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Hinduja Group: 108 साल पुराने हिंदुजा ग्रुप की कहानी जानिए, जिसका इसी महीने हो सकता है बंटवारा

Hinduja Group Split: हिंदुजा ग्रुप के बंटवारे की डेडलाइन नवंबर में तय की गई है और अगर इस महीने में भी यह नहीं हो पाता है तो एक बार फिर यह मामला कोर्ट तक जाएगा.

Hnduja Brothers Hnduja Brothers
हाइलाइट्स
  • सिंध में शुरू हुआ था हिंदुजा ग्रुप 

  • डेढ लाख से ज्यादा लोगों को मिल रहा है रोजगार 

आखिरकार हिंदुजा ग्रुप का बंटवारा होने जा रहा है. ब्रिटेन के सबसे अमीर कारोबारी घरानों में से एक हिंदुजा परिवार की राहें अब अलग-अलग होने वाली हैं. हाल ही में, 108 साल पुराने हिंदुजा ग्रुप के बंटवारे की डेडलाइन तय हो गई है. सूत्रों के अनुसार इसी महीने यानी नवंबर में ही पारिवारिक बिजनेस के बंटवारे को अंतिम रूप दे दिया जाएगा.  

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, हिंदुजा भाइयों के बीच संघर्ष 2014 में उनके द्वारा हस्ताक्षरित एक समझौते के कारण था, जिसमें कहा गया था कि 'सब कुछ सबका है और कुछ भी किसी का नहीं है.' लेकिन इस समझौते को सबसे बड़े भाई श्रीचंद हिंदुजा के वंशजों ने चुनौती दी और परिवार में बहस शुरू हो गई. और अब समझौते के लिए इस बिजनेस ग्रुप का बंटवारा होने जा रहा है. 

सिंध में शुरू हुआ था हिंदुजा ग्रुप 
हिंदुजा ग्रुप की कहानी सिंधु घाटी सभ्यता के उद्गम स्थल सिंध में शुरू हुई. सिंध जिले (तब अविभाजित भारत में) के प्रसिद्ध शहर शिकारपुर के एक युवा उद्यमी परमानंद दीपचंद हिंदुजा ने इस बिजनेस की नींव रखी थी. हिंदुजा ग्रुप मुख्य रूप से एक मर्चेंट बैंकिंग और ट्रेड एंटरप्राइस के रूप में शुरू हुआ, लेकिन फिर यह दुनिया के मल्टीनेशमल कोंगलोमेरेट्स में से एक के रूप में विकसित हुआ, जो सभी महाद्वीपों में फैला हुआ है. 

1914 में बॉम्बे में स्थापित हुई हिंदुजा कंपनी ने 1919 में इराक में अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय संचालन स्थापित किया. सालों तक इराक से काम करने के बाद, हिंदुजा भाइयों ने एक्सपोर्ट बिजनेस को विकसित करने के लिए 1979 में लंदन में अपना आधार स्थापित किया. और यहां से यह कंपनी देखते ही देखते पूरी दुनिया में फैल गई.

अलग-अलग क्षेत्रों में कर रहे हैं काम
1971 में परमानंद हिंदुजा के निधन के बाद, उनके बेटों ने पारिवारिक विरासत संभाली. उन्होंने उसी समय के आसपास स्विट्जरलैंड में हिंदुजा बैंक के रूप में जानी जाने वाली एक वित्तीय संस्था का गठन किया. हिंदुजा समूह ने विश्व प्रसिद्ध 'गल्फ' ब्रांड का भी अधिग्रहण किया और बाद में गल्फ ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की स्थापना की.

1979 में ईरान में इस्लामी क्रांति का कारण उन्होंने अपना मुख्यालय लंदन, यूनाइटेड किंगडम में स्थापित किया. इसके लगभग 8 साल बाद, उन्होंने अशोक लेलैंड में कुछ हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया. यह कंपनी अब हिंदुजा समूह की प्रमुख कंपनी है. इस ऑटोमेकर कंपनी ने 1997 में भारत की पहली सीएनजी संचालित बस भी लॉन्च की थी.

साल 1994 ने उन्होंने इंडसइंड बैंक की स्थापना की. फिर हिंदुजा समूह ने 1995 में इंडसइंड मीडिया एंड कम्युनिकेशंस लिमिटेड की भी स्थापना की. हिंदुजा ग्लोबल सॉल्यूशंस को 2000 में शामिल किया गया था. 2007 में, अशोक लेलैंड और जापान स्थित निसान मोटर कॉर्प ने लाइट-ड्यूटी ट्रक बनाने के लिए एक संयुक्त उद्यम किया. 

डेढ लाख से ज्यादा लोगों को मिल रहा है रोजगार 
हिंदुजा समूह का नेतृत्व वर्तमान में परमानंद दीपचंद हिंदुजा के सबसे बड़े बेटे श्रीचंद पी हिंदुजा कर रहे हैं. अपने भाइयों के साथ- गोपीचंद पी हिंदुजा, प्रकाश पी हिंदुजा, और अशोक पी हिंदुजा- एसपी हिंदुजा ने कंपनी को महान ऊंचाइयों तक पहुंचाया है. 

दिलचस्प बात यह है कि यह ग्रुप व्यावहारिक रूप से तम्बाकू, नॉन-वेज और शराब को छोड़कर सभी उत्पादों और वस्तुओं का व्यापार करता है. दूसरी ओर, उन्होंने सोशल वर्क पर ध्यान केंद्रित किया है, और भारत और विदेशों में अस्पतालों, कल्याण केंद्रों, स्कूलों और कॉलेजों का निर्माण किया है. यह ग्रुप 150,000 से अधिक लोगों को रोजगार दे रहा है. 

फोर्ब्स के अनुसार, हिंदुजा भाई 2020 में भारत के पांचवें सबसे अमीर व्यवसायी थे। मार्च 2021 तक उनकी कुल संपत्ति 14.8 बिलियन डॉलर थी. हालांकि, अब इस ग्रुप का बंटवारा होने जा रह है और देखना होगा कि इसका बिजनेस पर क्या असर पड़ता है.