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Coding app for school students: अब बिना लैपटॉप के कोडिंग सीख रहे हैं स्कूल के बच्चे, IIT-BHU से पढ़े दो युवाओं का कमाल

CuriousJr एप के जरिए बच्चे बिना लैपटॉप, सिर्फ स्मार्टफोन पर ही कोडिंग सीख सकते हैं. इस एप को डेवलप किया है IIT-BHU से पढ़े दो युवाओं ने.

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हाइलाइट्स
  • COVID लॉकडाउन ने कोडिंग के बारे में जागरूकता बढ़ाई

  • ढाई लाख से ज्यादा है मासिक एप यूजर

आजकल बच्चों की पढ़ाई के लिए स्मार्टफोन एक जरूरी टूल बन गया है. बच्चों की पढ़ाई का बहुत सा काम फोन पर हो जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि अब आप कोडिंग भी स्मार्टफोन पर सीख सकते हैं. और यह संभव हो पाया है IIT-BHU से पढ़े दो युवाएं के कारण. दरअसल, IIT-BHU के इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स, मृदुल रंजन साहू और जानिसार अली ने मिलकर गुरुग्राम में Curiosity Edtech नामक स्टार्टअप शुरू किया है. 

अपने इस स्टार्टअप के तहत इन दोनों ने एक स्मार्टफोन एप बनाई बै जिसका नाम है CuriousJr. इस एप की खासियत है कि इससे आपके बच्चे कम उम्र से ही कोडिंग सीख सकते हैं. सबसे दिलचस्प बात है कि अब बच्चों को कोडिंग सीखने के लिए लैपटॉप की जरूरत नहीं है बल्कि एक स्मार्टफोन से ही उनका काम हो जाएगा. 

कैसे हुई शुरुआत
सबसे पहले बात अगर फाउंडर्स की करें तो मृदुल और जानिसार, दोनों ने स्टार्टअप शुरू करने से पहले कॉर्पोरेट सेक्टर में काम किया है. मृदूल ने ओयो, सर्किल जैसी कंपनियों के साथ काम किया तो जानिसार बॉब्बल एआई और आइजिगो जैसी कंपिनियों के लिए काम कर चुके हैं. लेकिन दोनों ही दोस्त जिंदगी में कुछ ऐसा करना चाहते थे जिससे एजुकेशन सेक्टर में फर्क पड़े. वे शिक्षा को आसान और ज्यादा मजेदार बनाना चाहते थे. 

लॉकडाउन के दौरान दोनों जूम कॉल पर इसी बारे में डिस्कस कर रहे थए तो उन्हें आइडिया आया कि क्यों न कोडिंग पर कुछ किया जाए. उन्होंने लैपटॉप के बिना छात्रों को अपने मोबाइल पर कोड सीखने में सक्षम बनाने के विचार के साथ शुरुआत की. क्योंकि उनका कहना है कि भारत में K12 के ज्यादातर छात्रों के पास लैपटॉप उपलब्ध नहीं है. ऐसे में उन्होंने तय किया कि वे स्मार्टफोन एप्लिकेशन पर काम करेंगे. 

COVID लॉकडाउन ने कोडिंग के बारे में जागरूकता बढ़ाई, और सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम में कोडिंग को एक अनिवार्य विषय बना दिया, लेकिन ज्यादातर यूजर्स और स्कूलों के पास लैपटॉप या डेस्कटॉप कंप्यूटर तक पहुंच नहीं थी. ऐसे में, क्यूरियस जूनियर मोबाइल एप ने कोड लर्निंग और प्रैक्टिस मॉड्यूल पेश किए. साथ ही, क्यूरियस जूनियर एप स्टोर बनाया गया ताकि बच्चे अपने काम को पब्लिश और अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर कर सकें. 

ढाई लाख से ज्यादा है मासिक एप यूजर
विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, 2030 तक 900 मिलियन नौकरियां पैदा होंगी. इसलिए, भविष्य में इन पदों को भरने के लिए 500 मिलियन से अधिक युवा शिक्षार्थियों को सशक्त बनाना मिशन है. इसलिए उनका उद्देश्य सभी वित्तीय स्तरों के छात्रों के लिए कोडिंग को सुलभ और सस्ती बनाना है. 

फिलहाल, प्लेटफ़ॉर्म के 250 हजार से अधिक मासिक उपयोगकर्ता हैं, और कोड को क्यूरियस जूनियर ऐप पर 7.5 मिलियन से अधिक बार एग्जीक्यूट किया गया है. 1,80,000 से अधिक बच्चों ने एप्लिकेशन और गेम तैयार किए हैं जिन्हें क्यूरियस जूनियर ऐप स्टोर पर पब्लिश किया गया है. यह क्यूरियस जूनियर ऐप के रिलीज़ होने के एक साल के भीतर हुआ. प्लेटफ़ॉर्म के Google Playstore पर 10,00,000 से अधिक डाउनलोड हैं. 

अगले पांच वर्षों में, कंपनी का लक्ष्य 100 मिलियन युवा कोडर्स तक पहुंचना और उन्हें अब तक का सबसे अच्छा सीखने का अनुभव प्रदान करना है.