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RBI New Rule: बैंकिंग सेक्टर में आया बड़ा बदलाव, सालों से पड़े अनक्लेम्ड पैसे निकालना हुआ आसान.. जानें क्या है तरीका?

RBI ने Depositor Education and Awareness Fund Scheame लागू की है. इसके तहत किसी भी बचत, चालू या सावधि जमा खाते में अगर 10 साल तक कोई गतिविधि नहीं होती, तो बैंक वह राशि RBI के केंद्रीय फंड में ट्रांसफर कर देता है. इससे पैसा सुरक्षित रहता है और जब मालिक सामने आता है, तो उसे वापस लौटाया जा सकता है.

Reserve Bank of India Reserve Bank of India

बैंकिंग सेक्टर तेजी से बदल रहा है और साल 2025 ग्राहकों के लिए कई अहम सुधार लेकर आया है. खासतौर पर उन लोगों के लिए राहत की खबर है, जिनके पुराने बैंक खातों में जमा रकम सालों से बिना दावे के पड़ी थी या जिनके खातों में लंबे समय से कोई लेन-देन नहीं हुआ था. इसके साथ ही नॉमिनी से जुड़े नियमों को भी पहले से ज्यादा सरल और ग्राहकों के हित में बना दिया गया है. अब अनक्लेम्ड पैसे निकालना हो या नॉमिनी तय करना, दोनों ही प्रोसेस पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा आसान हो चुकी हैं.

अनक्लेम्ड डिपॉजिट क्या है और सरकार ने क्या बदला?
भारत में ऐसे लाखों बैंक खाते हैं जिनमें सालों से कोई ट्रांजैक्शन नहीं हुआ. जब खाताधारक या उसके वारिसों की जानकारी उपलब्ध नहीं होती, तो इन खातों में जमा रकम को अनक्लेम्ड डिपॉजिट कहा जाता है. पहले यह पैसा सालों तक बैंकिंग सिस्टम में डेड पड़ा रहता था.

अब सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक की सक्रिय पहल के चलते इन पैसों को असली हकदारों तक पहुंचाने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है. संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक, अप्रैल 2022 से नवंबर 2025 के बीच बैंकों ने 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की अनक्लेम्ड राशि वापस लोगों को लौटाई है.

इनएक्टिव खातों की हुई पहचान
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के अनुसार, सरकारी और निजी दोनों तरह के बैंकों ने मिलकर लाखों इनएक्टिव खातों की पहचान की गई. इन खातों में सालों से कोई दावा नहीं किया गया था. बैंकों ने दस्तावेजों की जांच, कानूनी वारिसों की पुष्टि और खाताधारकों या उनके परिवार से संपर्क कर यह रकम सही लोगों तक पहुंचाई. इससे ग्राहकों को काफी फायदा हुआ.

सालों बाद भी पैसा मिलना हुआ संभव
आरबीआई ने Depositor Education and Awareness Fund Scheme लागू की है. इसके तहत अगर किसी बचत, चालू या सावधि जमा खाते में 10 साल तक कोई गतिविधि नहीं होती, तो बैंक उस रकम को आरबीआई के केंद्रीय फंड में ट्रांसफर कर देता है. इस व्यवस्था का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि पैसा सुरक्षित रहे और जब भी असली मालिक या उसका वारिस सामने आए, तो रकम उसे वापस मिल सके.