
आजकल बहुत से लोग इंजीनियरिंग को बहुत सक्सेसफुल करियर चॉइस नहीं मानते हैं. इसका कारण है बहुत से इंजीनियर्स का बेरोजगार होना. लेकिन इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ-साथ अगर आपने अपनी स्किल्स पर भी काम किया है तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है. इस बात का सबसे अच्छा उदाहरण हैं कर्नाटक से ताल्लुक रखने वाली रितुपर्णा केएस, जो जल्द ही इंटरनेशनल कंपनी, Rolls Royce कंपनी जॉइन करने वाली हैं. दिलचस्प बात है कि रितुपर्णा को अपनी डिग्री पूरी होने से पहले ही इतनी बड़ी कंपनी में जॉब मिल गई है.
कौन हैं रितुपर्णा केएस?
रितुपर्णा केएस कर्नाटक के थीर्थहल्ली तालुक के कोडुरु गांव की रहने वाली हैं. उनके माता-पिता का नाम सरेश केएन और गीता सरेश है. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सेंट एग्नेस स्कूल से पूरी की. बचपन से ही उनका सपना डॉक्टर बनने का था. उन्होंने NEET की परीक्षा दी थी.
लेकिन जब सरकारी मेडिकल सीट नहीं मिली, तो उन्हें लगा कि उनका सपना टूट गया. इसके बाद उन्होंने 2022 की CET काउंसलिंग में हिस्सा लिया और सह्याद्री कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट, मंगलुरु में सरकारी इंजीनियरिंग सीट हासिल की.
कॉलेज में क्या खास प्रोजेक्ट किए?
रितुपर्णा ने अपने पिता के सुझाव पर "रोबोटिक्स एंड ऑटोमेशन" को चुना. उन्होंने शुरू से ही नए-नए विचारों और तकनीकों को एक्सप्लोर करना शुरू कर दिया. कॉलेज में सीनियर छात्रों के प्रोजेक्ट्स ने उनका ध्यान खींचा. उन्होंने अपने एक दोस्त की मदद से सुपारी किसानों के लिए रोबोट बनाए जो कीटनाशक छिड़कने और सुपारी तोड़ने का काम कर सकते थे. इससे किसानों की मेहनत कम हुई.
रोबोट को मिला कैसा रिस्पॉन्स?
रितुपर्णा ने अपना प्रोजेक्ट को INEX कॉन्फ्रेंस, गोवा में प्रस्तुत किया, जहां सिंगापुर, जापान, चीन और रूस जैसी देशों की टीमों से मुकाबला किया और गोल्ड व सिल्वर मेडल जीते.
और क्या-क्या प्रोजेक्ट किए?
रितुपर्णा ने NITK सूरथकल के एक रिसर्च ग्रुप के साथ मिलकर रोबोटिक सर्जरी पर काम किया. उन्होंने सर्जनों से बातचीत की और जिला प्रशासन के साथ मिलकर वेस्ट मैनेजमेंट ऐप बनाने में मदद की. वह दक्षिण कन्नड़ डीसी फेलोशिप के लिए भी चुनी गईं.
Rolls-Royce से कैसे जुड़ीं रितुपर्णा?
रितुपर्णा का सपना Rolls-Royce में इंटर्नशिप करने का था. लेकिन शुरुआत में जब उन्होंने अप्लाई किया तो कंपनी ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया और यहां तक कहा कि “क्या आप वाकई लायक हैं?” लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और एक मौका मांगा.
उन्हें कंपनी ने महीनेभर में पूरा करने के लिए एक टास्क दिया. इस टास्क को उन्होंने सिर्फ एक हफ्ते में पूरा कर दिया. इसके बाद, कंपनी ने उन्हें लगातार 8 महीने तक नए-नए टास्क दिए. ये सब उन्होंने छठे सेमेस्टर की पढ़ाई के साथ मैनेज किया. वे रात में काम करती थीं और दिन में क्लास अटेंड करती थीं.
Rolls-Royce से क्या ऑफर मिला?
परिवार और कॉलेज का क्या रहा रिएक्शन?
रितुपर्णा की सफलता से परिवार और कॉलेज दोनों बहुत खुश और गर्वित हैं. अपनी छोटी बहन के लिए वह प्रेरणा बन चुकी हैं. सह्याद्री कॉलेज और उनके डिपार्टमेंट, रोबोटिक्स एंड ऑटोमेशन विभाग को उन पर गर्व है.
रितुपर्णा युवाओं को यहीं संदेश देती हैं कि सिर्फ सपना देखना काफी नहीं, उसे पाने के लिए पूरी मेहनत और समर्पण जरूरी है.
---------End------------