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Representational Image पश्चिम बंगाल के मालदा में एक ऐसी शिक्षिका की कहानी सामने आई है जो अपने आप में एक मिसाल है. दरअसल, रिटायरमेंट के बाद भी यह टीचर बिना किसी सैलरी के अपने छात्रों को पढ़ा रही है. यह कहानी है मालदा के कमलबाड़ी हाई स्कूल की, जहां शिक्षिका स्वप्ना घोष रॉय दास एक मिसाल पेश कर रही हैं.
वह मालदा शहर के नंबर 2 गवर्नमेंट कॉलोनी क्षेत्र की रहती हैं और उनके पति पीयूष दास पेशे से निजी क्षेत्र के कर्मचारी हैं. उन्होंने 1989 में अध्यापन विभाग में अपनी शुरुआत की. उन्होंने बहुत से साल कमलबाड़ी हाई स्कूल में पढ़ाया और 28 फरवरी 2015 को विद्यालय से रिटायर हुईं.
हालांकि, इसके बाद वह घर पर नहीं बैठीं, बल्कि अपनी सेवानिवृत्ति के अगले दिन से ही उन्होंने उस स्कूल में छात्रों को नियम के अनुसार पढ़ाना शुरू किया. वह कक्षा पांचवीं से दसवीं तक के छात्र गणित की कक्षाएं लेती हैं. उनकी इस पहल की स्कूल प्रशासन सराहना कर रहा है.
नियमित तौर पर लेती हैं कक्षाएं
मालदा के इंग्लिशबाजार ब्लॉक के कमलबाड़ी हाई स्कूल की सेवानिवृत्त गणित शिक्षिका स्वप्ना घोष रॉय दास वर्तमान में सभी शिक्षकों के लिए एक प्रेरणा हैं. वह सबके लिए एक असाधारण उदाहरण पेश कर रही हैं. स्वप्ना घोष रॉय दास ने कहा कि छात्र उनके लिए उनके बच्चों की तरह हैं और पढ़ाना उनकी लत है.
बच्चों को पढ़ाकर उनके मन को शांति मिलती है. इसलिए रिटायरमेंट के बाद भी वह नहीं रुकी. वह तब तक पढ़ाना चाहती हैं जब तक उनका शरीर स्वस्थ है. प्रधानाध्यापक मोहमंद मतिउर रहमान ने कहा कि कमलाबाड़ी हाई स्कूल में शिक्षकों के अनुपात में छात्रों की तुलना में कम शिक्षक हैं. इस लिहाज से उनके पढ़ाने के कई फायदे हैं. साथ ही, यह पहल शिक्षण समुदाय के लिए एक प्रेरणा है.
(मिल्टन पॉल की रिपोर्ट)