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Lucknow Smart Class: लखनऊ की सड़कों पर चल रहे हैं ये स्मार्ट क्लासरूम, इन बच्चों के लिए चलाई जा रही है योजना

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नगर निगम और उम्मीद फाउंडेशन ने लखनऊ की सड़कों और चौराहों पर भीख मांगने वाले बच्चों के लिए स्मार्ट क्लासेस की शुरुआत की है, ताकि बच्चे पढ़ लिख कर आगे बढ़ सके और भिक्षावृत्ति से दूर हो सके.

अब नहीं मांगते हैं बच्चे भीख, स्मार्ट क्लासेस के जरिए कर रहे हैं पढाई अब नहीं मांगते हैं बच्चे भीख, स्मार्ट क्लासेस के जरिए कर रहे हैं पढाई
हाइलाइट्स
  • पढ़ाई में मन लगा रहे हैं बच्चे

  • सेंट्रल गवर्नमेंट चला रही है प्रोग्राम

उत्तर प्रदेश में भीख मांगने वाले बच्चों के लिए एक खास पहल की गई है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नगर निगम और उम्मीद फाउंडेशन ने लखनऊ की सड़कों और चौराहों पर भीख मांगने वाले बच्चों के लिए स्मार्ट क्लासेस की शुरुआत की है, ताकि बच्चे पढ़ लिख कर आगे बढ़ सके और भिक्षावृत्ति से दूर हो सके.

स्मार्ट क्लासेज से बच्चों में आ रहे सकारात्मक बदलाव
स्मार्ट क्लासेज की मदद से भीख मांगने वाले बच्चे अपने अंदर सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं. स्मार्ट क्लासेज की शुरुआत सुबह 10 बजे से 12 बजे तक, दोपहर 12 से 2 बजे तक और फिर दोपहर 2 से 4 बजे तक तीन पालियों में की जाती है, जिसमें कुल 45 बच्चे भाग लेते हैं. इस दौरान बच्चों को एक बड़ी एलईडी टीवी के माध्यम से शिक्षक पढ़ाई करवाते हैं. पढ़ाई के अलावा बच्चों को लैपटॉप और गीत संगीत भी सिखाया जाता है. 

पढ़ाई में मन लगा रहे हैं बच्चे
बच्चों को शिक्षा देने वाले शिक्षक संचय ने बताया कि यहां पढ़ने के लिए वह बच्चे आते हैं जो निम्न तबके के हैं, जिनके माता-पिता अपने बच्चों को शिक्षा नहीं दे सकते हैं. संचय बताते हैं कि, ये वो बच्चे हैं, जो सड़कों पर भीख मांगते थे, लेकिन अब बच्चों का पढ़ाई में मन लग रहा है. यहां पर बच्चों को लैपटॉप भी चलाना सिखाया जा रहा है. स्मार्ट क्लास में बच्चे समय से पढ़ने आ रहे हैं. हम लोग स्मार्ट क्लासेस के जरिए से बच्चों को ज्यादा से ज्यादा सिखाने का प्रयास कर रहे हैं.

सेंट्रल गवर्नमेंट चला रही है प्रोग्राम
वहीं उम्मीद फाउंडेशन के सदस्य और प्रोजेक्ट मैनेजर प्रताप विक्रम सिंह ने बताया कि, ये सेंट्रल गवर्नमेंट का प्रोग्राम है, जो मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट के अंडर आता है. नगर निगम के माध्यम से लखनऊ में यह प्रोग्राम चलाया जा रहा है. इससे उन बच्चों को फायदा हो रहा है जो भिक्षावृत्ति में पूरी तरीके से लिप्त थे. नगर निगम में शेल्टर होम के पास में ही स्लम एरिया है, जिसमें नट समुदाय रहता है. ये लोग वह परंपरागत तरीके से भिक्षावृत्ति का कार्य पीढ़ी दर पीढ़ी करते आ रहे हैं. इन बच्चों को एजुकेशन के बारे में कुछ नहीं पता था, लेकिन आज इनको एक एक्सपोजर मिला है. जिसके चलते अब बच्चों में कॉन्फिडेंस आ गया है, वह पढ़ाई कर रहे हैं और अब यह भिक्षावृत्ति में आगे नहीं जाएंगे.

संगीत के क्षेत्र में भी बच्चों को मिल रही मदद
प्रताप विक्रम सिंह ने आगे बताया कि, गवर्नमेंट इनको उचित दिशा देने के लिए ऐसा कर रही है. वहीं जो बच्चे गीत-संगीत और म्यूजिक में इंटरेस्ट रख रहे हैं उनको इंस्ट्रूमेंट के माध्यम से सिखाया जाएगा, राज्यपाल महोदया ने तबला-हारमोनियम और गिटार जैसी चीजें हम लोगों को दी हैं. इन इंस्ट्रूमेंट के माध्यम से हम बच्चों को म्यूजिक भी सिखाएंगे ताकि वह आगे बढ़ सके. अभी विगत 26 जनवरी के दिन जब गणतंत्र दिवस था उसमें भिक्षा मांगने वाले 45 बच्चों ने परेड में परफॉर्म किया था.

(लखनऊ से सत्यम मिश्रा की रिपोर्ट)