
मिर्जापुर के कछवा ब्लॉक के छोटी बरैनी गांव की शशिबाला सोनकर अब किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. संघर्षों की मिसाल बन चुकीं शशिबाला को सरकार ने 15 अगस्त पर दिल्ली बुलाया है, जहां वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगी. ‘लखपति दीदी’ के नाम से जानी जाने वाली शशिबाला ने न सिर्फ खुद को आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि अपने साथ 15 अन्य लोगों को भी रोजगार दे रही हैं.
सिलाई से शुरू किया था सफर
शशिबाला का जीवन आसान नहीं रहा. उन्होंने शुरुआत में सिलाई का काम किया, फिर घर-आसपास के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया. बावजूद इसके आर्थिक हालात चुनौतीपूर्ण बने रहे. लेकिन शशिबाला के अंदर कुछ बड़ा करने की ललक हमेशा रही.
गांव की महिलाओं के स्व-सहायता समूह से जुड़ने के बाद उन्होंने वहां से कर्ज लिया. इसके बाद सरकारी मदद से पूंजी इकट्ठा की और घर पर ही एक नमकीन बनाने की फैक्ट्री शुरू कर दी. आज इस फैक्ट्री में 15 लोग काम कर रहे हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं हैं.
15 लोगों को रोजगार दे रहीं शशिबाला
आजादी की सालगिरह के मौके पर दिल्ली बुलाए जाने पर शशिबाला बेहद खुश हैं. उन्होंने कहा, "बहुत खुशी हो रही है. हमने बहुत संघर्ष किया है. सिलाई का काम किया, बच्चों को पढ़ाया, फिर समूह से कर्ज लिया और सरकारी मदद से यह नमकीन फैक्ट्री शुरू की. घर की पूरी पूंजी इसमें लगाई है. करीब एक साल से चल रही है और अच्छा काम कर रही है. अब तक 15 लोगों को रोजगार दिया है."
देश के टॉप ब्रांड्स में चाहती हैं अपने नमकीन का नाम
शशिबाला का अगला लक्ष्य है कि उनकी नमकीन फैक्ट्री देश के प्रमुख ब्रांड्स के साथ प्रतिस्पर्धा करे. वह चाहती हैं कि उनका ब्रांड ‘स्वाद और आत्मनिर्भरता’ का प्रतीक बने.
क्या है 'लखपति दीदी' योजना?
सरकार द्वारा ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए 'लखपति दीदी' योजना चलाई जा रही है. इसका उद्देश्य है कि हर गांव की महिलाएं खुद का कारोबार शुरू करें और लाखों में कमाएं. शशिबाला इस योजना की एक सफल मिसाल बन चुकी हैं. शशिबाला जैसी कई महिलाएं इस योजना की बदौलत आज लखपति बन चुकी हैं.
-सुरेश कुमार सिंह की रिपोर्ट