scorecardresearch

World's consumer day: जागो ग्राहक जागो! भारत में हर ग्राहक को पता होने चाहिए अपने ये 6 अधिकार, आप भी जानें

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम कानून उपभोक्ताओं को बाजार में प्रभावी ढंग से खरीदारी करने और निर्माताओं, व्यापारियों के शोषण के खिलाफ लड़ने के लिए सशक्त बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. 

World's consumer day World's consumer day
हाइलाइट्स
  • संरक्षित होने का अधिकार

  • चुनने का अधिकार

World's consumer day: जैसे-जैसे लोगों की जरूरते बढ़ती जा रही है वैसे बाजार में ग्राहकों के साथ होने वाली धोखाधड़ी भी बढ़ रही है. ऐसे में जरूरी है कि सबको अपने अधिकारों में बारे में पता हो. अधिकारों के साथ अपनी जिम्मेदारियों के बारे में भी सभी ग्राहकों को पता होना चाहिए. उपभोक्ता संगठनों के सहयोग और कानून की मदद से ग्राहक के लिए खरीदारी और भी प्रादर्शी हो सकती है. इसी को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है.  

भारत में उपभोक्ता अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 बनाया गया है. यह कानून उपभोक्ताओं को बाजार में प्रभावी ढंग से खरीदारी करने और निर्माताओं, व्यापारियों के शोषण के खिलाफ लड़ने के लिए सशक्त बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. 

क्या हैं एक ग्राहक के अधिकार?

सम्बंधित ख़बरें

2019 का उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम उपभोक्ताओं को छह मौलिक अधिकार देता है- 

1. संरक्षित होने का अधिकार (Right to Be Protected)

यह अधिकार उपभोक्ताओं को उन खतरनाक उत्पादों या सेवाओं से सुरक्षा प्रदान करता है जो जीवन या संपत्ति के लिए जोखिम पैदा कर सकते हैं. उपभोक्ताओं के पास खरीदारी करने से पहले गारंटी मांगने और उत्पाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करने का विशेषाधिकार है. वे एगमार्क या आईएसआई जैसे गुणवत्ता प्रमाणन वाले सामान को चुन सकते हैं.

2. सूचित होने का अधिकार (Right to Be Informed)

उपभोक्ताओं को उत्पादों और सेवाओं की मात्रा, गुणवत्ता, कीमत और दूसरी जरूरी डिटेल्स के बारे में जानकारी लेने का अधिकार है. इसके लिए प्रोडक्ट के लेबल और पैकेजिंग पर सटीक जानकारी देना जरूरी है. 

3. चुनने का अधिकार (Right to Choose)

ग्राहक अपने मन से प्रोडक्ट चुन सकते हैं. उनके पास चुनने का अधिकार है. यह उपभोक्ताओं को व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के आधार पर निर्णय लेने का अधिकार देता है. 

4. सुने जाने का अधिकार (Right to Be Heard)

उपभोक्ताओं को उचित मंचों पर अपनी चिंताओं और शिकायतों को बताने का अधिकार है. यह अधिकार सुनिश्चित करता हुए कि उनके हितों पर उचित रूप से विचार किया जाए. इस अधिकार की मदद से किसी भी विवाद को सुलझाया जा सकता है. 

5. निवारण मांगने का अधिकार (Right to Seek Redressal)

अगर उपभोक्ता के साथ कोई शोषण हुआ है तो वो उसके लिए निवारण पा सकता है. इसमें सामने आई शिकायतों के लिए मुआवजा भी शामिल है. इसके लिए अलग-अलग उपभोक्ता संगठन और मंच हैं जिनकी मदद से उपभोक्ताओं की शिकायतों का प्रभावी ढंग से समाधान किया जा सकता है. 

6. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार (Right to Consumer Education)

ग्राहक अपने हितों की रक्षा के लिए अपना ज्ञान और कौशल बढ़ा सकता है. इसके लिए उन्हें शिक्षित होना जरूरी है. 

ग्राहक के रूप में आपके दायित्व? 

अधिकारों के आलावा एक ग्राहक के कई दायित्व भी हैं. ये जिम्मेदारियां सभी को पूरी करनी चाहिए-

-जागरूक रहने की जिम्मेदारी

उपभोक्ताओं को खरीदारी करने से पहले उत्पादों और सेवाओं की सुरक्षा और गुणवत्ता का आकलन करने में सावधानी बरतनी चाहिए. 

-स्वतंत्र रूप से सोचने की जिम्मेदारी

उपभोक्ताओं को व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के आधार पर सही निर्णय लेना चाहिए. साथ ही किसी भी तरह के विज्ञापनदाताओं के अनुचित प्रभाव के आगे झुकने से बचना चाहिए. 

-बोलने की जिम्मेदारी

उपभोक्ता अधिकारों को बनाए रखने और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए घटिया उत्पादों के खिलाफ शिकायतें व्यक्त करना और शिकायत दर्ज करना जरूरी है.

-शिकायत करने की जिम्मेदारी

उपभोक्ताओं को शिकायतें दर्ज करने और बाजार में आने वाली शिकायतों के निवारण के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए. 

-गुणवत्ता के प्रति जागरूक रहने की जिम्मेदारी

गुणवत्ता को प्राथमिकता देने और घटिया या मिलावटी सामान से जुड़े जोखिमों से बचने के लिए ग्राहकों को जिम्मेदार होना चाहिए.