऐसा था कि वह सड़कों पर भीख मांगने के लिए मजबूर हो गईं. एक बार वह घर रोते हुए लौटीं और तब उनकी मां ने उनसे कहा कि दूसरों के भरोसे न रहो, खुद अपनी रास्ता बनाओ. 

तब एनी ने ऑटो ड्राइविंग सीखने के लिए दाखिला ले लिया. उन्होंने ऑटो खरीदने का मन बनाया लेकिन वह जानती थी कि अपने सपने को पूरा करने के लिए बैंक से लोन नहीं मिलेगा. 2023 और 2024 के बीच, उसने ऑटो चालकों से बातचीत की जो अपने पुराने ऑटो बेच रहे थे. उन्होंने EMI पर ऑटो लिया. 

दूसरों को दिया रोजगार 
आज उनके पास चार ऑटो हैं और वह 200 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से ऑटो किराए पर देती हैं. लेकिन एनी से ऑटो किराए पर लेने के लिए दो अनूठी शर्तें माननी पड़ती हैं- पहली गर्भवती महिलाओं और  बुजुर्ग ट्रांसजेंडर्स को मुफ्त सवारी देनी होगी. हर एक ऑटो पर इसका स्टिकर लगाया गया है. 

उके ऑटो ज़्यादातर डेरालाकाटे और आस-पास के ग्रामीण इलाकों में चलते हैं, जहां कई ट्रांसजेंडर समुदाय रहते हैं. वह कहती हैं, "मैं नहीं चाहती कि दूसरों को, खास तौर पर बुज़ुर्गों को, वह सब सहना पड़े जो मैंने सहा. किसी को भी जीवित रहने के लिए भीख नहीं मांगनी चाहिए."

फिल्म में आएंगी नजर 
एनी आज एक उद्यमी हैं, एक सर्टिफाइड पर्सनल जिम ट्रेनर हैं, और अब, एक आगामी कन्नड़ फिल्म में नजर आएंगी. एनी का सपना बुजुर्ग ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए एक घर बनाना है. वह अपने इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए भूमि आवंटन के लिए सरकारी सहायता की मांग कर रही हैं.