
IIT खड़गपुर में छात्रों की सुसाइड रोकने के लिए 24 घंटे काउंसलिंग सुविधा शुरू की गई है. इसके साथ ही एक एक्सपर्ट कमिटी भी बनाई गई है जो छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य पर अध्ययन करेगी. हाल ही में, एक छात्र के सुसाइड के बाद संस्थान ने यह फैसला किया है.
छात्रों के लिए सभी हॉस्टल रूम में क्यूआर कोड लगाए गए हैं, जिन्हें स्कैन करके वह कभी भी ऑनलाइन काउंसलिंग ले सकते हैं. इसके अलावा, एक एक्सपर्ट कमिटी बनाई गई है जिसमें मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक, एक रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी और रिटायर्ड प्रोफेसर शामिल हैं. यह कमिटी तीन महीने में अपनी रिपोर्ट डायरेक्टर को सौंपेगी.
छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर अध्ययन
एक्सपर्ट कमिटी का संयोजक छात्रों के मामलों से जुड़े एक एसोसिएट डीन को बनाया गया है. यह कमिटी उन कारणों का पता लगाने की कोशिश करेगी जिनकी वजह से छात्रों की मानसिक सेहत पर बुरा असर पड़ता है और वे खुदकुशी जैसे कदम उठा लेते हैं. IIT खड़गपुर में यह कदम 4 मई को एक थर्ड ईयर के स्टूडेंट के खुदकुशी करने के बाद उठाया गया है.
IIT में सुसाइड के आंकड़े
IIT खड़गपुर में इस साल अब तक तीन छात्र सुसाइड कर चुके हैं, जबकि पिछले 5 साल में नौ छात्रों ने सुसाइड किया है. ग्लोबल IIT Almuni Support Group के आंकड़ों के मुताबिक, IIT खड़गपुर और IIT चेन्नई में पिछले पांच वर्षों में नौ छात्रों ने सुसाइड किया है. इसके बाद IIT दिल्ली में सात और IIT कानपुर में छह छात्रों ने सुसाइड किया है.
काउंसलिंग की सुविधा और योजनाएं
IIT खड़गपुर में छात्रों को सुबह 10:00 बजे से रात 8:00 बजे तक काउंसलिंग की सुविधा दी जाती है, जबकि रात 8:00 बजे से सुबह 10:00 बजे तक ऑनलाइन काउंसलिंग की सुविधा दी जा रही है. इसके अलावा, इंस्टिट्यूट ने अगले सेमेस्टर से काउंसलिंग कैलेंडर शुरू करने की योजना बनाई है, जिसमें छात्रों की पढ़ाई शुरू होने के साथ ही काउंसलिंग सेशन की तारीखें और समय का जिक्र होगा.
छात्रों और विशेषज्ञों की राय
IIT खड़गपुर में छात्रों को 24 घंटे काउंसलिंग देने के लिए उठाए गए कदमों को लेकर छात्रों से बात की गई. एक छात्र ने कहा, 'मुझे ऐसा लगता है कि प्रेशर की वजह से सुसाइड हो रहा है. वातावरण का भी बहुत बड़ा असर होता है।' एक अन्य छात्र ने कहा, 'पेरेंट्स को अपने बच्चों को समझाना चाहिए ना कि प्रेशराइज करना चाहिए.'
IIT खड़गपुर में छात्रों की सुसाइड रोकने के लिए उठाए गए कदम सराहनीय हैं. यह कदम अन्य संस्थानों के लिए भी एक मिसाल बन सकते हैं. छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना और उन्हें हर तरह से सपोर्ट करना जरूरी है.