dairy technology, VARUN SINGH CHAUDHARY
dairy technology, VARUN SINGH CHAUDHARY आज के समय में जहां लोग पढ़ाई-लिखाई कर शहरों की ओर शिफ्ट हो रहे हैं वहीं इन सब से अलग कई ऐसे लोग भी हैं जो ग्रामीण जीवन में आर्थिक स्थिरता तलाश रहे हैं. ऐसे ही लोगों में एक नाम वरुण सिंह चौधरी का है. जिन्होंने बीटेक की पढ़ाई करने के बाद गांव लौटकर दूध बेचने का फैसला किया था. वरुण का यह फैसला उनके जीवन में बहुत अहम साबित हुआ क्योंकि आज वह सालाना एक करोड़ रुपए की कमाई कर रहे हैं.
2013 में शुरू किया, आज इतना सफल है बिजनेस
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में बेलवा मोती गांव के रहने वाले वरुण का बिजनेस भले ही आज बेहद सफल है. लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने शुरुआत शून्य से ही की थी. इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके वरुण ने डेयरी बिजनेस 2013 में शुरू किया था. बात करें मौजूदा दौर की तो वरूण के पास लगभग 200 गाय-भैंस हैं. वह पराग मिल्क फूड्स (Parag Milk Foods) को इनका दूध सप्लाई करते हैं.
वरुण के पास थारपारकर, जर्सी, साहीवाल से लेकर मुर्रा जैसी नस्लों की गाय और भैंसे हैं. वरुण खेती के बिजनेस में भी शामिल हैं और अपनी गायों के लिए चारा खुद उगाते हैं. ये मवेशी गर्मियों के सीजन में जहां करीब 700 लीटर दूध देते हैं, वहीं सर्दियों में दूध का प्रोडक्शन बढ़कर 1200 लीटर तक पहुंच जाता है. अमर उजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार, वरुण की डेयरी साल में 2.08 लाख लीटर दूध का उत्पादन करती है. वह उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े दूध उत्पादक हैं जिसके लिए उन्हें छह बार गोकुल पुरस्कार भी मिल चुका है.
हाइटेक है यह डेयरी
वरुण ने किसान तक के साथ खास बातचीत में बताया कि गोशाला पूरी तरह से ऑटोमैटिक है. गाय-भैंसों का दूध मशीनों के जरिए निकाला जाता है. उन्होंने बताया कि उनके पास बी लेवल कंपनी का सेटअप है. ये कंपनी डेयरी सेटअप कराती है. ऑटोमैटिक डेयरी उद्योग में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है.
इसमें ऑटोमैटिक दूध निकालने की मशीनें भी शामिल हैं. ये मशीनें न केवल दूध निकालने का काम आसान बनाती हैं, बल्कि दूध की क्वालिटी को भी बनाए रखती हैं. ऑटोमैटिक दूध निकालने की मशीन कैसे काम करती है, आइए जानते हैं.
कपलिंग - सबसे पहले, गाय को एक विशेष प्रकार के स्टॉल में खड़ा किया जाता है. इस स्टॉल में एक कपलिंग होती है जो गाय के थन के आकार के अनुसार होती है.
वैक्यूम - जब गाय स्टॉल में खड़ी हो जाती है, तो मशीन में एक वैक्यूम क्रिएट होता है. यह वैक्यूम थन से दूध को खींचता है.
पाइप - खींचा हुआ दूध पाइप के माध्यम से एक कंटेनर में जाता है.
सफाई - दूध निकालने के बाद, मशीन खुद साफ हो जाती है.
कितना है कंपनी का टर्नओवर?
वरुण ने किसान तक के साथ खास बातचीत में बताया कि डेयरी फार्मिंग से आज उनका सालाना टर्नओवर 90 लाख से लेकर एक करोड़ रुपए के बीच है. वरुण अपने बिजनेस को और आगे ले जाना चाहते हैं. उन्होंने अपनी डेयरी के दूध से अन्य डेयरी प्रोडक्ट बनाने का फैसला किया है. और वह जल्द ही इस क्षेत्र में भी कदम रखेंगे.
वरुण सिंह चौधरी की कहानी इस बात का एक शानदार उदाहरण है कि कैसे पारंपरिक व्यवसाय को आधुनिक तरीकों से चलाकर मुनाफा कमाया जा सकता है. दूध बेचने का व्यवसाय अक्सर छोटे स्तर पर किया जाता है लेकिन वरुण की सफलता ने कइयों को इस क्षेत्र में कदम रखने के लिए प्रेरित किया है.