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डेनमार्क में किताबों पर टैक्स खत्म, पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने की बड़ी पहल

संस्कृति मंत्री जेकब एंगल-स्मिट ने इस कदम को देश में गहराते "रीडिंग क्राइसिस" से निपटने की दिशा में एक बड़ा बदलाव बताया.

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डिजिटल युग में घटती पढ़ने की आदत को रिवाइव करने के लिए डेनमार्क ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है. सरकार ने घोषणा की है कि साल 2026 से किताबों पर लगाए जाने वाला 25% वैल्यू-ऐडेड टैक्स (VAT) पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा. यह टैक्स दुनिया में किताबों पर लगाए जाने वाले सबसे ऊंचे टैक्सों में से एक माना जाता था.

संस्कृति मंत्री जेकब एंगल-स्मिट ने इस कदम को देश में गहराते "रीडिंग क्राइसिस" से निपटने की दिशा में एक बड़ा बदलाव बताया. उन्होंने मीडिया से कहा कि आज की युवा पीढ़ी और बच्चे किताबों से लगातार दूर होते जा रहे हैं. अगर किताबें महंगी रहेंगी, तो लोग इन्हें और कम खरीदेंगे. हमें पढ़ने की संस्कृति को बचाना होगा, क्योंकि यही भाषा, रचनात्मकता और सामाजिक संवाद की नींव है.

किताबें होंगी 25% तक सस्ती
डेनमार्क में किताबों पर लंबे समय से लगाया जा रहा 25% वेट आम लोगों की पहुंच को सीमित कर रहा था. पब्लिशिंग इंडस्ट्री का मानना था कि महंगी किताबों के कारण लोग पढ़ाई से दूर हो रहे हैं, जिससे लेखक और पब्लिशर्स दोनों को नुकसान हो रहा था.

सरकार के इस फैसले के बाद किताबें लगभग एक-चौथाई सस्ती हो जाएंगी. एक्सपर्ट्स को उम्मीद है कि इससे किताबों की बिक्री में बढ़ोतरी होगी और पढ़ने की आदत फिर से मजबूत होगी.

ग्लोबल लेवल पर चर्चा की शुरुआत
डेनमार्क का यह कदम केवल अपने देश तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह फैसला वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बन सकता है.
भारत जैसे देशों में, जहां किताबें पहले से ही महंगी मानी जाती हैं, वहां भी टैक्स छूट या सब्सिडी पर विचार हो सकता है. शिक्षा और संस्कृति के विशेषज्ञों का मानना है कि किताबों को सुलभ बनाना उतना ही जरूरी है जितना डिजिटल शिक्षा में निवेश करना.

घट रही है किताबों की दुनिया

  • पिछले एक दशक में डेनमार्क समेत कई विकसित देशों में पढ़ने की आदत में तेज गिरावट देखी गई है.
  • बच्चे और युवा अब स्मार्टफोन, सोशल मीडिया और ऑनलाइन गेमिंग पर अधिक समय बिताते हैं.
  • किताबों की बिक्री लगातार घट रही है.
  • विशेषज्ञों के अनुसार, इससे नई पीढ़ी की भाषा, शब्दावली और आलोचनात्मक सोच पर नकारात्मक असर पड़ा है.

संस्कृति मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर यह प्रवृत्ति जारी रही, तो साहित्यिक परंपरा और सामाजिक संवाद दोनों कमजोर हो सकते हैं. इसी कारण सरकार ने किताबों पर टैक्स हटाने को पढ़ने की आदत को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक सबसे ठोस कदम माना है.

2026 में लागू होगा नया नियम
यह नई नीति 2026 के बजट से लागू होगी. तब यह देखना दिलचस्प होगा कि किताबों की कीमतों में कितनी गिरावट आती है और पढ़ाई की प्रवृत्ति किस हद तक लौटती है. फिलहाल इतना तय है कि डेनमार्क ने किताबों और संस्कृति को बचाने के लिए दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की है.
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