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गुजरात में बनेगी देश की पहली चिप फैक्ट्री, जानें क्या है Semiconductor Chip, कार से लेकर एटीएम कार्ड तक, सब जगह होता है इस्तेमाल

सेमिकंडक्टर का इस्तेमाल कार, मोबाइल फोन और दूसरे इलेक्टॉनिक्स उपकरणों में किया जाता है. अभी तक भारत अन्य देशों से सेमीकंडक्टर आयात करता था लेकिन अब वेदांता और फॉक्सकॉन मिलकर गुजरात में इसका प्लांट लगाने वाले हैं. इससे लाखों लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.

Semiconductor Semiconductor
हाइलाइट्स
  • सबसे बड़ा कॉरपोरेट निवेश

  • लेकर आएगी लाखों नौकरियां

खनन समूह वेदांता (Vedanta) और ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माता कंपनी फॉक्सकॉन (Foxconn) गुजरात में भारत का पहला सेमीकंडक्टर उत्पादन संयंत्र बनाने वाली है. इसके लिए कंपनी 1.54 लाख करोड़ रुपये का निवेश करेगी. सेमिकंडक्टर का इस्तेमाल कार, मोबाइल फोन और दूसरे इलेक्टॉनिक्स उपकरणों में किया जाता है. अभी तक भारत में इसका निर्माण नहीं किया जाता है. इस तरह भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट बन जाने से आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में यह एक बहुमूल्य कदम साबित होगा.

सबसे बड़ा कॉरपोरेट निवेश 
गुजरात सरकार की ओर से एमओयू पर हस्ताक्षर करने वाले विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के राज्य सचिव विजय नेहरा ने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह अबतक का सबसे बड़ा कॉरपोरेट निवेश है. नेहरा ने से कहा कि दुनिया में इस्तेमाल होने वाले सभी चिप का आठ प्रतिशत ताइवान में बनता है. इसके बाद चीन और जापान का नंबर आता है. यह भारत के लिए रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे अन्य देशों पर हमारी निर्भरता कम होगी.

लेकर आएगी लाखों नौकरियां
अहमदाबाद में 1000 एकड़ जमीन पर इसके प्लांट लगाए जाएंगे. गुजरात सरकार के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर करने के बाद वेदांता के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने पीटीआई से कहा, "संयंत्र दो साल में उत्पादन शुरू कर देगा." फॉक्सकॉन टेक्निकल पार्टनर के रूप में काम कर रही है, जबकि ऑयल-टू-मेटल कॉन्गलोमिरेट वेदांत उसका फाइनेंसियल पार्ट देख रहा है. कंपनियों ने एक ज्वाइंट स्टेटमेंट में कहा कि वेदांता और फॉक्सकॉन जमीन, सेमीकंडक्टर-ग्रेड वाटर और बिजली सहित आवश्यक बुनियादी ढांचे के साथ उच्च तकनीक वाले क्लस्टर स्थापित करने के लिए राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करेंगे. कंपनियों ने यह भी कहा कि यह परियोजना गुजरात में 100,000 से अधिक नौकरियों लेकर आएगी.

क्या है समीकंडक्टर?
सेमीकंडक्टर चिप्स, या माइक्रोचिप्स को हम कई डिजिटल कंज्यूमर प्रोड्क्टस के आवश्यक टुकड़े कह सकते हैं. कारों से लेकर मोबाइल फोन और एटीएम कार्ड तक में इसका इस्तेमाल होता है. 2021 में भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार का मूल्य 27.2 बिलियन डॉलर था और 2026 में 64 बिलियन डॉलर तक पहुंचने के लिए लगभग 19 प्रतिशत की स्वस्थ सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है. लेकिन इनमें से कोई भी चिप्स अभी तक भारत में निर्मित नहीं हैं. पिछले साल सेमीकंडक्टर की सप्लाई चेन में भारी कमी ने इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोटिव सहित कई उद्योगों को प्रभावित किया था.

क्यों हैं जरूरी?
ये चिप्स सभी आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना और संचार प्रौद्योगिकी उत्पादों के कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. सरल शब्दों में कहें तो इन्हें ऑटोमोबाइल, घरेलू गैजेट्स और आवश्यक चिकित्सा उपकरणों जैसे ईसीजी मशीनों के बिल्डिंग ब्लॉक के रूप में माना जा सकता है.

दुनिया भर में ऑनलाइन गतिविधियों के बढ़ने के साथ ही कोविड-19 महामारी ने इन चिप्स की मांग को बहुत ज्यादा बड़ा दिया था. एक नए सेट-अप के साथ जहां लोगों ने अपना अधिकांश समय ऑनलाइन गतिविधियों पर खर्च करना शुरू कर दिया, घर से काम करते हुए, चिप से चलने वाले कंप्यूटर और स्मार्टफोन की बाजार की मांग सप्लाई चेन में डूब गई. समय ने सेमीकंडक्टर चिप्स की बढ़ती आवश्यकता पर प्रकाश डाला.