
असम की बेटी अरनी एस हज़ारिका ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड से संस्कृत में डिग्री हासिल कर ऐसा करने वाली पहली असमिया बन गई हैं. उन्होंने ऑक्सफोर्ड से संस्कृत और क्लासिकल हिन्दी (Bachelor's in Sanskrit and Classical Hindi) डिग्री हासिल की है. 21 साल की अरनी ने नौ अगस्त को ऑक्सफोर्ड के प्रतिष्ठित शेल्डोनियन थिएटर ऑडिटोरियम में आयोजित स्नातक समारोह के दौरा अपनी आर्ट्स डिग्री हासिल की.
असम से ऑक्सफोर्ड का सफर रहा ऐसा
अरनी का असम से ऑक्सफोर्ड का सफर तब शुरू हो गया था जब उन्होंने 12वीं कक्षा की परीक्षा दी थी. ऑक्सफोर्ड ने उनके अकादमिक रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें सिमन एंड जून ली अंडरग्रैजुएट स्कॉलरशिप (Simon and June Li Undergraduate Scholarship) दी. यह स्कॉलरशिप कम प्रतिनिधित्व वाले बैकग्राउंड से आने वाले स्टूडेंट्स के लिए होती है. स्कॉलरशिप मिलते ही अरनी ने 2022 में कॉलेज में दाखिला ले लिया.
अपनी डिग्री के दौरान हज़ारिका ने असम के एक प्रमुख वैष्णव मठ, माजुली स्थित दक्षिणपाट सत्र की 15वीं शताब्दी की सांची पांडुलिपि के मानकीकरण पर अपना शोध प्रबंध (Dissertation) केंद्रित किया. इस कार्य में पांडुलिपि की भाषाई विशेषताओं, वर्तनी और संरक्षण संबंधी चुनौतियों का विस्तृत अध्ययन शामिल था. उनके अकादमिक प्रदर्शन को देखते हुए ऑक्सफोर्ड ने उन्हें इसी फील्ड में मास्टर्स डिग्री हासिल करने का मौका दिया है. वह इसी साल बैलियोल कॉलेज में अपनी मास्टर्स डिग्री की शुरुआत कर सकती हैं.
बचपन से था पढ़ने का शौक
अरनी के पिता बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही किताबों से प्यार था. वह अरनी के कमरे का रुख करते हुए बताते हैं कि उनके पास एक बहुत बड़ा बुक शेल्फ है. अरनी को रस्किन बॉन्ड पसंद हैं लेकिन उनका बुक शेल्फ कई लेखकों की किताबों से भरा हुआ है. जब अरनी को ऑक्सफोर्ड से स्कॉलरशिप का ऑफर मिला तो उनके पिता को पहली बार पता चला कि ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज जैसी बड़ी आइवी लीग यूनिवर्सिटीज़ में भारतीय विद्यार्थियों को भी स्कॉलरशिप मिलती है.
उनका मानना है कि अरनी ने जो हासिल किया है वह बेहद प्रेरणादायक है और उन जैसे कई छात्रों को प्रेरित करेगा. अरनी ने न सिर्फ असम के इतिहास में एक पन्ना जोड़ा है, बल्कि अपने जैसे कई स्टूडेंट्स को भी प्रेरित किया है. ऑक्सफोर्ड के संस्कृत प्रोग्राम ने जहां अब तक कई अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों को शिक्षा दी है, वहीं अरनी की ग्रैजुएशन से असम भी इस खास सूचि में शामिल हो गया है. उम्मीद की जा रही है कि असम के स्कूलों से निकलने वाले कई अन्य स्टूडेंट ऑक्सफोर्ड तक अपना रास्ता ढूंढ सकेंगे.
(गुवाहाटी से सारस्वत कश्यप का इनपुट)