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Aachi Masala Success Story: 12 साल की उम्र में संभाली घर की जिम्मेदारी, गोदरेज में की नौकरी... Padmasingh Isaac ने खड़ी की करोड़ों की कंपनी

Aachi Masala Success Story: एडी पद्मसिंह इसाक (AD Padmasingh Isaac) ने साल 1995 में आची मसाला की शुरुआत की थी. उन्होंने शुरू में मसाले के पैकेट की कीमत 2 रुपए रखी थी. उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया. लेकिन हार नहीं मानी. आज आची मसाला कंपनी का कारोबार 12 राज्यों में फैला है.

Aachi Masala Founder AD Padmasingh Isaac (Photo/aachiexports.in) Aachi Masala Founder AD Padmasingh Isaac (Photo/aachiexports.in)

एक किसान परिवार में पैदा इस लड़के पर 12 साल की उम्र में फैमिली की जिम्मेदारी आ गई. चार भाई-बहनों की देखभाल करनी पड़ी. लेकिन उस लड़ने ने हिम्मत नहीं हारी. उसने गोदरेज में नौकरी की. उसने कंपनी के लिए पाउडर हेयर कलर बेचा.लेकिन वो लड़का कुछ और करना चाहता था. लड़के ने अपनी फूड कंपनी शुरू की. धीरे-धीरे कंपनी ने मार्केट में अपनी जगह बनाई. आज कंपनी हजारों करोड़ का कारोबार करती है. इस कंपनी का नाम आची मसाला है और उस शख्स का नाम एडी पद्मसिंह इसाक है. चलिए उनकी कंपनी के फाउंडर पद्मसिंह की कहानी बताते हैं.

12 साल में निभाई परिवार की जिम्मेदारी-
एडी पद्मसिंह इसाक का जन्म तमिलनाडु के नाजरेत टाउन में एक किसान परिवार में हुआ. जब वो 12 साल के थे तो उनके पिता का निधन हो गया. परिवार में कमाने वाले उनके पिता ही थे. उनके निधन के बाद फैमिली की पूरी जिम्मेदारी पद्मसिंह पर आ गई. परिवार का खर्च चलाने के लिए उन्होंने नौकरी की. उन्होंने बालों के लिए डाई बेचने वाली कंपनी में काम किया. उन्होंने इस कंपनी में काफी समय तक नौकरी की. लेकिन बाद में जॉब छोड़ दी.

साल 1995 में कंपनी की शुरुआत-
पद्मसिंह इसाक ने साल 1995 में आची मसाले की शुरुआत की. उन्होंने डेली वेज वर्कर्स के लिए करी मसाला पाउडर पेश किया. इसकी कीमत 2 रुपए थी. उन्होंने मसालों को 'द मदर ऑफ गुड टेस्ट' टैगलाइन दिया. पद्मसिंह का पहला प्रोडक्ट उनकी मां का फेवरेट था. इस मसाले को बेचने के लिए उनको काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. नया ब्रांड होने की वजह से शुरुआत में दुकानदारों ने इसे बेचने से इनकार कर देते थे.

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इसाक ने इसकी काट खोजी. उन्होंने हर पैकेट की बिक्री पर एक स्टील का गिलास देने का ऑफर दिया. इसके बाद लोग इसे खरीदने लगे. जब इसकी डिमांड बढ़ने लगी तो दुकानदार भी इसे बेचने लगे. इसके बाद पद्मसिंह ने चिकन और मटन मसाले भी मार्केट में उतार दिए. उन्होंने क्वालिटी पर पूरा फोकस किया. जब इन मसालों की डिमांड बढ़ने लगी तो पद्मसिंह को लगा कि अब इसे बड़े पैमाने पर करना होगा.

मैन्युफैक्चरिंग यूनिट खोली-
पद्मसिंह इसाक ने डिमांड को पूरा करने के लिए एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट खोल दी. इस यूनिट की क्षमता रोजाना 120 मीट्रिक टन मसाला मिक्स बनाने की थी. इसके बाद पद्मसिंह ने मिर्च पाउडर, जीरा पाउडर जैसे मसाले भी बनाने लगे. अब कंपनी तेजी से ग्रोथ करने लगी. कंपनी दक्षिण भारत के मार्केट पर छा गई.

कंपनी का कारोबार-
आची मसालों का कारोबार अभी 12 राज्यों में फैला है. आची प्रोडक्ट की लिस्ट 200 तक पहुंच गई है. 10 लाख से ज्यादा काउंटर्स पर इन मसालों ने जगह बना ली है. आची मसाला दक्षिण भारत की नंबर वन कंपनी है. 400 से अधिक सेल्स एजेंट इससे जुड़े हैं. मसालों को काउंटर्स तक पहुंचाने के लिए 700 हॉकर लगे हैं.

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