

झारखंड के धनबाद जिले की एक झोपड़ी से निकलकर झारखंड प्रशासनिक सेवा (JPSC) तक पहुंचने की इस कहानी में संघर्ष, समर्पण और सफलता का ऐसा मेल है जो हर युवा को प्रेरित कर सकता है. जवाहर नगर केंदुआडीह बस्ती की रहने वाली अनिता टुडू ने पहले ही प्रयास में JPSC परीक्षा पास कर ली है और 278वीं रैंक हासिल कर अफसर बन गई हैं.
बिना शौचालय, बिना पानी, फिर भी न थमी पढ़ाई
अनिता का घर एक जर्जर मिट्टी का मकान है, जहां न तो शौचालय है और न ही पीने के पानी की व्यवस्था. लेकिन इन कठिनाइयों ने कभी उसकी लगन और हिम्मत को नहीं डिगाया. उनकी मां तुलसी देवी, जो सब्जी बेचकर घर चलाती हैं, ने सीमित संसाधनों में भी बेटी को पढ़ाने का हर संभव प्रयास किया. आज वही बेटी एक अफसर बन गई है.
“लोगों को एक कागज के लिए भटकते देखा, तभी ठान लिया अफसर बनना है”
अनिता मूल रूप से गिरिडीह जिले के शुलची पंचायत के भीतिया गांव की रहने वाली हैं. साल 2022 में जब उन्हें आवासीय प्रमाण पत्र की आवश्यकता पड़ी, तो उन्होंने कई बार प्रखंड कार्यालय के चक्कर लगाए. इस दौरान उन्होंने महसूस किया कि एक सामान्य आदमी को एक मामूली दस्तावेज़ के लिए कितनी परेशानी होती है. यहीं से उनके मन में अफसर बनने की इच्छा जगी.
सोशल मीडिया बना गाइड, "डीएसपी की पाठशाला" से मिली प्रेरणा
अनिता ने इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी हासिल की कि CO या BDO कैसे बनते हैं और उनका कार्य क्या होता है. इस दौरान उन्हें “डीएसपी की पाठशाला” नामक यूट्यूब चैनल मिला, जिसे डीएसपी विकास श्रीवास्तव चलाते हैं. रांची में यह संस्था गरीब और मेहनती छात्रों को निःशुल्क मार्गदर्शन और सहायता देती है. अनिता ने वहीं से प्रेरणा लेकर 2023 में तैयारी शुरू की और पहले ही प्रयास में JPSC परीक्षा में सफलता हासिल की.
रांची में रहकर अनिता ने कोचिंग, सेल्फ-स्टडी और यूट्यूब चैनल की मदद से अपनी तैयारी पूरी की और सफलता पाई.
मां की मेहनत रंग लाई
अनिता की मां तुलसी देवी ने कहा, “मैंने सब्जी बेच-बेचकर उसे पढ़ाया. आज वो जेपीएससी पास कर अफसर बन गई, इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है?”
स्थानीय शिक्षक रंजन प्रसाद महतो, जो अनिता को शुरुआती शिक्षा में पढ़ा चुके हैं, ने कहा, “वह शुरू से ही मेहनती छात्रा थी. आज उसने जो मुकाम हासिल किया है, उससे मैं भी गौरवान्वित हूं.”
अनिता टुडू की कहानी केवल व्यक्तिगत सफलता की नहीं, बल्कि सिस्टम में बदलाव लाने की उम्मीद की कहानी है. गरीबी, संसाधनों की कमी और सामाजिक चुनौतियों के बावजूद उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी मंज़िल मुश्किल नहीं होती. अब अनिता की अगली इच्छा है कि वह IAS बनकर देश सेवा करे.
(सिथुन मोदक की रिपोर्ट)