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किसान के बेटे ने गरीब बच्चों के लिए खोला गली स्कूल, 270 बच्चों का संवार रहे हैं जीवन, उठा रहे हैं पढ़ाई-लिखाई का खर्च

प्रयागराज में एक किसान का बेटा अपने सपनों को छोड़कर बस्तियों में रहने वाले बच्चों के सपने पूरे कर रहा है. इस नेक दिल युवा ने बच्चों के लिए स्कूल खोला है जहां 270 बच्चों का जीवन संवर रहा है.

Vivek Dubey Vivek Dubey
हाइलाइट्स
  • अपने सपनों को छोड़ संवारी बच्चों की जिंदगी 

  • बस्ती में शुरू किया स्कूल

  • पढ़ रहे हैं 270 बच्चे

उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में एक ऐसा गली स्कूल है जहां पर झुग्गी-झोपड़ी और बस्तियों में रहने वाले बच्चे पढ़ाई करते हैं. इस गली स्कूल में पढ़ने वाली बच्चों के माता-पिता कबाड़ बीनने या मजदूरी करने का काम करते हैं. आर्थिक तंगी के चलते इन बस्तियों में रहने वाले ये बच्चे स्कूल नहीं जा पाते. कई बार बस्तियों में रहने वाले बच्चे के माता-पिता इन्हें पढ़ाना भी नहीं चाहते और काम पर लगा कर पैसे कमाने भेजते हैं. 

पर प्रयागराज के कीडगंज इलाके में बना यह गली स्कूल, झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले इन बच्चों के सपनों के पूरा करने के काम कर रहा है. और इस स्कूल को शुरू किया है जौनपुर के रहने वाले विवेक दुबे ने. एक किसान परिवार के बेटे होते हुए भी विवेक अपने सपनों को छोड़कर इन बच्चों का जीवन संवार रहे हैं. 

अपने सपनों को छोड़ संवारी बच्चों की जिंदगी 

विवेक के पिता एक किसान हैं और खेती से उनके पूरे परिवार का खर्चा चलता है. विवेक के एक भाई का देहांत बहुत पहले हो गया था और अब विवेक अपने पिता के इकलौते बेटे हैं. उनके पिता बेटे को पढ़ा-लिखा कर कामयाब इंसान बनाना चाहते थे. इसलिए  विवेक को प्रयागराज पढ़ने के लिए भेजा. पहले तो सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था लेकिन सड़क किनारे छोटे बच्चों को काम करते देख विवेक के सपनों का मंजिल बदल गई. 

ईसीसी कॉलेज से बीएससी करने के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में  एमएससी मों पढ़ रहे थे. पर फिर उन्होंने साल 2016 में थर्ड सेमेस्टर में पढ़ाई छोड़ दी ताकि इन बच्चों को पढ़ा सकें. उन्होंने प्रयागराज के कीडगंज इलाके के पुराने पुल से लेकर नए पुल तक बने सभी झुग्गी-बस्तियों में बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू कर दिया. यही नहीं इस बस्ती की गली में एक छोटा स्कूल भी खोल दिया. ताकि बस्तियों में रहने वाले बच्चों को अच्छी शिक्षा दी जा सके.

पढ़ रहे हैं 270 बच्चे 

विवेक इस बस्ती को अच्छा करने की कवायद में जुटे हैं. 270 बच्चे इस स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. यही नहीं इन बच्चों ने तकनीकी रूप से भी अपने आप को मजबूत कर लिया है. गली के इस स्कूल में 12 नन्हें वैज्ञानिकों ऐसे है जिन्होंने कबाड़ के सामान से कूलर, टेबल फैन, गोबरगैस प्लांट, सब्जी कटर, सोलर लैंप जैसी रोजमर्रा के उपयोग में आने वाले सामानों को बनाया है. इसी झोपड़पट्टी में रहने वाले बादल ने अंधेरे में पढ़ने के लिए अपनी एक सोलर लाइट बनाई है ताकि लाइट जाने पर अपनी पढ़ाई जारी रख सके. 

सागर ने अपना इलेक्ट्रिक पंखा बनाया है तो समीर ने अपने लिए इलेक्ट्रिक कूलर. वही शालू ने वैक्यूम क्लीनर बनाया है. सबसे खास बात यह है कि सारा सामान कबाड़ के सामान को इकट्ठा करके बनाया गया है. अब बहुत से बच्चों क दाखिला विवेक ने सरकारी स्कूलों में करवा दिया है. 

खुद उठाते हैं ये खर्च

विवेक बच्चों के बहुत से खर्च खुद उठाते हैं. जिनमें ये शामिल हैं- विद्यालय की फीस, ड्रेस, जूता, मोजा, स्कूल बैग देना, कंप्युटर क्लास की सुविधा, बच्चों का मेडिकल खर्च उठाना, 3 महीने में एक बार घुमाने ले जाना आदि. आपको बता दें कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जो 12वीं पास कर गए हैं और सरकारी नौकरी के लिए अप्लाई कर रहे हैं. 

(आनंद राज की रिपोर्ट)