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पति की नौकरी छूटी तो घर से शुरू किया अपना Food Business, आज 25 महिलाओं को दे रही हैं रोजगार, 1.4 करोड़ तक पहुंचा टर्नओवर

मुंबई में रहने वाली गीत पाटिल साल 2016 से अपना बिजनेस कर रही हैं और आज उनके व्यवसाय का सालाना टर्नओवर 1.4 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है. उनके व्यवसाय से 25 महिलाओं को काम भी मिल रहा है.

Patil Kaki sells maharashtrian traditional snacks Patil Kaki sells maharashtrian traditional snacks
हाइलाइट्स
  • साल 2016 में गीता पाटिल ने घर से अपना काम शुरू किया

  • पारंपरिक महाराष्ट्रियन स्नैक्स और मिठाइयां बनाकर बेचती हैं गीता

पिछले कुछ सालो में भारत में एक बड़ा बदलाव देखा गया है. जहां एक तरफ 'Make in India' मुहिम के तहत बहुत सारी चीजें अब भारत में ही बनने लगी हैं और दूसरी तरफ, देश में स्टार्टअप्स का चलन काफ़ी हद तक बढ़ा है. देश में छोटे-छोटे स्टार्टअप्स की संख्या बढ़ी है और उस से लोगों को और देश को फ़ायदा भी हो रहा है. बहुत से लोगों को रोज़गार भी मिल रहा है. 

आज हम आपको ऐसे ही एक खास स्टार्टअप के बारे में बता रहे हैं. जिसे शुरू किया है मुंबई में रहने वाली गीता पाटिल ने ताकि वह अपने खना बनाने के पैशन को पूरा कर सकें. यह कहानी है उनकी हिम्मत और हौसले की कि कैसे उन्होंने एक छोटे से स्टार्टअप को एक बड़े व्यापार में तब्दील किया है. साल 2016 में गीता पाटिल ने घर से अपना काम शुरू किया था. वह पारंपरिक महाराष्ट्रियन स्नैक्स और मिठाइयां बनाकर बेचती हैं. 

पति की नौकरी गई तो शुरू किया काम
गीता पाटिल को खाना पकाने का शौक अपनी मां से विरासत में मिला था. मगर उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि यह शौक कभी व्यवसाय बनेगा. अब अपने इस शौक से गीता ने बड़ा बिजनेस खड़ा कर दिया है. साल 2016 में उनके काम की शुरुआत हुई, जब गीता पाटिल के पति की नौकरी चली गयी थी. 

उस समय घर चलना मुश्किल हो रहा था और तब गीता पाटिल ने अपना घर चलाने के लिए पारंपरिक महाराष्ट्रियन स्नैक्स और मिठाइयां बनाने का काम शुरू किया. अपने स्टार्टअप को उन्होंने नाम दिया- पाटिल काकी. 

1.4 करोड़ रुपए है टर्नओवर 
साल 2016 में गीता ने कम से कम निवेश के साथ घर के बने पारंपरिक स्नैक्स जैसे मोदक, पूरनपोली, चकली, पोहा, चिवड़ा आदि बनाकर ग्राहकों को बेचना शुरू किया. धीरे-धीरे उनका काम चल पड़ा और जल्द ही, सफल व्यवसाय बन गया. शुरू के दिनों में पाटिल काकी महीने में 10-12 हजार रुपए तक कमा पाती थीं. लेकिन आज यह व्यापार बढ़ कर लगभग 1.4 करोड़ रुपये सालाना हो गया है.

पाटिल काकी ने अपने सपने तो पूरे किए ही, साथ ही उन्होंने 25 महिलाओं को भी रोज़गार दिया है. यहां काम करने वाले सारी महिलाएं ही हैं. इस व्यापार में काकी का साथ उनके पति और उनके बच्चे भी दे रहे हैं.