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नन्हे चैंपियंस नमिष और गिरीशा! 6 और 3 साल की उम्र में पहचान लेते हैं हर देश का झंडा और करेंसी, नेशनल रिकॉर्ड तक बना डाला! 

इन दोनों बच्चों की इस असाधारण प्रतिभा के पीछे उनकी मां नीरू बाला की मेहनत है. नीरू बताती हैं कि कोविड के दौरान जब स्कूल बंद थे, उन्होंने बच्चों को फोन देने के बजाय खेल-खेल में पढ़ाने का तरीका अपनाया. कई लोग नमिष और गिरीशा को ईश्वर का चमत्कार मानते हैं, लेकिन उनके माता-पिता का कहना है कि यह मेहनत और सही मार्गदर्शन का नतीजा है.

नन्हे चैंपियंस नमिष और गिरीशा नन्हे चैंपियंस नमिष और गिरीशा

क्या आपने कभी सुना है कि 6 साल का बच्चा दुनिया के हर देश का झंडा और करेंसी पहचान ले, और उसकी 3 साल की छोटी बहन नक्शे पर देशों को सटीक ढूंढ ले? यह कोई जादू नहीं, बल्कि सूरत के दो नन्हे सितारों, नमिष और गिरीशा की अनोखी प्रतिभा है. नमिष की उम्र महज 6 साल है, और गिरीशा अभी केवल 3 साल की है, लेकिन इन भाई-बहन की जोड़ी ने वो कमाल कर दिखाया है, जो बड़े-बड़े हैरान रह गए!

नमिष है नेशनल रिकॉर्ड होल्डर
6 साल का नमिष ऐसा जीनियस है, जो दुनिया के किसी भी देश का झंडा देखकर पलक झपकते उसका नाम और कॉन्टिनेंट बता देता है. इतना ही नहीं, उसने नेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया है, जहां उसने सिर्फ 4 मिनट 49 सेकेंड में सभी देशों के नाम बता दिए!

नमिष यहीं नहीं रुकता- वह किसी भी देश की करेंसी को देखकर उसे तुरंत पहचान लेता है. चाहे यूरो हो, डॉलर हो, या येन, नमिष के लिए सब आसान है.

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लेकिन यह तो बस शुरुआत है! दूसरी कक्षा में पढ़ने वाला नमिष मेडिकल फील्ड की भी बारीकियां जानता है. उसे पता है कि आंखों के डॉक्टर को ऑप्थल्मोलॉजिस्ट कहते हैं और बच्चों के डॉक्टर को पीडियाट्रिशियन. इतना ही नहीं, हाल के वैश्विक युद्धों और भारत की मिसाइलों व एयरक्राफ्ट्स के बारे में भी नमिष को गजब की जानकारी है.

गिरीशा की नन्ही प्रतिभा
3 साल की गिरीशा भले ही टूटी-फूटी आवाज में बोलती हो, लेकिन उसकी प्रतिभा किसी से कम नहीं. वह नक्शे पर दुनिया के देशों को सटीक ढूंढकर उनकी जगह सेट कर देती है और उनका नाम भी बता देती है. गिरीशा पजल गेम्स में अलग-अलग देशों को नक्शे पर सही जगह फिट करती है, जैसे कोई अनुभवी भूगोलवेत्ता! यह देखकर हर कोई हैरान रह जाता है कि इतनी छोटी उम्र में वह इतना कुछ कैसे कर लेती है. X पर एक पोस्ट में लिखा गया, “3 साल की गिरीशा को देखकर लगता है, बच्चे जन्मजात जीनियस होते हैं!”

मां की मेहनत
इन दोनों बच्चों की इस असाधारण प्रतिभा के पीछे उनकी मां नीरू बाला की मेहनत है. नीरू बताती हैं कि कोविड के दौरान जब स्कूल बंद थे, उन्होंने बच्चों को फोन देने के बजाय खेल-खेल में पढ़ाने का तरीका अपनाया. “मैंने नमिष और गिरीशा के साथ झंडे और नक्शे का खेल शुरू किया. धीरे-धीरे वे इसमें माहिर हो गए,” नीरू ने गर्व से बताया. वह कहती हैं कि पैरेंट्स बिना बच्चों पर दबाव डाले, उनकी रुचि को सही दिशा दे सकते हैं. नीरू का सपना है कि उनके बच्चे मैथमेटिक्स में भी उतने ही तेज बनें. 

पिता और दादा का गर्व
बच्चों के पिता अंकुश कुमार बताते हैं कि नमिष और गिरीशा की प्रतिभा देखकर बड़े-बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उनसे मिलने बुलाते हैं. “बच्चों की वजह से हमें इतना सम्मान मिला, यह गर्व की बात है,” अंकुश कहते हैं. वहीं, बच्चों के दादा श्री राम भूषण की इच्छा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार उनके पोते-पोती से जरूर मिलें. “हमने कभी नहीं सोचा था कि बच्चे इतना आगे जाएंगे,” श्री राम भूषण ने भावुक होकर कहा.

कई लोग नमिष और गिरीशा को ईश्वर का चमत्कार मानते हैं, लेकिन उनके माता-पिता का कहना है कि यह मेहनत और सही मार्गदर्शन का नतीजा है. नीरू कहती हैं, “अगर पैरेंट्स थोड़ी समझदारी से बच्चों के साथ समय बिताएं, तो हर बच्चा ऐसा कमाल कर सकता है.” यह कहानी हर माता-पिता के लिए प्रेरणा है कि बच्चों की प्रतिभा को पहचानकर उसे निखारा जाए.

(मनीष की रिपोर्ट)