University of Kashmir and Ruhi Jan
University of Kashmir and Ruhi Jan जम्मू-कश्मीर के कुलगाम की रहने वाली रूही जान का असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर चयन हुआ है. रूही पूरी तरह से दृष्टिहीन हैं. वो जन्म से ही नहीं देख सकती थीं. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और सपनों को जीने के लिए खूब मेहनत की. रूही जम्मू-कश्मीर विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर नियुक्त की गई है. रूही फिलहाल जेएनयू से पीएचडी कर रही हैं.
रूही की सफलता पर परिवार के साथ पूरा गांव खुश है. परिजनों ने रूही को नोटों का हार पहनाया गया और अपनी खुशी जाहिर की. रूही चाहती हैं कि उनकी दृष्टिहीनता को भूलकर उनकी उपलब्धि को याद किया जाए. उनका कहना है कि जीवन में उन्होंने तमाम चुनौतियों का सामना किया है. लेकिन उन सबको किनारे रखकर उन्होंने अपने सपने को पूरा किया है.
दृष्टिहीन स्कॉलर बनीं असिस्टेंट प्रोफेसर-
रूही जान कुलगाम जिले के हंजन गांव की रहने वाली हैं. उन्होंने असाधारण उपलब्धि हासिल की है. उनका चयन जम्मू-कश्मीर विश्वविद्यालय के शिक्षा में विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर हुआ है. रूही को जीवन में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लेकिन वो अपने सपने को पूरा करने के लिए अडिग रहीं. उन्होंने बीए, एमए और यूजीसी नेट की परीक्षाएं पास की और अब असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर नियुक्त हुई हैं.
आर्मी स्कूल से 10वीं की पढ़ाई-
रूही की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई उनके गांव के ही एक निजी स्कूल में ही हुई. इसके बाद वो बेहीबाग के आर्मी स्कूल में पढ़ने चली गईं. यहां से उन्होंने 9वीं और 10वीं की पढ़ाई की. इसके बाद की पढ़ाई के लिए उन्होंने गर्वनमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल यारीपोरा में दाखिला लिया.
रूही जान ने गर्वनमेंट डिग्री कॉलेज कुलगाम से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद उन्होंने यूजीसी नेट के लिए तैयारी की. रूही ने यूजीसी-नेट और जेआरएफ की परीक्षा पास की. अभी रूही दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में पीएचडी कर रही हैं.
रूही जान उन तमाम लोगों के लिए रोल मॉडल हैं, जो शारीरिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और जीवन में आगे बढ़ने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. रूही की सफलता एक संदेश है कि साहस और दृढ़ता से कोई भी लक्ष्य पूरा किया जा सकता है.
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