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एजुकेशन

सस्टेनेबिलिटी की मिसाल है रेगिस्तान का यह स्कूल! तपती गर्मी में बिना एसी-कूलर रहता है ठंडा, लड़कियों को मिल रही मुफ्त शिक्षा

Rajkumari Ratnavati Girls’ School
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राजस्थान के जैसलमेर में शिक्षा और सशक्तिकरण की तलाश में लड़कियों के लिए आशा की एक किरण है राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल. इस स्कूल का नाम जैसलमेर की राजकुमारी रत्नावती के नाम पर रखा गया है. यह स्कूल प्रगति का एक उदाहरण है, जो इस क्षेत्र में महिलाओं की कम साक्षरता दर से मुकाबला कर रहा है. यह अनोखा संस्थान क्लास 1 से 10 तक की छात्राओं को मुफ्त शिक्षा देता है. लेकिन इसके साथ-साथ एक और बात है जो इसे न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में अनोखा बनाती है और वह है इसका सस्टेनेबल आर्किटेक्चर. इस स्कूल की विशेषताएं जानकर आप दंग रह जाएंगे. 

Photo: Instagram/@dianakelloggarchitects

Rajkumari Ratnavati Girls’ School
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आपको बता दें कि इस स्कूल का निर्माण अमेरिका स्थित CITTA Foundation India ने करवाया है जिसके फाउंडर माइकल डॉब हैं. इस संस्था का उद्देश्य है बाल विवाह और पारंपरिक लैंगिक सोच के कारण लड़कियों की पढ़ाई में आ रही रुकावटों को दूर करना. इस संगठन ने ज़मीन का सर्वे, समुदाय से बातचीत, सरकार से सड़कों की अनुमति जैसे कई ज़रूरी काम किए. इस खास स्कूल को न्यूयॉर्क की आर्किटेक्ट डायना केलॉग ने डिजाइन किया है. 

Photo: Instagram/@dianakelloggarchitects

Rajkumari Ratnavati Girls’ School
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Architectural Review की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रत्नावती स्कूल (800 वर्गमीटर) लगभग $2,80,000 (लगभग ₹2.3 करोड़) में बनाया गया है और यह 400 छात्राओं के लिए है. यह स्कूल जैसलमेर के पास कनोई गांव में बना है, जो थार रेगिस्तान के पास है यह स्कूल आसपास के सात गांवों की लड़कियों को शिक्षित कर रहा है. यहां गर्मियों में तापमान 49°C तक चला जाता है, और सर्दियों में 9°C तक गिरता है. चारों तरफ रेत, कांटेदार झाड़ियां और धूप ही धूप है. इसलिए स्कूल को ऐसे डिजाइन किया गया है कि गर्मियों में भी यह ठंडा रहे. 

Photo: Instagram/@dianakelloggarchitects

Rajkumari Ratnavati Girls’ School
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स्थानीय इतिहासकारों की रिसर्च बताती है कि राजस्थान के लोग पारंपरिक रूप से मिट्टी और पत्थर के छोटे-छोटे घर बनाते हैं, जो गर्मी से बचाव करते हैं. इसी तरह, रत्नावती स्कूल के कमरे मोटे पत्थरों से बने हैं (380mm मोटे), खुलने वाले हिस्से कम हैं, और छाया देने के लिए ओवरहैंग बनाए गए हैं. 10 क्लासरूम एक आंगन के चारों ओर बने हैं ताकि रोशनी और हवा दोनों आ सके. 

Photo: Instagram/@dianakelloggarchitects

Rajkumari Ratnavati Girls’ School
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स्कूल का अंडाकार (ओवल) आकार पारंपरिक इमारतों से अलग है. बिल्डिंग में छत को छोड़कर ज़्यादातर पत्थर स्थानीय तौर पर 30 किमी दूर मोलसागर से लाए गए. कुछ मज़बूत हिस्सों में जोधपुर (300 किमी दूर) से लाल पत्थर मंगाया गया. ये पत्थर दिन में तेज़ धूप से सुरक्षा देते हैं और शाम के समय स्कूल को ठंडा बनाए रखता है. कक्षाओं और कार्यालयों को बड़ा बनाया गया है ताकि प्राकृतिक हवा आने-जाने की सुविधा हो. स्कूल की छत पर सौर पैनल लगाए गए हैं, जिससे बिजली मिलती है. 

Photo: Instagram/@dianakelloggarchitects

Rajkumari Ratnavati Girls’ School
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एक खास बात यह है कि यहां की छात्राओं की युनिफॉर्म को सब्यसाची मुखर्जी ने डिजाइन किया है. यह यूनिफॉर्म अजरख में तैयार की गई है. बताया जा रहा है कि लड़कियां अब स्कूल आ रही हैं, पहले के मुकाबले छात्राओं की संख्या और उपस्थिति बढ़ी है, और स्थानीय लोग इस स्कूल को पसंद कर रहे हैं.

Photo: Instagram/@dianakelloggarchitects