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17 साल की इस भारतीय मूल की लड़की ने ठगों की नींद उड़ाई, TIME ने दिया ‘Kid of the Year 2025’ का खिताब!

तेजस्वी का मानना है कि डिजिटल लिटरेसी अब कोई ऑप्शन नहीं बल्कि जरूरत है, खासकर बुजुर्गों के लिए. उनका यह काम लाखों परिवारों के लिए राहत की सांस जैसा है, क्योंकि जब दादा-दादी सुरक्षित रहेंगे तभी परिवार भी निश्चिंत रहेगा.

Tejasvi Manoj Tejasvi Manoj

क्या आपने कभी सोचा है कि आपके दादा-दादी या नाना-नानी ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार कितनी आसानी से हो सकते हैं? एक फ़ोन कॉल, एक व्हाट्सएप मैसेज या एक ईमेल और मिनटों में उनकी मेहनत की कमाई ठगों के खाते में चली जाती है. लेकिन अब, 17 साल की भारतीय मूल की लड़की तेजस्वी मनोज ने इस खतरे के खिलाफ एक अनोखी ढाल खड़ी कर दी है- Shield Seniors. और इसी काम की वजह से उन्हें मिला है TIME मैगजीन का Kid of the Year 2025 का खिताब.

कौन हैं तेजस्वी मनोज?
कैलिफोर्निया में जन्मी और टेक्सास में पली-बढ़ी तेजस्वी भारतीय मूल की टीनएजर हैं. उनके माता-पिता दोनों ही सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. तेजस्वी न सिर्फ पढ़ाई में अव्वल हैं बल्कि Eagle Scout, वायलिन वादक और कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़ी वॉलंटियर भी हैं. वह आगे चलकर कंप्यूटर साइंस में AI और साइबर सिक्योरिटी पर फोकस करना चाहती हैं.

Shield Seniors का आइडिया कैसे आया?
कहानी की शुरुआत उनके दादाजी से हुई. एक दिन किसी स्कैमर ने उन्हें फोन कर खुद को रिश्तेदार बताया और पैसों की मांग की. तेजस्वी ने जब यह सुना तो उन्हें झटका लगा. उन्हें समझ आया कि उनके दादा ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के बुजुर्ग ऐसे ऑनलाइन जालसाज़ों के आसान निशाने हैं.

इसके बाद उन्होंने रिसर्च शुरू की और पाया कि सिर्फ अमेरिका में ही 2024 में 60 साल से ऊपर के लोगों से 5 अरब डॉलर से ज्यादा की ठगी हुई है. एफबीआई की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल की तुलना में इसमें 32% की बढ़ोतरी हुई.

आखिर क्या करता है Shield Seniors?
तेजस्वी ने जो प्लेटफ़ॉर्म बनाया है, उसका नाम है Shield Seniors. यह न सिर्फ बुजुर्गों को ऑनलाइन ठगी से बचने की जानकारी देता है बल्कि संदिग्ध मैसेज और ईमेल का AI-आधारित विश्लेषण भी करता है.

इसमें एक चैटबॉट है, जो आसान भाषा में सवालों के जवाब देता है. साथ ही, यह बुजुर्गों को सीधे सरकारी अथॉरिटीज़ के रिपोर्टिंग लिंक तक पहुंचाता है, ताकि वे खुद को बचा सकें और ठगों की शिकायत कर सकें.

तेजस्वी का असर और उपलब्धियां

  • 2024 में उन्हें Congressional App Challenge में ऑनरेबल मेंशन मिला.
  • 2025 में उन्होंने Plano, Texas में एक TEDx Talk दिया, जिसमें डिजिटल दुनिया से सभी उम्र के लोगों को जोड़ने की बात कही.
  • वह अक्सर असिस्टेड लिविंग फैसिलिटीज़ में जाकर बुजुर्गों को ऑनलाइन सेमिनार देती हैं और Shield Seniors का डेमो दिखाती हैं.

तेजस्वी कहती हैं, “पहला सेमिनार लेते वक्त मैं बहुत नर्वस थी. डर था कि कहीं कोई आए ही ना. लेकिन जब लोगों को नोट्स लेते और सवाल पूछते देखा, तो आत्मविश्वास और बढ़ गया.”

क्यों है Shield Seniors जरूरी?
आजकल हर दिन किसी न किसी को साइबर ठगों का शिकार होना पड़ता है. युवा तो फिर भी जागरूक हो जाते हैं, लेकिन बुजुर्गों को यह तकनीकी धोखाधड़ी समझाना मुश्किल होता है. Shield Seniors इस अंतर को खत्म करने की कोशिश कर रहा है.

तेजस्वी का मानना है कि डिजिटल लिटरेसी अब कोई ऑप्शन नहीं बल्कि जरूरत है, खासकर बुजुर्गों के लिए. उनका यह काम लाखों परिवारों के लिए राहत की सांस जैसा है, क्योंकि जब दादा-दादी सुरक्षित रहेंगे तभी परिवार भी निश्चिंत रहेगा.

सोचिए, 17 साल की उम्र में जब ज्यादातर बच्चे सोशल मीडिया या गेम्स में बिज़ी रहते हैं, तेजस्वी ने एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म खड़ा किया है जो पूरी दुनिया के बुजुर्गों की सुरक्षा की ढाल बन रहा है. शायद यही वजह है कि आज पूरी दुनिया उन्हें TIME Kid of the Year 2025 कह रही है.