
पेप्सी ने हाल ही में अपना लोगो बदला है. पेप्सी ने 14 साल बाद अब अपनी ब्रांड का लोगो बदला है. अपने 125 साल के इतिहास में पेप्सी ऐसा कई बार कर चुकी है. पूरे डिजाइन की बात करें तो उसमें काफी सारे बदलाव हैं, लाल, नीले और सफेद धारियों वाला सर्कल आज भी ब्रांड की आइडेंटिटी है. 1973 से 1983 तक और 1987 से 1991 तक लोगो वही रहा लेकिन वर्डमार्क हैंडल गोथिक फॉन्ट में था. लोगो को 2014 तक थ्रोबैक के रूप में भी इस्तेमाल किया गया था. इस मौके पर चलिए आपको आज पेप्सी के डाइजेस्टिव सोडा से सबकी फेवरेट सॉफ्ट ड्रिंक बनने की कहानी बताते हैं..
बात है 1867 की, जब अमेरिका में जन्मे कालेब डेविस ब्रैडहम ने मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे. वो हमेशा से डॉक्टर बनना चाहते थे, सो ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन में दाखिला लिया. उस वक्त फीस भरने के लिए पैसे कम पड़े तो उन्होंने एक दवा की दुकान में नौकरी भी की. लेकिन बुरे वक्त ने ऐसा धक्का दिया कि उनके पिता बेहद बुरी आर्थिक तंगी में आ गए. ऐसे में उन्हें पढ़ाई अधूरी छोड़ घर लौटना पड़ा. वो वहीं एक स्कूल में पढ़ाने लगे.
एक साल बाद उन्होंने न्यूबर्न की पोलॉक स्ट्रीट में मेडिकल शॉप खोली. दुकान पर भीड़ जुटाने के लिए उन्होंने सोडा फाउंटेन की मदद से कोला नट एक्सट्रैक्ट और वनीला रेयर ऑयल को मिलाकर एक डाइजेस्टिव सॉफ्ट ड्रिंक बनाया. उनके ग्राहकों में इस ड्रिंक की पॉपुलैरिटी बढ़ने लगी. तब इस ड्रिंक का नाम पड़ गया ब्रैड्स ड्रिंक. आज ये ड्रिंक पेप्सी के नाम से जानी जाती है.
डाइजेस्टिव ड्रिंक के रूप में लॉन्च हुई पेप्सी
28 अगस्त 1898 में ब्रैडहम ने पेप्सी कोला को मिक्स कर बनाए गए ड्रिंक का नाम रखा पेप्सी कोला. सब कुछ ठीक-ठाक चलते 4 साल ही बीते तो उन्होंने 24 दिसंबर 1902 को इसी नाम से कंपनी बना दी. उसके बाद 16 जून 1903 में पेप्सी कोला ने ट्रेडमार्क हासिल कर लिया. इसके बाद ब्रैडहम ने किराए के शेड में पेप्सी कोला बनानी शुरू कर दी. धीरे-धीरे पेप्सी कोला की खूब बिक्री होने लगी. उसके बाद धीरे-धीरे ये सफर बढ़ता गया. 1905 में 6 औंस की बॉटल में पेप्सी कोला लॉन्च किया. 1905 में दो फ्रेंचाइजी भी पेप्सी कोला की बॉटलिंग करने लगे. 1907 में पेप्सी कोला की सालाना एक लाख गैलन बिक्री हुई. 1908 में 250 से ज्यादा फ्रेंचाइजी इसकी मैन्युफैक्चरिंग करने लगे. फिर वो समय आया जब पेप्सी की तेज रफ्तार पर ब्रेक लग गया.
पेप्सी की रफ्तार पर लगा ब्रेक
कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग और ब्रांडिंग प्रमोशन की के जरिए पेप्सी की गाड़ी पटरी पर तेजी से दौड़ रही थी. 17 साल तक पेप्सी का सफर शानदार रहा. उसके बाद फर्स्ट वर्ल्ड वॉर ने इस कंपनी की गाड़ी पर ब्रेक लगा दिया, जब शक्कर के दाम में खूब उतार-चढ़ाव हुए. युद्ध से पहले जो शक्कर 3 सेंट के भाव मिल रहा था, रातों-रात उसका भाव चढ़ कर 28 सेंट्स पहुंच गए. भाव और चढ़ेंगे, यह सोचकर ब्रैडहम ने ढेर सारा शक्कर खरीद लिया. स्टॉक काफी हो गया था. लेकिन दुर्भाग्यवश शक्कर का भाव काफी गिर गया. उसके अपने पिता की तरह ब्रैडहम भी दिवालिया हो गए. ये उनकी जिंदगी का सबसे बुरा दौर था. जिसके बाद ब्रैडहम को फिर से वापस अपने ड्रग स्टोर पर लौटना पड़ा.
कई उतार-चढ़ाव से गुजरी पेप्सी
1923 में कैंडी सोडा फाउंडेशन की सीरीज का संचालन करने वाली लाफ्ट कैंडी कंपनी ने 35 हजार डॉलर में पेप्सी कोला को खरीद लिया. 1934 में इसे कंपीटीटर से आधे दाम में ही बेच डाला. 1940 में इसका एड जिंगल तैयार किया गया और उसे 50 भाषाओं में ब्रॉडकास्ट कराया गया. उसके बाद 60 के दशक में डाइट पेप्सी लॉन्च की गई, लेकिन अब पेप्सी का मुकाबला कोला से था. उस वक्त पेप्सी की बिक्री में फिर कमी आई, लेकिन धीरे-धीरे पेप्सी की गाड़ी फिर पटरी पर लौट आई, और आज पेप्सी को हर कोई जानता है.