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Mushroom Farmer Success Story: 10 लाख की नौकरी छोड़ बना हाईटेक किसान, विदेशी मशरूम से ऐसे लाखों कमा रहा एमपी का यह लड़का

गांव लौटकर आशीष ने दो और इंजीनियर दोस्तों को अपने साथ जोड़ा. उन्होंने अनुराग विश्वकर्मा और शैलेंद्र सैनी के साथ मिलकर एक खास किस्म के मशरूम की खेती शुरू की. यह खास मशरूम है ओयस्टर मशरूम, जो आम बटन मशरूम की तुलना में जल्दी तैयार होता है.

Oyester Mushroom Farming Oyester Mushroom Farming

जहां ज्यादातर युवा शहरों का रुख करके लाखों की नौकरी के सपने देखते हैं, वहीं मध्य प्रदेश के सागर के एक होनहार इंजीनियर आशीष विश्वकर्मा ने 10 लाख रुपये की सालाना पैकेज वाली नौकरी को अलविदा कहकर गांव लौटने का फैसला किया. लेकिन खाली हाथ नहीं, एक बड़ा सपना लेकर. शहर में अपनी नौकरी छोड़कर आशीष ने एक किसान बनने का फैसला किया. और उनका यह फैसला उनके जीवन में सफलता की बयार लेकर आया है.

सॉफ्टवेयर इंजीनियर की छोड़ी नौकरी
आशीष ने भोपाल के एलएनसीटी कॉलेज से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और दिल्ली की एक प्रतिष्ठित कंपनी में उन्हें नौकरी भी मिल गई. उन्होंने दो साल तक वहां काम किया, लेकिन दिल में समाज और अपने गांव के लिए कुछ कर गुजरने की आग थी. यही जुनून उन्हें मध्य प्रदेश के सागर में उनके गांव मकरोनिया खींच लाया.

ऑटोमेशन लैब में उग रहे विदेशी मशरूम
गांव लौटकर आशीष ने दो और इंजीनियर दोस्तों को अपने साथ जोड़ा. उन्होंने अनुराग विश्वकर्मा और शैलेंद्र सैनी के साथ मिलकर एक खास किस्म के मशरूम की खेती शुरू की. यह खास मशरूम है ओयस्टर मशरूम, जो आम बटन मशरूम की तुलना में जल्दी तैयार होता है और कहीं अधिक पोषक तत्वों से भरपूर है.

खास बात यह है कि आशीष ने खुद की एक ऑटोमेशन लैब तैयार की है, जहां मशरूम उगाने की पूरी प्रक्रिया सेंसर्स और तकनीक से संचालित होती है. इसमें न तो किसी मजदूर की जरूरत पड़ती है और न ही बार-बार निगरानी की. इससे उत्पादन हाइजीनिक और लागत किफायती होती है.

मध्य प्रदेश में पहली बार हो रहा ऐसा प्रयोग
अब तक मध्य प्रदेश में केवल बटन मशरूम का उत्पादन होता रहा है, जो 90 दिन में तैयार होता है. लेकिन ये युवा इंजीनियर ऐसे विदेशी ओयस्टर मशरूम उगा रहे हैं जो केवल 60 दिन में तैयार हो जाते हैं. यही नहीं, ये मशरूम वियतनाम, चीन जैसे देशों में भी काफी लोकप्रिय हैं.

सेहत के लिए सुपरफूड है ओयस्टर मशरूम
अनुराग बताते हैं कि ओयस्टर मशरूम में पोटैशियम, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे तत्व भरपूर होते हैं, जो दिल की बीमारियों, कैंसर और डायबिटीज से बचाते हैं. वहीं शैलेंद्र बताते हैं कि इसमें विटामिन बी, डी और कोलीन भी होता है, जो नर्व और मसल्स को मजबूत बनाता है.

आशीष और उनके साथियों की यह कहानी सिर्फ एक व्यवसाय नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है – उन युवाओं के लिए जो सिर्फ नौकरी को ही सफलता मानते हैं. इन तीन इंजीनियरों ने यह दिखा दिया कि अगर सोच नई हो और इरादे मजबूत, तो गांव की मिट्टी भी सोना उगा सकती है.
(सागर से हिमांशु पुरोहित की रिपोर्ट)