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CRPF Gururkul: नक्सली इलाके में गुरुकुल की शुरुआत... जवानों ने उठाया बच्चों की शिक्षा का जिम्मा

CRPF Gurukul कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए है और यहां शैक्षणिक शिक्षा के साथ-साथ खेलों की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं.

CRPF Gurukul (Photo: X.com) CRPF Gurukul (Photo: X.com)

छत्तीसगढ़ के बस्तर के जिस इलाके में कभी गोलियों की गूंज होती थी, वहां अब छोटे बच्चों की चहचहाहट सुनाई देती है. सीआरपीएफ ने टेकलगुड़ेम में एक स्कूल शुरू किया है. यह वही जगह है जहां अप्रैल 2021 में 29 जवानों की जान लेने वाला नक्सली हमला हुआ था और इसे कुख्यात माओवादी कमांडर हिडमा का गढ़ माना जाता था. इस स्कूल का नाम ‘सीआरपीएफ गुरुकुल’ रखा गया है. यह स्कूल कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए है और यहां शैक्षणिक शिक्षा के साथ-साथ खेलों की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं.

CRPF ने बदली तस्वीर 
टेकुलगुड़ा एक घने जंगल वाला इलाका है, जो रायपुर से लगभग 450 किलोमीटर दूर है और अब तक यहां बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी थी। लेकिन यहां एक पुलिस कैंप की स्थापना ने तस्वीर काफी बदल दी. इस कैंप में सीआरपीएफ की कोबरा कमांडो टीम तैनात है. अब इस इलाके में सड़कें और बिजली पहुंच चुकी हैं और एक प्राथमिक विद्यालय भी खुल गया है. उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में इस गुरुकुल को 12वीं कक्षा तक अपग्रेड किया जाएगा. 

यह गुरुकुल सुरक्षा बलों की व्यापक पहल का हिस्सा है, जिन्होंने 2024 से इस क्षेत्र में अपनी मौजूदगी को मजबूत करना शुरू किया. इलाके पर नियंत्रण स्थापित होने के बाद, सीआरपीएफ की 150वीं बटालियन ने शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने की पहल की. यह एक मंजिला स्कूल सुरक्षा कैंप के पास बनाया गया है और एक स्थानीय युवक को बच्चों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किया गया है. सीआरपीएफ अधिकारियों के अनुसार, माओवादी प्रभावित इलाकों में विकास और शिक्षा की कमी सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक रही है. 150वीं बटालियन ने अपने संसाधनों का उपयोग कर यह स्कूल स्थापित किया, जो स्थानीय बच्चों के लिए आशा की किरण है. 

ग्रामवासियों को मिल रही सुविधाएं 
टेकलगुड़ेम और हिडमा के पैतृक गांव पुवर्ती में दो गुरुकुल खोले गए हैं, और आसपास के गांवों के 80 से ज्यादा बच्चों ने इनमें नामांकन लिया है. साल 2024 में टेकुलगुड़ा और पुवर्ती में सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए. शुरुआत में ग्रामीणों ने विरोध किया और माओवादियों ने कैंपों पर गोलीबारी की, लेकिन अब स्थानीय लोग इन कैंपों से बहुत खुश हैं क्योंकि वे ‘नियाद नेल्लानार’ योजना के माध्यम से सरकार और उसकी सुविधाओं से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं. 

2021 में टेकलगुड़ेम उस दिल दहला देने वाले हमले का साक्षी बना था, जिसमें माओवादियों ने 29 सीआरपीएफ जवानों की जान ले ली थी. उन्होंने एक सीआरपीएफ कमांडो का अपहरण भी किया था, जिसे बाद में रिहा कर दिया गया. उस त्रासदी से उबरते हुए अब यह इलाका शिक्षा और विकास की ओर अग्रसर हो रहा है. 

जवानों ने ली बच्चों की जिम्मेदारी 
इस समय बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ के जवान संभाल रहे हैं, लेकिन भविष्य में इसे स्थानीय शिक्षकों को सौंपने की योजना है. बच्चों को किताबों के साथ-साथ स्कूल यूनिफॉर्म और जूते भी दिए जा रहे हैं, और उनकी समग्र विकास के लिए वॉलीबॉल, फुटबॉल, बास्केटबॉल और योग की ट्रेनिंग भी दी जा रही है.

एक समय जो इलाका नक्सली हिंसा के लिए बदनाम था, अब शिक्षा और उम्मीद की एक नई कहानी गढ़ रहा है. जहां कभी संघर्ष की आवाजें गूंजती थीं, अब वहां स्कूल की घंटियां सुनाई देती हैं. सीआरपीएफ के प्रयास इस अस्थिर क्षेत्र को शिक्षा और समुदाय सेवा के केंद्र में बदल रहे हैं, और टेकलगुड़ेम व आसपास के गांवों के बच्चों को एक उज्जवल भविष्य की ओर ले जा रहे हैं.