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सड़कों पर गड्ढों से परेशान नेत्रहीन लोगों की मदद करने के लिए मैसूर के चार इंजीनियरिंग छात्रों ने उनके लिए एक स्वचालित चलने वाली (ऑटोमेटेड) छड़ी तैयार की है. कम लागत वाली, पोर्टेबल, कम बिजली की खपत करने वाली यह वॉकिंग स्टिक नेत्रहीनों के लिए फायदेमंद है.
इस छड़ी से नेत्रहीन लोग आसानी से नेविगेट कर सकेंगे, भीड़-भाड़ वाले स्थानों में उन्हें गड्ढों से बचने में मदद मिलेगी. इस नेक काम को किया है मैसूर में विद्यावर्धना कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (वीवीसीई) के चार छात्रों ने.
इन छात्रों ने किया इनोवेशन
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, स्मृति बालिगा और उनके सहपाठी सपना एच एम, श्रेयस एन और योगेश गौड़ा, चारों ही इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग पढ़ रहे हैं. उनका बनाया डिवाइस मुख्य रूप से अल्ट्रासोनिक सेंसर का उपयोग करता है. यह स्टिक, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) पर आधारित है जिसमें सेंसर का उपयोग करके रास्तों में गड्ढे और अन्य किसी परेशानी का पता लगाया जा सकता है. ताकि स्टिक समय पर आपको अलर्ट दे सके और आप सावधान हो जाएं.
छात्रों ने अपना प्रोजेक्ट ईसीई विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ चंद्रशेखर एम पाटिल और विद्यावर्धना कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में ईसीई विभाग के सहायक प्रोफेसर गिरिजांबा डीएल के मार्गदर्शन में किया.
इस्तेमाल करने में है आसान
सपना का कहना है कि दो साल पहले अपने एक शिक्षक से उन्होंने दृष्टिबाधित लोगों की मदद करने के लिए एक परियोजना पर काम करने पर चर्चा की. उनकी सुरक्षा को लेकर उन्होंने उस दौरान बच्चों से बातचीत की थी. और आखिरकार यह खास स्टिक बनाने का फैसला किया. लगभग 4 महीने में यह स्टिक बनकर तैयार हुई.
साथ ही, उन्होंने सुनिश्चित किया कि यह स्टिक हल्की और आसानी से पोर्टेबल हो ताकि नेत्रहीनों का आस्मविश्वास बढ़े और वे इसे इस्तेमाल करें.