
किसी भी कंपनी के लिए होता है अपनी बेहतरीन एम्पलॉय को पहचनना और उसको अपने साथ बनाए रखना. इसी को कहते हैं Employee Retention. यानी आप अपने एम्पलॉय को ऐसी सुविधा दे रहे हैं, जिसकी वजह से वह किसी दूसरी कंपनी में आपको छोड़कर नहीं जा रहा है. ऐसे ही एक एम्लॉय की बात करेंगे जिनका नाम, नीम मोहन, है और उन्होंने बताया कि कैसे उनकी कंपनी ने उन्हें अपने साथ बनाए रखने के लिए क्या किया.
कौन है Neal Mohan
नील मोहल यूट्यूब के सीईओ है. यूट्यूब जो गूगल के अंडर आता है और पेरेंट कंपनी एल्फाबेट है. हाल ही में वह ज़ेरोधा के को-फाउंडर निखिल कामथ के पॉडकास्ट में नज़ए आए थे. जहां उन्होंने अपनी पर्सनल और प्रोशेनल ज़िंदगी को लेकर काफी बाते करी.
उन्होंने बताया कि टैलेंट की लड़ाई हमेशा चलती रहती है. हर कोई चाहता है कि बेस्ट टैलेंट वाला शख्स उसकी कंपनी में हो, उसके लिए वह कोई भी दाम देने के लिए तैयार रहता है. और ऐसा ही नील के साथ भी हुआ.
कैसे घेरा नील को टैलेंट हंट ने
दरअसल जब नील यूट्यूब में एक अच्छे पद पर तैनात थे. उस समय उन्हें ट्विटर की तरफ से ऑफर आया था. लेकिन क्योंकि गूगल नील के टैलेंट को पहचानता था. इसलिए गूगल ने नील मोहन के ऊपर दांव लगा दिया. 2011 TechCrunch की रिपोर्ट के अनुसार नील मोहन को कंपनी में बने रहने के लिए $100 मिलियन के स्टॉक्स दिए गए. जिसको नील ने खुशी-खुशी अपना लिया. यहां गूगल ने एम्पयॉल रेटेंशन की मिसाल दिखाई.
इसी रिपोर्ट के अनुसार सुंदर पिचाई को भी ट्विटर के द्वारा पिच किया गया था. लेकिन उन्हें भी गूगल ने $50 मिलियन के स्टॉक्स देकर अपने पास बनाए रखा. जिसका फायदा आज गूगल को मिल रहा है.
कहां से रखा नील ने मील का पत्थर
नील ने स्टैंफर्ड यूनिवर्सिटी से इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. जिसके बाद उन्होंने एक्सेंटर के साथ काम किया. उसके बाद उन्होंने नेटग्रैविटी का हाथ थामा. बाद में नेटग्रैविटी को डबलक्लिक द्वारा एक्वायर कर लिया गया. यहां नील का पद बढ़ गया. और वह बिजनस ऑपरेशन के वीसी बन गए. जब गूगल ने डबलक्लिर को एक्वायर किया तो नील को गूगल एड बिजनस में एक बड़ा पद मिला.