
Hooghly primary school bank
Hooghly primary school bank आमतौर पर बच्चे चॉकलेट, चिप्स और फास्ट फूड के बेहद शौकीन होते हैं, जिससे न केवल उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि माता-पिता की मेहनत की कमाई भी व्यर्थ जाती है. इस आदत को बदलने के लिए पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय ने एक अनोखा और सराहनीय प्रयोग किया है. इस स्कूल में मिनी बैंक शुरू किया गया है जहां बच्चे घर से मिलने वाले पैसे जमा कर सकते हैं.
स्कूल में चलता है मिनी बैंक
इस सरकारी स्कूल में एक छात्र बैंक संचालित किया जाता है, जिसमें हर छात्र के पास खुद का पासबुक होता है. आम बैंक की तरह यहां भी लेनदेन के लिए फॉर्म और पर्चियों का उपयोग होता है. इस बैंक में चौथी कक्षा की दो छात्राएं कैशियर और मैनेजर की भूमिका निभा रही हैं. यह बैंक केवल लंच के समय 1 घंटे के लिए खुलता है, और अधिकतम 50 रुपये तक का लेनदेन किया जा सकता है.

बचत से खरीदते हैं पढ़ाई की सामग्री
बैंक में जमा की गई राशि का उपयोग छात्र-छात्राएं सिर्फ किताबें, कॉपी, पेन-पेंसिल जैसी शैक्षणिक सामग्री खरीदने में करते हैं. इससे बच्चों में बचत की आदत तो बन रही है, साथ ही वे फास्ट फूड से दूर रहकर स्वस्थ और अनुशासित जीवनशैली की ओर बढ़ रहे हैं.
अभिभावकों और बच्चों की सकारात्मक प्रतिक्रिया
प्रधान शिक्षक सुमन नायक के अनुसार, इस पहल का मकसद बच्चों को स्वावलंबी और विवेकपूर्ण बनाना है. कुछ छात्र साल भर में 500 रुपये से ज्यादा की बचत कर लेते हैं, जिससे वे स्कूल के पुस्तक मेले में अपनी पसंद की किताबें खरीदते हैं.
अभिभावक अरुण संतरा और मानसी राय का मानना है कि यह प्रयोग बच्चों में बचत की भावना और वित्तीय समझ को मजबूत कर रहा है. वहीं, छात्राएं इशिका राय और शिक्षा बाग इसे अपने जीवन की महत्वपूर्ण हिस्सा मानती हैं. यह अभिनव प्रयोग न केवल बच्चों को बुरी आदतों से दूर कर रहा है, बल्कि उन्हें स्वावलंबी, जागरूक और जिम्मेदार नागरिक बनाने की दिशा में भी एक मजबूत कदम है.
(भोला नाथ साहा की रिपोर्ट)