Emotional viral post
Emotional viral post बेंगलुरु के एक शख्स की LinkedIn पोस्ट इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. लेकिन यह कोई आम पोस्ट नहीं थी, बल्कि एक "शोक संदेश" था! 3 साल से बेरोजगार इस शख्स ने अपनी निराशा जाहिर करने के लिए खुद की नौकरी खोजने की कोशिशों की ‘मौत’ की घोषणा कर दी.
"थैंक यू, LinkedIn! थैंक यू, इंडस्ट्री लीडर्स!"
बेंगलुरु के प्रशांत हरिदास नाम के इस शख्स ने LinkedIn पर अपने जॉब सर्च की "अंतिम विदाई" का ऐलान करते हुए लिखा, "थैंक यू, LinkedIn, सब कुछ देने के लिए. थैंक यू, इंडस्ट्री लीडर्स, मुझे 'घोस्ट' करने और अनदेखा करने के लिए. थैंक यू, मुझे सेल्फ-ग्रूमिंग पर पैसा खर्च करवाने के लिए ताकि आप मुझे फिर भी नजरअंदाज कर सकें."
इसके साथ ही उन्होंने अपनी एक फोटो भी शेयर की, जिसके ऊपर बड़े अक्षरों में लिखा था, "Rest in Peace" (RIP), जैसे यह किसी की मृत्यु की सूचना हो!
"मैं खुद को मार नहीं रहा, लेकिन..."
उनकी पोस्ट पढ़कर लोगों को झटका लगा और कई लोगों ने चिंता जताई कि कहीं वह खुद को नुकसान तो नहीं पहुंचाने वाले! लेकिन प्रशांत हरिदास ने तुरंत सफाई देते हुए लिखा, "मैं खुद को मार नहीं रहा हूं. अभी बहुत कुछ करना बाकी है. नए खाने चखने हैं, नई जगहें घूमनी हैं. बस नौकरी खोजने और जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिशें अब मर चुकी हैं!" उन्होंने यह भी लिखा कि "करीब तीन साल से बेरोजगार और अकेले रहना बहुत कठिन है."
पोस्ट पर आईं प्रतिक्रियाओं की बाढ़
इस इमोशनल पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर सैकड़ों लोगों ने उनकी हिम्मत बढ़ाने और मदद करने की पेशकश की. एक यूजर ने लिखा, "मैं आपकी तकलीफ समझ सकता हूं. नौकरी ढूंढना बेहद मुश्किल हो सकता है, लेकिन आपकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी. सही मौका जल्द ही आपके दरवाजे पर दस्तक देगा!" एक अन्य यूजर ने सहानुभूति जताते हुए कहा, "कोविड महामारी ने हम सभी को अलग-थलग कर दिया था और अब जॉब मार्केट पहले जैसा नहीं रहा. हिम्मत मत हारिए, मैं अपने नेटवर्क से आपकी मदद करने के लिए तैयार हूं!"
दरअसल, प्रशांत हरिदास की पोस्ट ने सिर्फ एक व्यक्ति की तकलीफ को नहीं, बल्कि भारत के हजारों-लाखों युवाओं की सच्चाई को उजागर कर दिया. महामारी के बाद नौकरियों का संकट बढ़ा है. कई योग्य और अनुभवी लोग भी अच्छी नौकरियों के लिए संघर्ष कर रहे हैं. HR और कंपनियों द्वारा जॉब सीकर्स को 'घोस्ट' करना आम हो गया है, यानी इंटरव्यू बुलाकर बाद में जवाब तक नहीं देना.
तो क्या HR और इंडस्ट्री लीडर्स को बदलनी होगी सोच?
प्रशांत की पोस्ट से यह सवाल भी खड़ा होता है कि क्या कंपनियों को अब जॉब सीकर्स के साथ ज्यादा संवेदनशील और जिम्मेदार होना चाहिए?
कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि HRs को उम्मीदवारों को जवाब देना चाहिए, भले ही वह रिजेक्ट हों.
एक यूजर ने लिखा, "इंटरव्यू के बाद जवाब न देना बेरोजगार लोगों को मानसिक रूप से और ज्यादा परेशान कर सकता है. कंपनियों को इसपर ध्यान देना चाहिए!"